अगर आपने ब्लागवाणी पसंद का उपयोग किया हो तो यह देखा होगा कि एक पसंद देकर दोबारा दूसरी पसंद देने से नहीं होती. ऐसा सुनिश्चित करने के लिये कई मिली-जुली तकनीकों का इस्तेमाल किया गया था जिसमें IP Address, Cookies, Sessions आदी का इस्तेमाल होता है. इसलिये ब्लागवाणी की पसंद का दुरुपयोग साधारण प्रयोक्ता के लिये आसान नहीं था.
ब्लागवाणी को सुचारू रूप से चलाना के लिये कई तकनीके और सिस्टम बनाये गये थे जिनसे उसके कामकाज में विराम न हो और वह निर्बाध रूप से चलती रहे. ब्लागवाणी का हर हिस्सा कई तरीके की सुरक्षा तकनीकों का इस्तेमाल करता है, ब्लागवाणी पर आने वाली हर पसंद का पूरा हिसाब रखा जाता है. ब्लागवाणी पर आने वाली हर पोस्ट पर आने वाली हर पसंद का समय एवं IP address ब्लागवाणी के डाटाबेस में मौजूद है.
पिछले कुछ समय में एसी ब्लाग पोस्ट आयीं जिनमें ब्लागवाणी की पसंद का दुरुपयोग करके बेबात बढती पसंद पर चिंता जताई गई थी. अपने इन्टरनेट कनेक्शन को बार-बार डिसकनेक्ट करके फिर से कनेक्ट कर IP बदल कर और ब्राउज़र में कैश मिटाकर या IP बदलने वाले औजरों का प्रयोग करके पसंद बढाने के बारे में बताया गया था.
इन पसंदो का अध्ययन कर पाया गया कि नकली पसंद की IP में पैटर्न थे (जैसे सिर्फ आखिरी अंको का बदलना, आदि). एक सुरक्षा प्रोग्राम बनाया गया जो समय-समय पर चलकर इस पैटर्न को डिटेक्ट करके नकली पसंद निकालता है. अगर किसी ब्लाग पर निश्चित प्रतिशत से अधिक नकली पसंदे आयीं हों तो वह प्रोग्राम उस ब्लाग पर आने वाली पसंदे कुछ समय के लिये रोक देता है.
सुरक्षा उपाय तभी ज्यादा कारगर होते हैं जब हैकरों को उनके बारे में पता न हो. इसलिये सुरक्षा उपाय हमेशा गुप्त रखे जाते हैं जिनके बारे में कोई पब्लिक अनाउंसमेंट नहीं की जाती. जानकारी सार्वजनिक करने का अर्थ है कि इनका तोड़ निकालने का साधन दे देना. दूसरे क्या ब्लागवाणी हर सवाल उठाने वाले ब्लागर की बढ़ी हुई पसंद की ip सार्वजनिक करती रहती ? यह अपमानजनक होता या सम्मानजनक? यह नकली पसंद किसी अन्य द्वारा भी तो की जा रही हो सकती थी. ब्लागवाणी के पास इन पसंदों की आईपी पता और समय मौजूद है.
अंतत:
ऐसा नहीं है कि हम सोचते नहीं हैं, या हमारी विचारधारा नहीं है. हमने कभी भी उनको अपने काम पर हावी नहीं होने दिया. ब्लागवाणी इसका सबूत कैसे दे? क्यों दे?
ब्लागवाणी चलाना हमारी मजबूरी कभी न थी बल्कि इस पर कार्य करना नित्य एक खुशी थी. पिछले दो सालों में बहुत से नये अनुभव हुए, मित्र भी मिले. उन सबको सहेज लिया है, लेकिन अब शायद आगे चलने का वक्त है. तो फिर अब हम कुछ ऐसा करना चाहेंगे जिससे फिर से हमें मानसिक और आत्मिक शांति मिले.
इन दो सालों में आप सबके हार्दिक सहयोग मिला इसके लिये बहुत आभार. अब ब्लागवाणी को पीछे छोडकर आगे जाने का समय आ गया है."
विदा दीजिये ब्लागवाणी को,
टीम ब्लागवाणी
टीम ब्लागवाणी
**********************************************************************************************
ब्लॉगवाणी के संचालकों से एक विनम्र आग्रह है की यह सही है "कि ब्लागवाणी चलाना हमारी मजबूरी कभी न थी बल्कि इस पर कार्य करना नित्य एक खुशी थी किन्तु आपके अवदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता. आप प्रतिदिन एक सूची मात्र जारी कीजिए ...... ये नंबर वन की दौड़ ........... आज की स्थिति में न सिर्फ आपकी वरन आम ब्लॉगर की नज़र में भी ठीक न थी. न है...... हो सकता है कि मुझसे कई मित्र असहमत होंगे किन्तु मैं कहे देता हूं जो मेरे मन में है -"जिसे आज गर्म जोशी से स्वीकारा सराहा और पसंद किया जाता है उसे कल कोई चर्चा में भी लाए इसकी कोई गारंटी नहीं अत: मेरी राय है संकलकों को अपना काम जारी रखना चाहिए...........टिकेगा वही जो प्रभावशाली होगा ...... कुम्हडे के फूल न टिके हैं न टिक सकते हैं " अगर ब्लागवाणी इन पसंद जुगाडू लोगों से आजिज़ आ कर काम बंद करती है तो पुन: विचारण का अनुरोध स्वीकारिए ............
**********************************************************************************************