अन्ना गांधी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
अन्ना गांधी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

16.8.11

अन्ना गांधी वर्सेस ..अदर.गांधी....भाग दो

अन्ना की कहानी अन्ना की जुबानी
वो लोग जो  लोग को पसंद नहीं करते हैं वो मानतें हैं कि अन्ना हज़ारे "व्यक्तिवादी हैं." अन्ना की शिक़ायत करते हुए कोई कह रहें हैं कि अन्ना एक  के इर्द गिर्द अराज़कों का जमवाड़ा है..
आप खुद देखिये यहां  
अन्ना के लिये लोग जो भी कहें या अन्ना अपने बारे में जो भी कहें.. एक बात तो सही है
"होना तय है क्योंकि भ्रष्टाचार है ही अति संवेदन शील मुद्दा "

14.8.11

अन्ना गांधी वर्सेस ..अदर.गांधी.....?


गुज़रात वाले गांधी के चेले अन्ना के बारे में जो कुछ जाना तो लगा कि अन्ना को अन्ना गांधी बोल देने में कोई हर्ज़ नहीं..! अन्ना के किसे क्या नज़र आ रहे हैं  इस मसले पर मुझे ज़्यादा कुछ कहना नहीं है. परंतु अन्ना मेरी नज़र में एक ताक़त तो ज़रूर बन गए हैं. कुछ लोगों को भ्रम है कि अन्ना केवल एक वर्ग विशेष का नेतृत्व कर रहे हैं.. ऐसा सोचना ग़लत है मुझे लगता है (सत्य भी यही है) अन्ना वाक़ई दिलों में स्थान बना चुके हैं. गांधी देश  की नज़र में कितना आदरस्पद थे इस बात का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि  मेरी नानी अपनी संध्या आरती के समय जिन देवी देवताओं का जयकारा करतीं थीं उसमें "गांधी बाबा की जय" भी शामिल था.यानी एक आयकान की स्थिति तक पहुंचना आदर्श बन जाना अपढ़ गंवारों के दिल में बैठना.. किसी साधारण सख्सियत के बूते की बात नहीं. तब तो शहर भी आज के कस्बे की तरह हुआ करते थे गांधी ने कोई एस एम एस , फ़ेसबुक,ट्वीटर का सहारा न लिया था फ़िर भी देश के दिल में बसे थे . अन्ना भी गांधी की तरह देश के आम आदमी को पसंद आ रहे हैं. कारण ये कि "हर भारतीय भ्रष्टाचार से मुक्ति का मार्ग खोज रहा है..!" जैसा कि गांधी के दौर में हर भारतीय अंग्रेजों से भारत की आज़ादी की बाट जोह रहा था. 
आज़ ही मैने एक रिक्शे वाले से पूछा "अन्ना हज़ारे को जानते हो ..?"
"जी,साहब कौन नहीं जानता.. वो ही तो है जो ईमान का राज लाएगा.."
              ईमान के राज़ के लिये छटपटाता भारत एस एम एस , फ़ेसबुक,ट्वीटर की वज़ह से नहीं छटपटाता वो यक़ीन कीजिए सियासी दांवपेंच और सफ़ेद झूटों से उकता चुका है.. उसे एक आयकान की तलाश थी जो मिला अन्ना के रूप में. उसे अब स्विस बैंक का मामला भी समझ आ गया. उसे अखबार पढ़ना आए न आए रेडियो सुनना टी वी देखना आता है .. बेशक़ अन्ना का अनुयायी हो गया है.. अन्ना वाक़ई गांधी है.. विचार से तो बताएं जिनने गांधी को पहन रखा है वो कहां तक इस गांधी के मुक़ाबिल खड़े रहेंगें जो गांधी को जी रहा है उसका शक्तिवान होना अवश्यंभावी है. सवाव अब ये है कि :-"

  • क्या अन्ना अन्ना हजारे देश के दूसरे गांधी हैं..?"
सख्त लोकपाल विधेयक के लिए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का आमरण अनशन बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। अन्ना के गांव में राले गांव सिद्धी में भी प्रदर्शन जारी है। वहां भी लोगों ने सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। मंगलवार का अन्ना का पूरा गांव भूखा था। अन्ना के गांव में नारे गूंज रहे हैं अन्ना हजारे आंधी है...देश का दूसरा गांधी है....।देश भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को मिल रहे समर्थन के बीच जाने-माने गांधीवादी हजारे ने कहा है कि सरकार भ्रष्टाचार रोकने को लेकर गम्भीर नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनेताओं पर अब विश्वास नहीं किया जा सकता।इस बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (युनाइटेड) ने हजारे के अनशन को अपना समर्थन दिया है जबकि कांग्रेस ने हजारे के उपवास को 'असामयिक' करार दिया है।5 April 2011 मंगलवार को महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद हजारे ने जंतर-मंतर पर अपना अनशन शुरू किया। अनशन पर बैठने से पहले हजारे ने कहा, ‘यह दूसरा 'सत्याग्रह' है।हजारे समर्थक लोकपाल विधेयक के समर्थन में राष्ट्र ध्वज और तख्तियों के साथ राजघाट और जंतर-मंतर पर एकत्रित हैं। हजारे के समर्थन में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल, स्वामी अग्निवेश, मैगसेसे पुरस्कार विजेता किरन बेदी, संदीप पांडे सहित अन्य लोग शामिल हुए ।( स्रोत : विकी पीडिया से )

  • अन्ना क्या तालिबानी गांधी है..? कुछ लोग कहते हैं कि अन्ना तालिबान गांधी हैं .. हंसी आती है ऐसे वक्तव्य वीरों के विचार पर लगता है कि गांधी की चीरफ़ाड़ का इससे अनोखा अवसर उनको कब मिलता ... 
__________________________________________________________________________________
यक़ीन  तो होने लगा है कि अन्ना-हजारे नहीं अन्ना गांधी है..  उसे अनदेखा अनसुना करना ज़ायज़ नहीं.. अब तो सबसे पहले सरकारी मशीनरी को  आत्म चिंतन करना है कि क्या बिना भ्रष्ट हुए जीना संभव है..? मेरे ख्याल से अवश्य जिया जा सकता है . अपनी ज़रूरतों की पूर्ति करो बस इच्छाओं लालसाओं के पीछे मत भागो.. ज़रूरत तो भिक्षुक की भी पूरी हो जाती है लेकिन लालसा किसी सम्राठ की भी पूरी नहीं होती. ये सही है...
__________________________________________________________________________________
जी आपको यक़ीन हो न हो मुझे यक़ीन है. सुन्दर लाल बहुगुणा ने भोपाल प्रशासन अकादमी में अधिकारीयों को सम्बोधित करते हुये  ये शब्द कहे थे (वर्ष मुझे याद नहीं आ रहा) :- ”प्रकृति और चरित्र दौनों की रक्षा आप सादगी के आयुध से कर सकतें हैं.."
__________________________________________________________________________________
आप यक़ीन करें न करें इस जन क्रांति के सामने सारी दलीलें बेहद लाचार साबित हो जाएंगी अन्ना को गलत और गै़रजरूरी करार देने वाली.. 

__________________________________________________________________________________
इस आलेख का किसी भी सियासी संकल्प से कोई लेना देना नहीं वरन इस बात की पतासाजी करना है कि क्या वाक़ई अन्ना अब के दौर के आईकान हैं.. महसूस तो हो रहा है कि सही है वे एक आईकान हैं...  
__________________________________________________________________________________

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...