18.11.10

आचार्य संजीव वर्मा सलिल

http://mahavir.files.wordpress.com/2009/07/sanjivverma1.jpg?w=134&h=165    पेशे से अभियंता आचार्य संजीव वर्मा "सलिल"  के जीवन का लक्ष्य सतत क्रियेटिविटी थी तो है. गीत,नवगीत,गद्य,पर सतत रचनाएं देते सलिल जी का मुख्य ब्लाग "दिव्य-नर्मदा" है. वास्तु नन्दनी,विज्ञान-विपाशा,मन रंजना,राम नाम सुखदाई , काव्यकालिंदी सहित ढेरों ब्लॉग पर सतत लिखने वाले आचार्य जी को सतत लिखना सोहता है. अन्य वेब साइट्स एवं पोर्टल्स पर भी अक्सर उनको देख सकते हैं आप हम .
उनका एक बाल गीत आओ हिल-मिल खेलें हम लंगड़ी प्रस्तुत है.अर्चना जी के स्वरों में

4 टिप्‍पणियां:

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

geet aur aawaj dono hi bahut sundar

समयचक्र ने कहा…

bahut badhiya ...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सलिलजी की रचनाएँ बहुत पसंद हैं.... अक्सर उनके और अन्य कई ब्लोग्स पर पढने को मिलती हैं...आज उनका परिचय पाकर बहुत अच्छा लगा.... गिरिशजी... अर्चना ...धन्यवाद

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

भूल सुधार- अर्चना जी :)

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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