26.3.19

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है…….?



ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है…….?

         वास्तव में ये सवाल ज़ायज़ है आज के दौर के लिए कबीर मिर्ज़ा ग़ालिब यहाँ तक कि स्वामी विवेकानंद भी मिसफिट हैं । 
         मन में खिन्नता है मेरे शाम को घर लौटता हूँ टीवी पर डिबेट के नाम पर अभद्र वार्तालाप ओह क्या हो गया है... इस मीडिया को लोगों को । 
        जब भी सोचता हूं गुरुदत्त के बारे में तो लगता है कि कुआं खुद बेहद प्यासा रहा है अपनी जिंदगी में । कवियों कलाकारों की जिंदगी का सच यही है बेशक मैं इन्हें शापित गंधर्व कहता हूं ।
याद है ना आपको राज कपूर की वह फिल्म जिसमें एक सर्कस का कलाकार अपनी जिंदगी के चारों पन्नों पर कशिश लिख देता है । जरूरी भी है ए भाई इस दुनिया को देख कर चलना । यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ।
 प्यासा और कागज के फूल मैंने अपनी युवावस्था में देखी फिल्म में है जब भी इन फिल्मों को देखता हूं आंखें डबडबा जाती हैं । बहुतेरे ऐसे कलाकारों को भी जानता हूं जो मिसफिट होते हैं समाज के लिए और एक अंतर्द्वंद लेकर समाज में जीते भी हैं और मरते भी । अंतस की पीर से ऐसी ऐसी रचनाएं उभरती है गोया खुद ईश्वर उतर आते हैं हम में और हम दुनिया को कुछ दे पाते हैं । कभी कभी यह गाते हुए दुनिया को तिलांजलि देने की इच्छा होती है कि मेरा जीवन कोरा कागज कोरा ही रह गया । दुनिया कविता चित्रकारी मूर्ति कला गीत गायन संगीत की स्वर लहरियां बिखेरने वालों को दुनिया के लिए मिसफिट मानने लगती है । एक बार मेरे एक मित्र मुझसे मिले उन्होंने पूछा क्या कर रहे हो उन दिनों मैं बेरोजगार था जॉब की तलाश में था तो स्वाभाविक तौर पर मेरा जवाब था कविता कर रहा हूं !
कविता ने तुम्हें रोटी नहीं देनी है कविता से कपड़ा भी नहीं मिलेगा मकान की तो छोड़ो यार कुछ जॉब करो जॉब के लिए तैयारी करो देखो मैं फला जॉब में हूं ।
मित्र की बात सीने पर हथौड़े की तरह जा लगी लेकिन मैंने धीरे से कहा- मित्र शादी नौकरी बाल बच्चे इसके अलावा दुनिया में और भी बहुत सारी चीज है जिसके लिए हम जमीन पर आए हैं....!
मित्र अजीब सी नजरों से मुझे निहारता गया और किसी जरूरी काम से जाने का हवाला देकर निकल गया । मित्र का जाना मुझे अखर नहीं लेकिन इस तरह जाना तो किसी को भी अखर सकता है । 
धैर्य से सोचता रहा इस निष्कर्ष पर पहुंचा मुझे उसे यह नहीं बताना था कि मैं कविताएं लिख रहा हूं बल्कि यह कि मैं पीएससी की तैयारी कर रहा हूं ! कुल मिलाकर कविता के महत्व को उसी दिन पहचाना पहले तो मैं महा कवियों के नाम काम का यशोगान करता था पर आज उनकी रचनाओं पर भी शोक मनाने लगा था जिसका लेश मात्र भी असर मित्र पर नहीं पड़ा लगता है कविता कारी कलाकारी सब बेकार है लेकिन ऐसा नहीं है हम सृजन इसलिए करते हैं कि ईश्वर हम में आकर हमारे इस सृजक को जगा देता है ।
कालिदास शेक्सपियर मंटो तुलसी मीरा और जाने कौन कौन कितना कितना लिख गई कबीरा ने तो मार मार के लिखा पर आज की यह दुनिया है ना यह हमें मिल भी जाए तो क्या है दोस्तों इस लेख को पढ़कर आपको समझ में जरूर आ गया होगा कि यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ।
अगर आपके पास बिल्डिंग हैं कार है अच्छा खासा बैंक बैलेंस है तो यह दुनिया ने दिया है पर आपने  दुनिया को क्या दिया यह सूचना जरूरी है ।
ओहदे तख्त ताज जवाहरात सब कुछ लेकर कोई मुझे कबीर बनने को कहेगा और बना देगा सच बताऊं बेशक ऐसा सौदा मंजूर कर लूंगा इस तिजारत में लाभ है.. मुझसा मुफलिस दाता बन जाए वो भी पल भर में  
कबीर देकर गया है अरस्तु ने भी दिया है कौटिल्य ने कम दिया है क्या हो सकता है मैं बहुत थोड़ा सा दे सकूं पर्दे कर जरूर जाऊंगा । इस दुनिया वालो  मेरे मरने का स्यापा मत करना थोड़ा मुस्कुराना जो मन चाहे वैसे मस्ती से विदा करना जानते हो परम यात्रा है मृत्यु.... जरा सा दूर जाने वालों को विदा करने रेलवे स्टेशन आते हो बस स्टैंड जाते हो अरे हां एयरपोर्ट भी जाते हो न...! बहुत छोटी यात्राएं होती है यह सब सच बताऊं महा यात्रा पर निकल लूंगा अच्छे से विदा करना हां याद रखो रास्ते में सब कुछ मिलता है किसी को कुछ खिलाने की जरूरत नहीं कि मेरी तक को पहुंचा देगा किसी को मेरे लिए रोने की जरूरत ही नहीं क्योंकि तुम्हें रोता देख औरों के आंसू पूछना बहुत मुश्किल होगा महायात्रा में इन सब बातों का बड़ा महत्व है ... है ना सलिल भाई Salil Dhruv जी Anjani जी करा लीजिए 
इन सब से पुष्टि जिनके नाम मैंने लिखे हैं . मित्रों सच कहूं दुनिया ने मुझे भी दर्द के अलावा कुछ नहीं दिया और यह जो कहानी है ना कागज के फूल और प्यासा की हम सृजन करने वालों की कहानी है ... है ना अरुण जी Arun Pandey
Mehul Yadav Poojaa Kewat Shubham Pathak सहित सभी को मेरा ढेर सारा प्यार ..

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