26.12.07

दिनेश जी और विजय भैया "मौन साधक" ही तो हैं....!"










पंडित दिनेश पाठक हीरा गुप्त जी के मित्र एवं पत्रकारिता के आधार स्तंभ इसी बरगद ने म० प्र० की पत्रकारिता को परिभाषित करनें में सहज अवदान अपने कर्म से दिया है..........सम्मानित हुए दाँऐ सम्मान ग्रहण करते हुए पत्रकार श्री विजय तिवारी ये
दौनों महानुभाव सम्मान से बचाते रहे खुद को सदा एक ही बात संस्थाओं को कहते रहे भाई.... हमसे योग्य हस्ताक्षर हैं इस प्रदेश में । हम नहीं माने और न मानना ज़रूरी ही था . हम मानते भी क्यों .दौनों की स्वाध्यायनिष्ठ ही वृत्ती जो गुप्त जी के अनुरूप है आम लोगों से परिचित तो कराना ही था इस खबर से . की मौन साधकों की कमी नहीं है इस दुनियाँ में .सादा जीवन उच्च विचार के पर्याय बने इन व्यक्तित्वों को मेरा नमन हम सबका नमन ...... शतायु हों

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मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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