9.1.11

Live From KhaTeema खटीमा से जीवंत वेबकास्टिंग

11 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

नमस्कार, भाई आप से लाईव केसे बात करे कोई रास्ता तो बतलाओ

बवाल ने कहा…

बहुत बढ़िया मज़ेदार। राजीव जी के घर पे संदेश ने पहुँच कर क्या क्या किया ? बतलाया जावे। nice. शास्त्रीजी का कॉम्बो पैक बहुत उम्दा लगा। सभी के सूट के साथ बूट फब रहे हैं। क्या कहना। आवाज़ सेट होने में बहुत टाइम वेस्ट हो गया लगता है मगर उसमें भी आनंद आ गया। हमने दोपहर के लंच पर उसी समय गक्कड़-भर्ता-दाल फिर प्राप्त किया। मधुपजी, के अलावा और भी लोगों से मुलाक़ात अच्छी रही।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

बहुत बहुत आभार इसे दिखाने के लिये .

बेनामी ने कहा…

गिरीश विल्लोरे मुकुल जी का बहुत-बहुत आभार!
जो कार्य लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी सम्भव नहीं था वह आपने सहज ही समपन्न कर दिया

निर्मला कपिला ने कहा…

धन्यवाद लाईव प्रसारण दिखाने के लिये।

अरविन्द श्रीवास्तव ने कहा…

भाई, आपने ब्लोगिंग को जीवंत किया और गति दी...बधाई..!

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

विनत आभार

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

कमियों गलतियों की ओर नि:संकोच ईंगित कीजिये ताकि सुधार करूं

मनोज पाण्डेय ने कहा…

नि:संदेह गिरीश जी और अविनाश जी इस समारोह में तकनीकी की नयी मिसाल कायम की है, इन्हें कोटिश: शुभकामनाएं !

मैं तो ब्लॉगजगत का नन्हा ब्लोगर हूँ , किन्तु अपने को पहली बार इस समारोह में आदरणीय रवीन्द्र प्रभात जी जैसे व्यक्तित्व के आकर्षण में विल्कुल वेसुद्ध खोया हुआ पाया !

रवीन्द्र जी के बारे में जितना सुना था उससे कहीं ज्यादा विनम्र, सहृदय, आत्मीय, मृदुभाषी और आदर्श व्यक्तित्व के धनी हैं वे ! कार्यक्रम के दौरान जिसप्रकार हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में ब्लोगिंग की भूमिका विषय पर उन्होंने लगभग आधे घंटे बोला और वहां बैठे श्रोता मंत्रमुग्ध होकर सुन रहे थे सबकी जुबान से बस यही फूट रहा था कि यार हिंदी ब्लोगिंग में ऐसे भी लोग हैं, विल्कुल इनसाक्लोपीडिया !

मेरी तो ब्लोगिंग सार्थक हो गयी आदरणीय रवीन्द्र प्रभात जी, अविनाश जी, सुमन जी, राजीव तनेजा जी, पद्म सिंह जी, केवल राम जी, शास्त्री जी जैसे प्रबुद्ध ब्लोगरों के सानिध्य का सुख पाकर !

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

सचमुच, यह सब अविस्मरणीय था!

समयचक्र ने कहा…

bhai anand aa gaya ...

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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