19.10.09

क्षणिकाएं

##############
एक  
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एक कोयला जो
उपयोगी तो है किन्तु
शीतलता में हाथ काले कर ही देता है
जलते ही आग से हाथ जलाता है ...?
मित्र
अगर
उसे सलीके से उपयोग में लाओ तो
कल तुम कह न सकोगे
"एक कोयला .........."
##############
दो
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तुम जो देश को
कानून को मुट्ठी में
कस कर घूम रहे हो
कभी सोचते होगे की सर्व शक्ति मान हो ?
मित्र सच कहूं
पराजय के लिए एक आह ही काफी होगी

6 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

पराजय के लिए एक आह ही काफी होगी
जबरदस्त

Udan Tashtari ने कहा…

हाईकु नहीं कहता..क्षणिकायें बहुत उम्दा रहीं.

Dr. Shreesh K. Pathak ने कहा…

हाँ; ये क्षणिकाएं ही है..अच्छी भी हैं...

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Ab theek hai n

निर्मला कपिला ने कहा…

तुम जो देश को
कानून को मुट्ठी में
कस कर घूम रहे हो
कभी सोचते होगे की सर्व शक्ति मान हो ?
मित्र सच कहूं
पराजय के लिए एक आह ही काफी होगी
लाजवाब है ये क्षणिका शुभकामनायें

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत उम्दा क्षणिकाये...
तुम जो देश को
कानून को मुट्ठी में
कस कर घूम रहे हो
कभी सोचते होगे की सर्व शक्ति मान हो ?
मित्र सच कहूं
पराजय के लिए एक आह ही काफी होगी

बिलकुल सही कहा.
धन्यवाद

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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