राष्ट्रीय समरसता को भग्न करने की कोशिश देश के अमन चैन को क्षति ग्रस्त करने की मंशा कदापि स्वीकार्य नहीं. भारत एक बहु-धर्मीय विशेषता युक्त राष्ट्र है यहां सभी को सभी के धर्मों का सम्मान करना हमें घुट्टी में पिलाया है. किन्तु कुछ दिनों से देख रहा हूँ इंटरनेट पर चार किताबें पड़कर उत्तेज़ना फैलाने वाले लोगों के लिए अब उपेक्षा ही एक ही इलाज़ है जो सहजता से संभव है. मित्रों भारत-देश को भारत कहलाने के लिए किसी धर्म,वर्ग,समूह,विचारधारा की कतई ज़रुरत नहीं भारत अखंड है रहेगा क्योंकि भारत का जितना सुदृढ़ भोगौलिक अस्तित्व है उससे कहीं अधिक इसका आत्मिक जुडाव प्रभावशाली है. अस्तु अंतर जाल पर सक्रीय ऐसे तत्वों के खिलाफ उपेक्षा का भाव रखिये जी उनके आलेखों तक जाना भी देश का अपमान मानता हूँ.साथ ही भारत सरकार के मेरी आई०टी० से विनम्र अपील है ऐसे लेखकों को प्रतिबंध करने का कार्य सबसे पहले किया जाए.जो किसी भी धर्म का खुला उपहास करते हुए समरसता के विरुद्ध वातावरण बना रहे हैं.
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मेरे बारे में
- बाल भवन जबलपुर
- जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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6 टिप्पणियां:
बिल्कुल सही कहा आपने, पुर्णतया सहमत हूँ।
आज इसी नजरिये की जरुरत है.
रामराम.
सहमत…
110% sahamat...
ham bhi sahmat hain .....
अंतरजाल ही क्यों, भारत और भारतीयों के दिलों में कहीं भी उन्मादियों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए.
- विजय तिवारी ' किसलय '
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