सहोदर प्रदेशों यानी मध्य-प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के ब्लॉगर इन दिनों निरंतर नवाचारों में व्यस्त हैं . इन नवाचारों का सीधा संकेत यह भी है कि ब्लागिंग को किस तरकीब से स्तरीय और पठनीय बनाया जावे. ब्लॉग बनाम पांचवे खम्बे की ज़रुरत और उसकी उपादेयता अब किसी से छिपी नहीं है. हिंदी-ब्लागिंग यानि चिट्ठाकारिता के विकास की इस पहल से जो भी कुछ बेहतर होगा आज से पांच बरस बाद सबके सामने होगा. तभी तो भिलाई में जिस महत्वपूर्ण बात का खुलासा किया गया वो भारतीय भाषाओं के अंतर्जालीयकरण का मेल-स्टोन ही कहा जावेगा. पांचवे स्तम्भ को प्रोत्साहित करने भिलाई चिंतन बैठक में चिट्ठाचर्चा को डोमिन पर पंजीकृत करा लिया है ऋतु परिवर्तन-पर्व यानी संक्रांति के दिन से आरम्भ हो ही जावेगा. सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में खबर-रटाऊ सबसे आगे वाले फार्मूले से मुक्ति दिलाती हिंदी चिट्ठाकारिता ने वैचारिक-आदानप्रदान को भी बढावा दिया है.इस बात को नकारना असंभव है. अब तो भिलाई और जबलपुर इतने करीब हैं जितने कभी न थे. . छत्तीसगढ़ के ब्लागर्स का यह अनूठा प्रयास सफल होगा सभी आश्वस्त हैं पूत के पाँव पालने में ही नज़र आ जातें हैं.... ? इनके चेहरे तथा आत्म विश्वास को अनदेखा करना अथवा नकारना हमारी भूल होगी. साधू वाद दीजिये इनको
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मेरे बारे में
- बाल भवन जबलपुर
- जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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10 टिप्पणियां:
गिरीश जी आप और हम अलग नही हैं, एक ही सहोदर है,आपने और हमने एक ही प्रदेश और दे्श मे जन्म लिया हैला्ठी मारने से पानी अलग नही होता है। अब आप टिप्पणी चर्चा भी देखिए।
उन्नति की ओर बढते कदम...
अभी से बधाई स्वीकार कीजिए
ललित जी ने बिलकुल सही कहा कि... "लाठी मारने से पानी अलग नहीं होता"
बढ़ते चिट्ठों की संख्या देख इस तरह की पहल की दरकार थी. एक सार्थक पहल.
अनेक शुभकामनाएँ.
बहुत बहुत बधाई, प्रतिक्षा रत हैं.
रामराम.
महाशक्ति समूह और जबलपुर ब्रिगेड दोनो बधाई प्रेषित करते है।
हिन्दी चिट्ठाकारी के उज्जवल भविष्य हेतु इस प्रकार के सार्थक प्रयासों की नितान्त आवश्यकता है......
शुभकामनाऎँ!!!!
aapake pas itane blog hain ki sabako tiptipate-tiptipate net gayab ho jata hai...
yah pahal sarthak hai.
सार्थक कोशिशों के लिए भिलाई को बधाइयां
प्रकार के सार्थक प्रयासों की नितान्त आवश्यकता है....
सार्थक कोशिशों के लिए भिलाई को बधाइयां.
और गिरीश जी, हम लोग भी बाहर के नहीं हैं. कितनी ख़ुशी हो रही है, चिट्ठाकारी को दिन-प्रतिदिन समृद्ध होते देखना.
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