6.8.10

एक निहायत सीधी-सादी मासूम सी-------------मोगरे की डाली-----------------------------

आइए आज सुनिए ----------नीरज गोस्वामी जी की एक गज़ल-----------------



 इसे यहाँ पढिए------------

7 टिप्‍पणियां:

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Nice

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

गजल और स्वर बहुत बढ़िया लगे!
सुनकर आनन्द आ गया!

नीरज गोस्वामी ने कहा…

इतने खूबसूरत अंदाज़ में ग़ज़ल गुनगुनाने का तहे दिल से शुक्रिया...
नीरज

हर्षिता ने कहा…

बहुत खूब,अतिसुन्दर।

गौतम राजऋषि ने कहा…

पहले ये खूबसूरत-सी ग़ज़ल पढ़ी और अब आ गया सुनने यहाँ....बड़ी खूबसूरत आवाज पायी है मैम।

Archana Chaoji ने कहा…

@गिरीश जी ,शास्त्री जी,हर्षिता जी इसे पसन्द करने के लिए आभार !!
@नीरज जी आपकी गज़ल ही इतनी खूबसूरत है कि कोई भी गुनगुनाए बिना नही रह पाता होगा....शुक्रिया खूबसूरत गज़ल के लिए आपका..
@गौतम जी,आपने अपना कीमती समय देकर अनुग्रहीत किया है मुझे...आभार!!!

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया गाया है, बधाई.

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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