ऐसा नहीं है कि आज एकलव्य की अनुकृतियां न हों अन्तस से भावुक, सदैव तत्पर महेन्द्र मिश्र अपने आप में एक जोरदार व्यक्तित्व को जी रही हैं.... आप सुनिये उनसे उनके दिल की बात आज़ उनकी वसीयत ज़रूर देखिये उनके ब्लाग ”समयचक्र” पर.......शहीद भगत सिंह को याद किया उनने निरंतर पर . मिश्र जी में भोले भाले शिव के अंश को नकारना गलत होगा........... किंतु शान्त चित्त हो कर जब वे सृजन करतें हैं तो बस भूल जाते हैं समय को भूलें क्यों न समयचक्र चला भी तो रहे हैं वे ही.
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Wow.....New
धर्म और संप्रदाय
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7 टिप्पणियां:
आभार...
सूचना प्रकाशित करने का शुक्रिया!
बहुत ही अच्छा अनुभव
Bahut bhadiya baatchit rahi ...Mishra ji ke vicharon acche se jaanane ka mauka mila...Abhar.
मिश्र जी को बधाई और आपको धन्यवाद
बढ़िया रहा मिश्र जी से मिलना!
आपके सौजन्य से मिश्र जी का मधुर स्वर भी सुन लिया!
मिश्र जी को बधाई और आपको धन्यवाद
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