मित्रों भारी वैचारिक संकट उत्पन्न हो गया है ऐसा मुझे लग रहा है 'आज नेट पर डोमेन नाम को लेकर जो समस्या प्रसूति है' उससे सुसंगत कुछ बातें आपसे शेयर करने को जी चाह रहा है आप अपने अतीत में जाएँ तो देखेंगेगे एक ही नाम सरनेम वाले कई बच्चे आपके साथ स्कूल में रहे होंगे जैसे विनय सक्सेना, राजेश दुबे, संजय सिंह, मनीष शर्मा, भीमसेन जोशी, मेरे साथ तो तीन गिरीश और थे दो गिरीश गुप्ता एक मैं एक गिरीश जेम्स उन दिनों न तो नीम का पेटेंट हुआ था न ही हल्दी का न ललित जी की मूंछों का किन्तु पिछले दिन पता चला कि मेरे 'कान' का भी किसी ने पेटेंट करा लिया है अब बताइये मैं क्या करुँ...? लोग सब समझतें हैं इन सब बातौं में कोई दम नहीं अरे कोई कुछ भी कर सकता है डोमेन नाम चर्चा आदि की चीर फाड़ से बेहतर है कि समझा जावे कि इन सब बातौं में क्या रखा हम सबको हिन्दी चिट्ठाकारिता के बेहतर आयाम स्थापित करने हैं अगर हमने ये न किया तो आने वाले समय में जब समीक्षा होगी तो बच्चे हम पर हसेंगे लानतें भेजेंगे तब हम ज़वाब न दे पाने कि स्थिति में होंगे. कबीर को किसने स्वीकारा होगा तब आज सब कबीर को जानते हैं ज़रूरी है कि "एकला चलो लेकिन बहु जान हिताय जात्रा करो''
कोई आपसे असहमत है होने दीजिये कोई आपको झुठला रहा है झुठलाने दीजिये अपना काम मत छोढ़िये और न ही अपने आल माइटी होने का गुमान पालिए. हम तो कुछ भी नहीं हैं हम उनको देखें जो ताड़पत्रों पे लिख रहे थे उनको देखें जिनके पास शक्तिशाली विचार थे सम्प्रेषण के साधन न थे जो आज हमारे पास हैं.. सब कुछ हैं बस समष्टि के विकास की सोच को छोड़ के जो कबीर के पास थी साभार विक्की पीडिया
आज एक ख़त लिख रहा हूँ पाबला जी को भी मज़ाक में कुछ संकेत दे रहा हूँ शायद पसंद आयें मेरी बात असहमत हों या सहमत हों मैंने जो कहना था वो तो कह दिया विचार आप कीजिये विवादों को ख़त्म कर दीजिये भारत के ब्लॉग जगत के सीनियर्स को भी चिट्ठा चर्चा.काम पर सादर आमंत्रित कर लीजिये रही नीलामी की बात अगर बात न बने तो फिर ज़रूर कीजिये नीलामी. लीजिये चिट्ठी लिख देता हूँ पाबला जी को
पाबला जीअभिवादन
आपका प्रस्ताव जाना मिश्रित सोच में पड़ गया हूँ. . यदि इस ब्लॉग/साईट की नीलामी करते हैं तो उसके लिए मेरी सलाह बिन्दुवार नि:शुल्क भेज रहा हूँ कृपया पावती भेजिए
एक:- इसका मौद्रिक मूल्य न रखा जावे.
दो:- इस नीलामी को ऑन लाइन किया जावे किन्तु कहीं कहीं नेट कनेक्शन में स्पीड का संकट होता है अत: आप किसी चेनल से बतिया लो और समस [ एस एम् एस ] से बोली लगवाइए
तीन:-बोली हेतु प्राथमिक शर्तों का निर्धारण
- एक क्षेत्र से 5 से अधिक बोली न लगायेंगे
- हर बोली लगाने वाले/वाली को चर्चा का लंबा अनुभव न भी हो तो कम से कम पिछले तीन बरस में प्रतिवर्ष पांच चर्चा ज़रूर की हों
- टिप्पणी अनुभव प्रति दिन बीस
- हर ब्लॉग को बांचने की क्षमता
पांच:- किसी को पानी की टंकी पे न चढ़ाया हो
छै :- बोली कर्ता को निष्ठावान,संतुलित,समालोचन की क्षमता का धनी होना ज़रूरी
सात:- किसी भी स्थिति में असंसदीय भाषा में टिपियाने वाले अथवा रचना चोर /छद्मनाम से टिपियाने वाले/ टांग खिचाऊ ब्लॉगर भाग न लें
शेष सुभ
आपका ही
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
आपका ही
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
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15 टिप्पणियां:
ये माजरा क्या है अपनी समझ मे तो आया नहीं मगर इस बात से सहमत हूँ
"एकला चलो लेकिन बहु जान हिताय जात्रा करो'' धन्यवाद्
हा हा
आपका खत मिला आपका शुक्रिया
गनीमत है खत में फूल नहीं था :-)
जिस एक शब्द पर केन्द्रित यह खत आया है उस शब्द के पहले कहे गए शब्द कोई नहीं कह रहा/ कोई नहीं बता रहा
अच्छा है। इस शब्द को लेकर किया जा रहे दुष्प्रचार के बहाने कई और लोगों की ... सरकती दिख रही हैं
बी एस पाबला
अरे किसी को दिक्कत क्या है? समझ नही आ रहा? थोडा समझाते या जिन्हे दिक्कत है उन का लिंक भी जोडते है....लेकिन जो भी बात हो वो वे फ़जुल है, अब कल मुझे कोई डोमेनो मिल जाये जो दुसरे को नही मिला तो.... झगडा, अरे काहे को झगडा भाई निकालो एक करोड डालर ओर लेलो
ये सारी बात जितनी आसान हो सकती थी उसे उतना ही जटिल बनाया जा रहा है
सभ्यता की किसी जन्ग मे कोई भी सिर्फ़ इसीलिये विजेता नही घोषित होना चाहिये कि वह बरिष्ठ है बल्कि अपने काम, सोच और व्यबहार से उसे ये अर्जित करना चाहिये.
आपके खेत मे हम क्रिकेट खेलते थे. आज आप उस पर प्लाट काट रहे है तो क्रिकेट खेलना बन्द हो गया तो क्या हम आपके इस अधिकार को लेकर कुछ कर अकते है.
जिन लोगो ने ब्लोग जगत को मेरे तेरे का अखाडा बनाया और किसी नये ब्लोगर को बिना चेला बने उभरने नही दिया वो लोग जान ले कि नये ब्लोगर सन्ख्या मे और समर्पण मे उनको पीछे छोड सकते है. इसलिये नये पुराने को लेकर विवाद ना हो तो ही बढिया है.
इस विवाद के २ ही हल है
या तो चावलाजी जी जान से चिट्ठा चर्चा को आगे बढाये या इसे अपने हाल पर छोड दे. जिस भाषा मे मसिजीवी और अनूप ने चावला जी को नैतिकता के पाठ पढाये है वो सिर्फ़ खिसियाहट के परिचायक है.
सभी के लिए आदर भाव के साथ हरी शर्मा जी का विशेष आभार जो कह रहें हैं कि ब्लागिंग में सिर्फ ब्लागिंग ही हो शर्मा जी बिलकुल सही फरमा रहे हैं अब जो भी हुआ साफ़ साफ़ तो मंज़र-ए-आम हो चुका है . कि नीलामी की बात का कोई आधार ज़रूर रहा होगा यह तो सब समझ रहे थे पाबला जी की इस टिप्पणी को देखिये ''जिस एक शब्द पर केन्द्रित यह खत आया है उस शब्द के पहले कहे गए शब्द कोई नहीं कह रहा/ कोई नहीं बता रहा''
पाबला जी सच बिना आग के धुंआ कहाँ निकलता है ...पर यह विवाद आगे दूर तलक न जाए सो इसे एक खूब सूरत मोड़ आप ही दे दीजिये .... अब राज़ दादा जी का मान रखिये कपिला जी का ध्यान भी शेष हम सब समझदार हैं......
@हरि शर्मा जी,
आपसे टंकण में एक छोटी सी त्रुटि हो गई है 'चावला जी' नहीं वो 'पावला जी' हैं...
आपकी बात से शत-प्रतिशत सहमत...
pata nahi kya ho rahaa hai.apne to samajh se pare hai.chhoti chhoti baat par itna batangad.isse to dur hi rahaa jaye to jyada behatar hai.
चिता जायज है
शर्तें तो बड़ी जटिल हैं. :)
शर्तें जो रखी गईं हैं, बहुत कठिन हैं और कौन पूरी करता है, इसका तो भई पूरा विश्लेषण करना पड़ेगा।
खुला खत लिफ़ाफ़े मे बंद निकला
अगढ कविता नही ये छंद निकला
खत खोल दिया तो
चिट्ठाचर्चा भी दी जाए
खोल
देखते हैं किसमें है
कितनी पोल
बोल ब्लॉगर बोल।
गिरीश जी,
आपकी शर्तों पर खरा कौन उतर सकता है, पाबला जी को इन्हीं शर्तों के साथ डोमन नेम को बेचने की प्रक्रिया प्रारंभ कर देनी चाहिए, कम से कम डोमन नेम तो बच ही जाएगा। जय हो आपकी शर्तों की।
राजकुमार जी,
यदि यह डोमेन मेरे नाम पर होता या मेरा अधिकार होता तो मैं आपके सुझाव पर ध्यान दे पाता। लेकिन इस डोमेन पर तो छत्तीसगढ़ के ब्लॉगर एसोसिएशन का अधिकार है।
वैसे भी पोस्ट्मैन या कुरियर का किसी लिफाफ़े पर क्या अधिकार होगा?
हाँ, लावारिस को जाए कोई चीज, तो कोई क्या करेगा?
आपका पोस्ट पढ़कर तो आनन्द आ गया!
इसे चर्चा मंच में भी स्थान मिला है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/01/blog-post_28.html
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