20.1.11

मौसम का हालचाल : कवि श्री रूप चन्द्र शास्त्री मयंक स्वर अर्चना चावजी

मौसम के अनुरूप कविता शिशिर की वापसी पर ग़रीब की स्थिति और मधुऋतु की परिकल्पना करता मानस कवि कर देता है व्यक्त अपनी आकांक्षा मौसम से. आइये सुने मशहूर पाडकास्टर श्रीमति अर्चना चावजी के स्वरों में श्री रूपचन्द्र शास्त्री जी की दो कविताएं . 





सन-सन शीतल चली पवन,
सर्दी ने रंग जमाया है।
ओढ़ चदरिया कुहरे की,
सूरज नभ में शर्माया है।।(शेष हेतु यहां क्लिक कीजिये)

4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

मेरी कविताओं के माध्यम से
मौसम का हाल बताने के लिए आभार!

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

:-) behtreen prastuti! Meri shubhkamanayen Shastri ji aur Arachana ji ke liey.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति...... शास्त्रीजी और अर्चनाजी बधाई ....

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

सुनकर आनन्द आया..

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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