सानिया से ज़्यादा ज़रूरी है संजय पर बात
जबलपुर नगर का युवा पावर लिफ़्टिंग खिलाडी संजय बिल्लोरे का चयन मंगोलिया की राजधानी उलानबटर में दिनांक ०१ मई से ५ मई तक आयोजित एशियन पावर लिफ़्टिंग चैम्पियन शिप २०१० हेतु इंडियन-पावर-लिफ़्टिंग फ़ेडरेशन व्दारा किया गया है. किंतु इस खेल के नान औलौंपिक श्रेणी का होने के कारण न तो राज्य सरकार से और न ही भारत सरकार से खिलाडी को कोई मदद शासकीय तौर पर मिलना कठिन हो गया है. एक मध्यम वर्गीय युवा खेल-प्रतिभा को मंगोलिया तक की यात्रा के साधन जुटाने में जो ज़द्दो-ज़हद करनी पड रही आत्म विश्वास से भरे इस युवक को पूरा भरोसा है अपने बेहतर प्रदर्शन के लिये: संजय का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हौने वर्ष २००७ में ताईवान में आयोजित एशियन पावर लिफ़्टिंग प्रतियोगिता में रज़त-पदक जीता था.ओर्डिनेंस फ़ैक्ट्री खमरिया में मशीनिष्ट के पद पर कार्यरत संजय बिल्लोरे को इस खेल यात्रा के लिये लगभग एक लाख रुपयों की ज़रूरत है. यदि वे १५ अप्रेल तक फ़ेडरेशन को यात्रा व्यय हेतु राशि न भेज सके तो उनका चयन निरस्त कर दिया जायेगा. संजय ने यात्रा-व्यय के लिये अपने विभाग को आवेदन कर दिया है किंतु नियमों का हावाला देते हुए विभाग ने उनसे उम्मीद न रखने की सलाह दी है यद्यपि फ़ेडरेशन ने उनका आवेदन कलकत्ता स्थित मुख्यालय को भेज दिया है.
सलैक्शन लैटर
8 टिप्पणियां:
sanjay ji bahut bdhai
संजय किस बात की इस युवक के पास यात्रा के पैसे नहीं है इस बात की बधाई दे रहे हो ........?
हा हा हा
क्या कहूं...समझ नहीं आता...
हर दिन ऐसी कोई न कोई खबर आंखों के सामने से होकर गुजरती है...दिल कराह उठता है...लेकिन औकात सिर्फ ब्लॉगिंग तक ही सीमित है...
लानत है...हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते...सिवाय गाली देने और टेशुएं बहाने के
आलोक साहिल
आलोक भैया
सच यही बातैं दुखी कर देतीं हैं किंतु ऐसी मुहिम का परिणाम देर से भले निकले
संवेदनशील प्रस्तुति......
http://laddoospeaks.blogspot.com/
मुझे बेहद ख़ुशी है कि मैं इस मुहिम और नेक काम का हिस्सा बना गिरीश जी!~! उम्मीद करता हूँ हमारी मेहनत रंग लाएगी और संजय जी अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर संस्कारधानी का नाम रोशन करेंगे!!
आमीन!!!
"राम"
राम भाई इसे सब भूल गये थे अब आप की कोशिशें ज़रू रंग लायेंगी
भईया फ़िर यही सरकार कहती है कि भारत के लोग पेसो की खातिर विदेशो मै जा बसते है..... अरे जब आप इन प्रतिभावोन को पुछेगे ही नही तो..... फ़िर बाद मै यही प्रतिभावे कोई बडा काम करती है विदेशियो के लिये तो हमारे कमीने नेता फ़िर से उन की वाह वाही करते नही शर्माते.... उदारण है कल्पना चावला
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