जन्म से अद्भुत घटना कोई नहीं
मृत्यु से बड़ी शांति कभी नही ।।
माँ से महान कोई भी नहीं-
पिता से बड़ी छाँह कहीं नहीं ।।
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मुझे शांति की तलाश है मुझे महानता की तलाश है जो मां के पास है मुझे उस बोधि वृक्ष की तलाश है जो पिता के अस्तित्व का एहसास कराती है ।
मित्रों आप सब के विचार जाने आप की सहमति स्नेह से पगी है । इस पोस्ट में जीवन का सत्य अनुभवों और विचार विमर्श से हासिल हुआ है । सच भी यही है जब मां की महानता की बात आती है तो पता चलता है की मां हाड़ मांस सब कुछ देख कर 9 महीने तक खुद तपस्विनी सी मुझे गलती है गर्भ एक आराधना स्थल है जहां छिपाकर मां ने मेरा निर्माण किया है ।
सोचो समझो तो पता चलता है कि मेरे अनुकूल माने आहार तैयार किया है जिसे अमृत से कम नहीं समझा जाना चाहिए ।
सारे माई के लाल ऐसे ही जन्म लेते हैं । हाल में आपको कसाब वाली घटना याद होगी जब आतंकियों से मां ने बात की थी तो पूछा था बेटा तुमने कुछ खाया कि नहीं यहां आतंकियों के पीछे की तारीफ नहीं कर रहा हूं पर उसकी मां ने जो उसकी भूखे रहने की चिंता की उस पर चकित हूं आप भी जब घर में नहीं होते अपनी मां को कॉल कीजिए तो मां केवल यही पूछेगी- तुमने कुछ खाया यह एहसास किसी भी नारी से आप प्राप्त कर सकते हैं ।
रामकृष्ण परमहंस ने कहा था अपनी पत्नी को मां विजन देखिए उनका दृष्टिकोण नारी के प्रति बेहद स्पष्ट और साफ-साफ था । मैं तो कहता हूं की जन्म से लेकर आखिरी सांस तक नारी मां होती है ।
मेरी बेटी विदेश में जब भी वह कॉल करती है या उसे हम कॉल लगाते हैं तो मेरी पत्नी सबसे पहले उसे यह पूछती है आज तुमने कुछ खाया तुमको यह खा लेना था तुमको वह खा लेना था भूखी मत रहा करो
यह घटना रोजना घटती है जो मुझसे कहती है साफ तौर पर कहती है कि अगर ईश्वर को खोजना है तू ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं केवल मां से मिल लो या उसे समझ लो ।
ठीक उसी तरह जीवन के सारे तनाव दुनिया भर की बातें रंजिश ओं के बीच जब मैं बाबूजी के बारे में सोचता हूं तो लगता है कि बरगद तो है साथ में यह अलग बात है की परिस्थितियां क्या होती है लेकिन उनका एहसास मात्र शीतलता प्रदान करता है अब जबकि भयावह अंतर्द्वंद का दौर है लोग जिंदगी को इतनी सादगी से नहीं जी सकते जितनी सादगी से हमारा अध्यात्म सिखाता है तब 87 या 88 साल के बुजुर्ग से हमें ऐसी छांव मिलती है जिसके नीचे बैठकर ऐसा लगता है कि हम बुद्ध हो गए ।
जन्म लेना सबसे अद्भुत घटना और इस अदभुत घटना को अंजाम मिलता है मां की अकथ सैक्रिफाइस से ।
मृत्यु चिरंतन शांति का पल होता है । वेदना तनाव पीड़ा हर्ष विषाद कुंठा उत्साह से दूर एक अंतहीन वैराग्य का पथ जन्म तक सनातन से हमने सीखा है ।
मां की महानता के बिंदु पर प्रश्न करने वाली लोगों की कमी नहीं है
एक युवक ने आज का- सर मैं यह नहीं मानता की मां सबसे महान है !
मैंने प्रति प्रश्न किया- क्यों ?
उत्तर मिला नालियों में नदियों में नवजात शिशु मरे होते हैं तो क्या आप समझते हैं कि मां महान हो सकती है ?
युवकD को जब यह समझाया बेटा एक मात्र इस आधार पर दुनिया भर की माताओं महानता से अलग नहीं किया जा सकता ।
और बच्चा अगर झाड़ियों के पीछे फेंक दिया जाता है उसे मां नहीं मारती है उसे मारता है समाज का दबाव असहज रूप से जिंदगी जीने से पग पग पर अपमानित होने से कुछ बेटियां शिशु को छोड़ना बेहतर समझती है इससे उसका हां केवल उसका मातृत्व लांछित होता है दुनिया की सारी माताओं को यह कहकर अपमानित क्यों करते हो ? उसके पास कोई जवाब ना था ।