9.12.10

फूल तुमने जो कभी मुझको दिए थे ख़त में वो किताबों में सुलगते हैं सवालों की तरह



से
Glass Bear In Box - Gift Of LoveLive, Love, Laugh Silver & Crystal Expressively Yours Braceletअर्चना चावजी की  आवाज़ में सुनिए...ग़ज़ल

चांदनी रात में कुछ भीगे ख्यालों की तरह
   मैंने चाहा है तुम्हें दिन के उजालों की तरह   साथ तेरे जो गुज़ारे थे कभी कुछ लम्हें
मेरी यादों में चमकते हैं मशालों की तरह
इक तेरा साथ क्या छूटा हयातभर के लिए
मैं भटकती रही बेचैन गज़ालों की तरह
फूल तुमने जो कभी मुझको दिए थे ख़त में
वो किताबों में सुलगते हैं सवालों की तरह
तेरे आने की ख़बर लाई हवा जब भी कभी
धूप छाई मेरे आंगन में दुशालों की तरह
कोई सहरा भी नहीं, कोई समंदर भी नहीं
अश्क आंखों में हैं वीरान शिवालों की तरह
पलटे औराक़ कभी हमने गुज़श्ता पल के
दूर होते गए ख़्वाबों से मिसालों की तरह
                                                                         -फ़िरदौस ख़ान
 

13 टिप्‍पणियां:

S.M.Masoom ने कहा…

बहुत ही अच्छे अंदाज़ मैं ग़ज़ल गयी है...लाजवाब

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

अख्तर भाई पोस्ट देते हैं क्या टिप्पणी में ?

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत खूब... सुंदर प्रस्तुति...... अर्चना जी, फिरदौस जी दोनों को बधाई

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

बहुत सुंदर! खूबसूरत आवाज़ में खूबसूरत ग़ज़ल ... अर्चना जी, फिरदौस जी दोनों को बधाई :-)

निर्मला कपिला ने कहा…

खूबसूरत गज़ल और खूबसूरत आवाज।

vijay kumar sappatti ने कहा…

वाह जी वाह ..खूबसूरत आवाज़ में खूबसूरत ग़ज़ल ... अर्चना जी, फिरदौस जी दोनों को बधाई.

विजय

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

शिवम जी के ब्लॉग चर्चा से होती हुई आई ....
अर्चना जी सुनी आपकी आवाज़ ....खूब गया आपने ....
फिरदौस जी की ग़ज़ल की पंक्तियाँ भी अच्छी लगी ....

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

शुक्रिया

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

khoobsurat gazal..
har sher lajawab.

शारदा अरोरा ने कहा…

gazal bahut shandaar hai , aavaaj abhi sun nahi paaye hain ...

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

हमारी ग़ज़ल को अपनी मधुर आवाज़ से सजाने के लिए अर्चना जी के दिल से शुक्रगुज़ार हैं... और इसे पसंद करने वालों के भी आभारी हैं...

Shekhar Kumawat ने कहा…

har bar ki tarha bahut sundar awaj

vandana gupta ने कहा…

खूबसूरत आवाज़ मे खूबसूरत गज़ल्।

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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