18.2.11

गौरैया तुम ये करो

एक खबर जागने की
तुम सुबह से ही
लेकर आ जाती हो
ये नहीं कहती तुम भी जागो
मुंडेर पर चहकना तुम्हारा
जगा देता है
सुनो अब से कुछ और देर
बाद बताने आया करो !
मुझे सोने दो जागते ही मुझे नहीं सुननी
वो गालियां जो
गांव की गलियों से शहर तक देतें हैं लोग
व्यवस्था वश एक दूसरे को
हां गौरैया तुम ये करो
उन जागे हुओं को जगा दो
उनको बता दो
मुझे चाहिये मेरे
मेरे पुराने गांव
मेरे  पुराने शहर
हां गौरैया तुम ये करो



4 टिप्‍पणियां:

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

sundar rachna

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

उन जागे हुओं को जगा दो
उनको बता दो
मुझे चाहिये मेरे
मेरे पुराने गांव
मेरे पुराने शहर
हां गौरैया तुम ये करो

सच गौरैया यह करो ना..... बहुत सुंदर

Archana Chaoji ने कहा…

हाँ, गौरैया तुम ये कर सकती हो...तुम्हे ये करना होगा ......प्लीज गौरैया करोगी न???मेरे लिये
मुझे चाहिये मेरे
मेरे पुराने गांव
मेरे पुराने शहर
..............और मेरा वही पुराना घर...
प्लीज..प्लीज...प्लीज करो न गौरैया !!!.......

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

काश ऐसा हो जाये.

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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