20.2.09

गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये

माना कि मयकशी के तरीके बदल गए
साकी कि अदा में कोई बदलाव नहीं है..!
गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये
ये पाँच साल का कोई चुनाव नहीं है ..?
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गिद्धों से कहो तालीम लें हमसे ज़रा आके
नौंचा है हमने जिसको वो ज़िंदा अभी भी है
सूली चढाया था मुंसिफ ने कल जिसे -
हर दिल के कोने में वो जीना अभी भी है !
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यूँ आईने के सामने बैठते वो कब तलक
मीजान-ए-खूबसूरती, बतातीं जो फब्तियां !
!!बवाल इसे पूरा कीजिए -----------
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11 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

अभी तो इतने में ही मजा आ गया..अब बवाल पूरा करें तो दूना हो. बधाई.

seema gupta ने कहा…

सूली चढाया था मुंसिफ ने कल जिसे -
हर दिल के कोने में वो जीना अभी भी है !
" बहुत जानदार ............निशब्द कर दिया इन पंक्तियों ने.

Regards

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

लाजवाब है..अब बवाल भाई का इन्तजार करते हैं.

रामराम.

बवाल ने कहा…

हाँ जी मगर ये बतलाइए कि टिप्पणी में ही पूरा करूँ या पोस्ट के माध्यम से ? निर्देश के इंतज़ार में
---बवाल

रंजू भाटिया ने कहा…

गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये

बहुत खूब ..बेहतरीन

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

बहुत अच्‍छा जी, मै बवाल पर गया था मजा और भी दुगना हो गया।

बहुत समय पूर्व एक ऐसी ही चेन चली थी, अपने फिर से शुरूवात की, बहुत अच्‍छा लगा।

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

मुकुल जी के निवेदन को बाखूब प्रस्‍तुत किया है, मजा आ गया। कविता खत्‍म करते करते एक दो नाम आप ले लेते जो इस काम को और आगे बढ़ाते। तो मजा और दुगुना हो जाता।

amitabhpriyadarshi ने कहा…

गिद्धों से कहो तालीम लें हमसे ज़रा आके
नौंचा है हमने जिसको वो ज़िंदा अभी भी है
सूली चढाया था मुंसिफ ने कल जिसे -
हर दिल के कोने में वो जीना अभी भी है !
bhai maja aa gayaa.
panktiyyan mai hi pure kiye de rahaa hoon ------
यूँ आईने के सामने बैठते वो कब तलक
मीजान-ए-खूबसूरती, बतातीं जो फब्तियां !
khuda ka khair hi hamane ise mana,
jo karine hamari sudhari hai galtiyaan.

shelley ने कहा…

गिद्धों से कहो तालीम लें हमसे ज़रा आके
नौंचा है हमने जिसको वो ज़िंदा अभी भी है
सूली चढाया था मुंसिफ ने कल जिसे -
हर दिल के कोने में वो जीना अभी भी है !


shandar. aage v aise hi gajal pase karen.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

आपको होली पर्व की परिवार सहित हार्दिक बधाई और घणी रामराम

daanish ने कहा…

sirf waah kehna
na-kaafi lagtaa hai.......
lekin be-lafz hooN......
bahut-bahut badhaaee
---MUFLIS---

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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