27.8.08

नागफनी जिनके आँगन में


नागफनी जिनके आँगन में, उनके घर तक जाए कौन ?
घर जिनके जाले मकडी के, रेशम उनसे लाए कौन !

हर उत्तर से प्रश्न प्रसूते, प्रश्न-प्रश्न डूबे हैं उत्तर
प्रश्न चिन्ह जीवन जो हो तो ऐसा चिन्ह मिटाए कौन ?

चिन्तन के घट कुंठा रस मय, गीत जलाने लगे रहल ही
पथ पे बिखरे बेर के कांटे , खुद से बाहर जाए कौन ?  

मन ही मेरे मन का साथी, शीतल रश्मि समर्पण करता
मेरे अंतस  दीप उजागर ,  सूरज के गुन गाए कौन..?
जिज्ञासा दब गई भूख में पोथी पूज न पाया बचपन
चीख रहे हैं आज आंकड़े बूढ़ी आँख पढ़ाए ...?


13 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

प्रश्न चिन्ह जीवन जो हो तो
ऐसा चिन्ह मिटाए कौन ?

-बहुत गहरी रचना, वाह!! बधाई.

Asha Joglekar ने कहा…

Bahut bhawgarbhit rachna.

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

मुझे मालूम था समीर जी ही हैं सबसे पहले टिप्पणी कार !
आभारी हूँ

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

आशा ताई
सादर प्रणाम जी
भावगर्भित कह कर आपने मुझे रोमांचित कर दिया

बेनामी ने कहा…

ACHCHHEE LAGI

बेनामी ने कहा…

अति सुंदर जी
आप ने साक्षरता-अभियान को भी नहीं बक्शा
लगता है कोई पीडा है दिल में

राज भाटिय़ा ने कहा…

जिज्ञासा दब गई भूख में
पोथी पूज न पाया बचपन
चीख रहे हैं आज आंकड़े
बूढ़ी आँख पढ़ाए ...?
मुकुल भाई, कहते हे सच कडवा होता हे, यह आप ने सिद्ध कर दिया, बहुत ही सुन्दर कविता हे,धन्यवाद

Unknown ने कहा…

बेनाम जी
"अति सुंदर जी ,आप ने साक्षरता-अभियान को भी नहीं बक्शा"
यहाँ तक ठीक था पर ये क्या- "लगता है कोई पीडा है दिल में"
कविता दर्द के कारण ही निकलती और ये देश की सचाई है
जिज्ञासा दब गई भूख में
पोथी पूज न पाया बचपन
चीख रहे हैं आज आंकड़े
बूढ़ी आँख पढ़ाए ...?

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

जिसने सराहा उसका आभार
जिसने कराहा उसका अधिक आभार
जिसने केवल पढ़ा उनका मान
जिनने नही पढ़ा सम्मान.
किंतु जिसमें टिप्पणी करने की आदत नहीं है उनके लिए.............
चलिए छोडिए भी
आभार

Smart Indian ने कहा…

बहुत सुंदर शब्द! बधाई!

अजित वडनेरकर ने कहा…

बहुत सुंदर रचना...मन रम गया पढ़ने में...
आभार आपका..

बेनामी ने कहा…

ऐसा चिन्ह मिटाए कौन ?
Wah,,,,,,Waah

विशेष कुमार ने कहा…

प्रश्न चिन्ह जीवन जो हो तो
ऐसा चिन्ह मिटाए कौन ?
बहुत गहरी रचना,अच्छा लिखा है।

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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