8.12.10

बार बार मुम्बई से बनारस तक चीख चीख के उभरती आवाज़ों से ना वाक़िफ़ तुम!!

http://www.bbc.co.uk/hindi/specials/images/1957_varanasi_blasts/334233_varanasi3_ap.jpg 

बार बार मुम्बई से बनारस तक
चीख चीख के उभरती आवाज़ों
से ना वाक़िफ़ तुम!!
किसे विश्व के सबसे बड़े प्रज़ातंत्र के
की दम्भोक्ति सुना रहे हो ?
किसे संप्रभुता सम्पन्न होने का
एहसास दिला रहे हो ?
कौन हो तुम
किस लिये हो तुम
सवाल ज़रूरी था सो पूछ बैठा !
माफ़ करना तुम्हारे खादी के रुमाल
से तुमको माथा पौंछने
बार बार मज़बूर कर देता हूं न ?
क्या करूं कवि जो हूं
तुम्हारा बयान आएगा जो तुम्हारा
कारकून टाईप कर लाएगा
तुम हरेक घायल से मरने वालों तक
मुआवज़ा दोगे सहानुभूति भरे रुदन के साथ     
तुम किसे क्या बताने जा रहे हो
नौकरी देने वाला भारत
सिरमौर भारत
कल की सर्वशक्तिमान भारत
एक फ़िर से ऊगता भारत
इन भ्रमों से कब तलक बहलाओगे 
बताओ और कब तक और रुलाओगे..?
  

7 टिप्‍पणियां:

बवाल ने कहा…

अत्यंत दुखद और शर्मनाक वाक़िया। बेबसी की इंतिहाँ।

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

जब तक बस चलेगा बहकाएंगे और जब तक जनता बहकेगी, बहकाएंगे।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

दुखद घटना ..... सच में कब तक ...? :(

दिगम्बर नासवा ने कहा…

शर्मनाक ... वो जो चाहते हैं कर जाते हैं .

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

बहुत ही विचारणीय पोस्ट. बहुत ही सही कहा आपने. आखिर कब तक ये सब होगा . अब सब्र देने का नहीं हकीकत में कुछ करने का समय है. ..........

S.M.Masoom ने कहा…

अत्यंत दुखद और शर्मनाक घटना. ना जाने कब अंत होगा बेगुनाहों की जान लेने का?

राज भाटिय़ा ने कहा…

देश के नेता कहां हे, जिन्हे जनता वोट दे कर जीताती हे,क्या सभी मर गये या बेशर्म बन गये, क्या वोटो की खातिर चुप हे...... बहुत अच्छी लगी आप की कविता, धन्यवाद

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

Wow.....New

अलबरूनी का भारत : समीक्षा

   " अलबरूनी का भारत" गिरीश बिल्लौरे मुकुल लेखक एवम टिप्पणीकार भारत के प्राचीनतम  इतिहास को समझने के लिए  हमें प...

मिसफिट : हिंदी के श्रेष्ठ ब्लॉगस में