आज
तुम मैं हम सब जीत लें
अपने अस्तित्व पर भारी
अहंकार को
जो कर देता है
किसी भी दिन को कभी भी
घोषित "काला-दिन"
हाँ वही अहंकार
आज के दिन को
फिर कलुषित न कर दे कहीं ?
आज छोटे बड़े अपने पराये
किसी को भी
किसी के भी
दिल को तोड़ने की सख्त मनाही है
कसम बुल्ले शाह की
जिसकी आवाज़ आज भी गूंजती
हमारे दिलो दिमाग में
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरे बारे में
- बाल भवन जबलपुर
- जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
Wow.....New
अलबरूनी का भारत : समीक्षा
" अलबरूनी का भारत" गिरीश बिल्लौरे मुकुल लेखक एवम टिप्पणीकार भारत के प्राचीनतम इतिहास को समझने के लिए हमें प...
-
सांपों से बचने के लिए घर की दीवारों पर आस्तिक मुनि की दुहाई है क्यों लिखा जाता है घर की दीवारों पर....! आस्तिक मुनि वासुकी नाम के पौरा...
-
संदेह को सत्य समझ के न्यायाधीश बनने का पाठ हमारी . "पुलिस " को अघोषित रूप से मिला है भारत / राज्य सरकार को चा...
-
मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ एवम भुवाणा क्षेत्रों सावन में दो त्यौहार ऐसे हैं जिनका सीधा संबंध महिलाओं बालिकाओं बेटियों के आत्मसम्मान की रक...
5 टिप्पणियां:
aapne ye gana kaisa lagaya mujhe jaroor bataye mai abhi bloging mein naya hoon
pranay1020@gmail.com
yaha mujhe apna jawab bheje
बहुत सुंदर जी
बुल्ले शाह दी सौं...कौन नहीं मानेगा ...!!
बहुत सुंदर
अच्छी कविता
एक टिप्पणी भेजें