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शुक्रवार, मई 14, 2010

अब विदा दीजिये

बहुत अच्छा लगता है मिलना मिलते रहना 
किन्तु
यह भी सत्य है कि 
अपनी ज़मीं तलाशते 
लोग
    जिनको भ्रम है कि वे नियंता हैं 
चीर देतें हैं 
लोगो के सीने 
 कलेजों निकालने
 फ़िर उसे खुद गिद्ध की तरह चीख-चीख के खाते हैं 
खिलाते हैं अपनों को 
शुक्रिया साथियो
तब अवकाश ज़रूरी 
जब तक कि गिद्दों का जमवाड़ा है ?

अब विदा दीजिये कुछ अच्छा लगा तो आउंगा वरना अब अवकाश ले रहा हूं अब विदा ब्लागिंग 
सबसे पहले श्रद्दा जैन पूर्णिमा बर्मन एवम समीर लाल जी से क्षमा याचना मैं आपके सिखाई ब्लागिंग में फ़ैली अराज़कता से क्षति ग्रस्त हुआ हूं किसी पर भी कभी भी आक्रमण करने वाले आताताईयों से बचने यही बेहतर रास्ता है 

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