आज ज्यादा कुछ नहीं बस एक गीत ----------------बोल बहुत पसन्द हैं मुझे...................पहले मैने गाया इंदौर मे...........
और फ़िर रचना ने युगल बनाया नासिक से .(125 बार साथ मे ..प्रयास करके )...............
प्रयोग सफ़ल रहा या नही ये तो आप ही बता पायेंगे--------------------------(ध्यान रहे----- हमने गाना सीखा नही है और कोई तकनिकी ज्ञान भी नहीं है हमें,पर प्रयोग करने में पीछे नहीं हटते)
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मेरे बारे में
- बाल भवन जबलपुर
- जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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9 टिप्पणियां:
एकल और युगल दोनों ही सुने!
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बहुत ही मोहक और सुन्दर स्वर है!
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रचना बजाज और अर्चना चावजी को बहुत-बहुत शुभाशीष!
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सन्देश देने वाला गीत भी बहुत ही बढ़िया चुना है आपने!
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एकल और युगल दोनो ही बहुत अच्छे लगे !!
अदभुत यह सहज और सरल नहीं जो आपने कर दिया
बधाईयां
मधुर स्वर
बेहतरीन प्रयोग
दोनों वर्ज़न पसंद आये.
दोनो ही बहुत अच्छे लगे गीत तो है ही बहुत अच्छा। धन्यवाद।
एकल और युगल...दोनों ही गीत मधुर बन पड़े हैं...
दोनों ही गीत बहुत मधुर हैं...
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
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