आज सुनिए एक गज़ल-------------------गिरीश पंकज जी की................इनके बारे मे पढिये इस ब्लॉग पर.......
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मेरे बारे में
- बाल भवन जबलपुर
- जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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8 टिप्पणियां:
बहुत ही सुन्दर शब्द और उनकी अभिव्यक्ति।
गिरीश जी तो हैं ही श्रेष्ठता सुरों में भी कम नहीं
गिरीश पंकज जो को प्रस्तुत करके निस्संदेह आपके ब्लाग का सम्मान बढ़ा है ! गिरीश बिल्लौरे और अर्चना जी को शुभकामनायें !
बहुत ही सुन्दर, गिरीश जी और अर्चना जी को शुभकामनायें !
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आप को बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
आपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं
dil se dhanyvaad, kyonki aajkal bina fixing k koi kisi par dhyan nahi deta. aabhar billore ji ka bhi ki unke saujanya se archana ji jaisi aawaaj mili meri ghazal ko.
बहुत ही सुन्दर गीत!
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अर्चना चावजी ने गाया भी बहुत अच्छा है!
@गिरीश बिल्लोरे,
आपके पेज को लोड होने में बहुत समय लगता है ...आपके पाठकों को इससे असुविधा होती होगी और फलस्वरूप निश्चित ही पाठक संख्या कम होगी, कृपया कोई निदान सोंचे ! इतने बढ़िया काम को करने के लिए आपको शुभकामनायें !
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