14.9.08

हिन्दी-दिवस



आप भी इसका इस्तेमाल करें

हिन्दी,मराठी,गुजराती,बंगाली,कन्नड़,तमिल,उर्दू,उड़िया,पंजाबी,
इन भाषाओं को लेकर कोई भी बच्चा कभी किसी अन्य
बच्चे से नहीं लड़ा,"
बच्चों से सीखने के इस दौर में
आप भी इन के बीच जाइए
सदभाव के सत्य से परिचय पाइए
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देश में लिंग परीक्षण,दहेज़ सामाजिक असमानता जैसे कई विषय हैं जिन पर आज से ही आन्दोलन चालू करने ज़रूरी हैं, किंतु भारतवासियों राज़ की बात है हमारे लोग स्थान,भाषा,धर्म,रंग,के लिए आंदोलित हैं .... ईश्वर इनको सुबुद्धि दे जो हमारे देश में कई देश बना रहें हैं .....हमारे तुम्हारे का बेसुरा राग गा रहे हैं
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माँ, यकीन करो,मुझे अपनी किसी भी मौसी की भाषा से कोई गुरेज़ नहीं है माँ वो भी तो माँ...सी ही है....!
है न......?
माँ,
यू पी का भैया,मराठी काका,पंजाबी पापाजी,सब आएं है तुम्हें देखने जब से तुम बीमार हो माँ इन से इनकी भाषा में ज़बाब दूँ कैसे ...?
माँ बोली-बेटे,संवेदना,की कोई बोली भाषा नहीं होती उनको मेरे पास भेज दो मैं बात कर लूँ ज़रा उनसे ?
फ़िर सारे लोग मेरी मरणासन्न माँ के पास आए किस भाषा में कुशल-क्षेम की कामना व्यक्त हुई मुझे समझ में नहीं आई....!
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सव्यसाची अब मेरे साथ नहीं हमारे साथ नहीं हैं राज़ की बात ये है की वे सब लोग मेरी माँ को आज भी याद करतें हैं !
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भारत के निर्माण में बिहार,यू.पी.मध्य-प्रदेश,पंजाब,महाराष्ट्र,गुजरात,यानी सभी राज्यों का योगदान है आप को ऐसा क्यों लग रहा है कि केवल आप ही.....!
गाड़ीवान रात भर के सफर पर बैलों से पूछता है:-भाई,नंदियो रात में तुमको बेहद थकान हो गयी लगता है..?
बैल इस बात का ज़बाव देते इसके पहले उसका चितकबरा संकर नस्ल का स्वामी-भक्त बोल पडा-"स्वामी ये तो सो गए थे मैं जागा था....गाड़ी तो.....मैं ही "
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आप भी इसका इस्तेमाल करें

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

आपको हिन्दी दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं...


(देखिये सब सो गये, मैं ही जागा हूँ, मालिक!! हा हा!!)

बेनामी ने कहा…

एक दिन मनायें
इंग्लिश डे
बाकी 364 दिन
हिंदी दिवस
इसी के लिए प्रयास
कब पूरी होगी ये आस।

- अविनाश वाचस्‍पति

Unknown ने कहा…

bahut achchhee or sachchee baat

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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