29.1.11

टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्‍जी-धज्‍जी रात मिली



रेडियोवाणी पर मिली इस प्रस्तुति के लिये भाई युनुस का आभार ही कहूंगा
मीना  कुमारी के सुर  खैयाम साहब के संगीत संयोजना में
टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्‍जी-धज्‍जी रात मिली
जिसका जितना आंचल था, उतनी ही सौग़ात मिली ।
जब चाहा दिल को समझें, हंसने की आवाज़ सुनी
जैसे कोई कहता हो, ले फिर तुझको मात मिली ।
मातें कैसी, घातें क्‍या, चलते रहना आठ पहर
दिल-सा साथी जब पाया, बेचैनी फिर साथ मिली ।

और अब एक पेशक़श यहां भी 
खैयाम साहब 

आज़ शाम खैयाम साहब को सुनने जाना है तरंग हाल में बिखरेंगी सुर लहरियां हम भी होंगे तरंगित तरंग में और फ़िर देर रात आपसे मुलाक़ात कराना है रात दस बजे प्रोफ़ेसर मटुकनाथ से

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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