फागुन के गुन प्रेमी जाने
*होली पर हार्दिक शुभकामनाएं* फागुन के गुन प्रेमी जाने, बेसुध तन अरु मन बौराना । या जोगी पहचाने फागुन, हर गोपी संग दिखते कान्हा ।। रात गये नजदीक जुनहैया, दूर प्रिया इत मन अकुलाना । सोचे जोगीरा शशिधर आए, भक्ति - भांग पिये मस्ताना ।। प्रेम रसीला, भक्ति अमिय सी, लख टेसू न फूला समाना । डाल झुकीं तरुणी के तन सी, आम का बाग गया बौराना ।। जीवन के दो पंथ निराले, कृष्ण भक्ति अरु प्रिय को पाना । दोनों ही मस्ती के पथ हैं, नित होवे है आना जाना...!! चैत बैसाख की गर्म दोपहरिया – सोच के मन लागा घबराना । छोर मिले न ओर मिले, चिंतितमन किस पथ पे जाना ? मन से व्याकुल तन से आकुल राधारमण का कौन ठिकाना । बेसुध बैठ गई सखि मैं तो- देख मेरा सखि तापस बाना ।। गोकुल छोड़ गए जब से तुम छूटा हमारा भी पानी-दाना । प्राण की राधा झुलसी झुलसी तुरतई अब किसन को होगा आना ।। 💐💐💐💐💐💐 *गिरीश बिल्लोरे मुकुल*