13.9.10

एक निवेदन महेन्द्र मिश्र जी का...............

आज किसी परिचय की जरूरत नहीं है ...बस एक पोस्ट सबको सुनानी है ......



पल-पल मंजिलों की ओर...

7 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

महेन्द्र मिश्र जी के आलेख का वाचन प्रेणादायक रहा!
--
मा गृधः कस्यस्विधनम्!
--
लालच मत करो,
यह धन किसका है?

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

महेन्द्र मिश्र जी के आलेख का वाचन प्रेरणादायक रहा!
--
मा गृधः कस्यस्विधनम्!
--
लालच मत करो,
यह धन किसका है?
--


माफकरना हिन्दी सेवकों-
पहली टिप्पणी में
"प्रेरणादायक" का प्रेणादायक हो गया था!

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

अर्चना चावजी के प्रयासों की निरन्तर सराहना किया जाना चाहिये जो सुधि पाठक कर ही रहें हैं शास्त्री जी की तरह मार्गदर्शन देना भी ज़रूरी है

समयचक्र ने कहा…

अर्चना जी के वाचन से कहानी में चार चाँद लग गए हैं .. बहुत बढ़िया प्रस्तुति..... आभारी हूँ ....

रानीविशाल ने कहा…

Bahut bhadiya
Archana ji aur Mishraji dono ko hi ko bahut bahut badhai

रानीविशाल ने कहा…

pratiksha main hai aapki
अनुष्का

Udan Tashtari ने कहा…

अर्चना जी और मिश्र जी को बधाई.

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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