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...और अब वह सम्पादक हो : डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी

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                              डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी आखिर वह सम्पादक बन ही गए। मुझसे एक शाम उनकी मुलाकात हो गई। वह बोले सर मैं आप को अपना आदर्श मानता हूँ। एक साप्ताहिक निकालना शुरू कर दिया है। मैं चौंका भला यह मुझे अपना आदर्श क्यों कर मानता है, यदि ऐसा होता तो सम्पादक बनकर अखबार नहीं निकालता। जी हाँ यह सच है, दो चार बार की भेंट मुलाकात ही है उन महाशय से, फिर मुझे वह अपना आइडियल क्यों मानने की गलती कर रहे हैं। मैं किसी अखबार का संपादक नहीं और न ही उनसे मेरी कोई प्रगाढ़ता। बहरहाल वह मिल ही गए तब उनकी बात तो सुननी ही पड़ी।  उनकी मुलाकात के उपरान्त मैंने किसी अन्य से उनके बारे में पूँछा तो पता चला कि वह किसी सेवानिवृत्त सरकारी मुलाजिम के लड़के हैं। कुछ दिनों तक झोलाछाप डाक्टर बनकर जनसेवा कर चुके हैं। जब इससे उनको कोई लाभ नहीं मिला तब कुछ वर्ष तक इधर-उधर मटर गश्ती करने लगे। इसी दौरान उन्होंने शटर, रेलिंग आदि बनाने का काम शुरू किया कुछ ही समय में वह भी बन्द कर दिए और अब सम्पादक बनकर धन, शोहरत कमाने की जुगत में हैं। पढ़े-लिखे कितना है यह तो किसी को नहीं मालूम लेकिन घर-गृहस्थी, खेती

जिसकी बीवी मोटी उसका ही बड़ा नाम हैं...: भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी

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भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी श्री भूपेंद्र सिंह द्वारा संप्रेषित आलेख प्रकाशित है.. आप अपनी टिप्पणी भेजने  भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी  पर क्लिक कीजिये अथवा मेल कीजिये bhupendra.rainbownews@gmail.com ______________________________________ महिला सशक्तीकरण को लेकर महिलाएँ भले ही न चिन्तित हों, लेकिन पुरूषों का ध्यान इस तरफ कुछ ज्यादा होने लगा है। जिसे मैं अच्छी तरह महसूस करता हूँ। मुझे देश-दुनिया की अधिक जानकारी तो नहीं है, कि ‘वुमेन इम्पावरमेन्ट’ को लेकर कौन-कौन से मुल्क और उसके वासिन्दे ‘कम्पेन’ चला रहे हैं, फिर भी मुझे अपने परिवार की हालत देखकर प्रतीत होने लगा है कि अ बवह दिन कत्तई दूर नहीं जब महिलाएँ सशक्त हो जाएँ।  मेरे अपने परिवार की महिलाएँ हर मामले में सशक्त हैं। मसलन बुजुर्ग सदस्यों की अनदेखी करना, अपना-पराया का ज्ञान रखना इनके नेचर में शामिल है। साथ ही दिन-रात जब भी जागती हैं पौष्टिक आहार लेते हुए सेहत विकास हेतु मुँह में हमेशा सुखे ‘मावा’ डालकर भैंस की तरह जुगाली करती रहती हैं। नतीजतन इन घरेलू महिलाओं (गृहणियों/हाउस लेडीज) की सेहत दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बनने लगी है फिर भ

वेब रिपोर्टिंग एवं ई-मेल के कड़वे अनुभव

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