4.2.21

अगर कुंठित है तो क्या आप आध्यात्मिक हैं? कदापि नहीं,


अगर कुंठित है तो क्या आप आध्यात्मिक हैं? कदापि नहीं, धर्म अध्यात्म दर्शन सब कुछ वस्तु वाद को प्रवर्तित नहीं करता। ना ही वस्तु वाद से सनातन का कोई लेना देना है। सनातन इस बात की अनुमति देता है कि- हम आप वसुधैव कुटुंबकम की विराट कांसेप्ट को अंतर्निहित करें। किसी का भी गलत स्केच बनाना यानी उसको गलत तरीके से पोट्रेट करना मलिनता की निशानी है। 
कार्ल मार्क्स बहुत बड़े विद्वान थे। हम सब जानते हैं। सर्वहारा के लिए बहुत बड़ा चिंतन सामने लेकर आए। उनके सिद्धांतों से ठीक वैसे ही विरक्ति आ सकती थी जैसा कि गीता के  अध्याय को पढ़कर आती है । 
परंतु उनका चिंतन रियलिस्टिक साइंटिफिक मैटेरियल को लेकर आगे बढ़ता है। कार्ल मार्क्स कहते हैं कि दुनिया में साम्य की स्थापना हो। 
 सर्वहारा यानी मजदूर वर्ग सुखी हो। यहां तक सबको स्वीकार्य है कार्ल मार्क्स लेकिन उनके बाद अनुयाईयों ने खूनी संघर्ष शुरू कर दिया और स्टालिन तक आते-आते लाल झंडे का रंग गहराता चला गया। *जब सत्ता का स्वाद जीभ पर लग जाता है तब वसुधैव कुटुंबकम अर्थात हम सब की परिकल्पना उसी घातक स्वरूप में बदल जाती है जहां से कार्ल मार्क्स बचा कर ले जाना चाहते थे*
 यह जर्मन की व्यवस्था थी मोनार्की ने जर्मन को कार्ल मार्क्स जैसा महायोगी दिया किंतु वे भौतिकवाद के प्रवर्तक बन गए जबकि वे सब को सुखी देखना चाहते थे। इसके विपरीत सनातन परंपरा में राम ने विश्व विजय प्राप्त की पूरे विश्व के लगभग पूर्व एशिया मध्य एशिया अफ्रीका यहां तक कि लंका से आगे तक राम का साम्राज्य विस्तारित हुआ। राम ने  विश्व में राम राज्य की स्थापना की। जिसके अवशेष जावा सुमात्रा मलय कंबोडिया कंपू चिया म्यानमार तक आज भी मिलते हैं। राम ने वैचारिक और बौद्धिक समृद्धि विश्व बनाने की सफल कोशिश की थी। उसके कुछ हजार साल बाद महायोगी कृष्ण आए थे हम सब जानते हैं। कृष्ण ने कौरवों को अपना विरोधी अंतिम सांस तक नहीं माना। कृष्ण तो बाल्यकाल से ही अन्याय के विरोध में खड़े थे। उनका अंतिम प्रस्ताव था केवल 5 गांव परंतु विद्वान मित्रों का मित्र बलशाली दुर्योधन इस पर भी तैयार ना था। अंततोगत्वा कृष्ण ने समझौता ना करते हुए जिसका जो अधिकार था उसको सौंप दिया। 
  संपूर्ण युद्ध केवल 18 दिन चला श्री कृष्ण ने बड़े परकोटे वाली द्वारका नगरी बना ली और आराम से शेष जीवन सामान्य बिताने लगे। 
 मैंने यहां 3 चरित्र उल्लेखित किया है कार्ल मार्क्स श्री राम और श्री कृष्ण कार्ल मार्क्स को छोड़कर राम और कृष्ण समाज के लिए कुंठित नजरिया ना रख कर वसुधैव कुटुंबकम की अलख जगाई।
 255 साल पूर्व कार्ल मार्क्स का सिद्धांत प्रकाश में आया। और अब तक विश्व को उसके अनुचर दुख दे रहे हैं। क्योंकि यथार्थ पदार्थ वादी चिंतन से ईश्वर तत्व को ना मानने वाले लोगों ने जिस बर्बरता पूर्ण ढंग से सोवियत संघ चाइना कंबोडिया लाओस जैसे  देशों में रक्तपात  किया है तथा उनको निशाना बनाया है। उस दौर का एहसास करते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि यह आलेख क्यों लिखा गया..?

इसके पीछे 3 मकसद है-
*01. पूजा पाठ कर लेना अनुष्ठान कर लेना मात्र सनातन का ऐसा नहीं है बल्कि संपूर्ण आचार विचार में परिवर्तन करना उद्देश्य होना चाहिए।*
*02. जब तक हम पदार्थ वादी चिंतन को श्रेष्ठ मानते रहेंगे तब तक ना तो हम खुद का विकास कर सकते और ना ही सामाजिक संरचना को समझ सकते हैं। सामाजिक संरचना को समझने का अर्थ है सब के प्रति सहृदयता और असहमति का सम्मान। राम और कृष्ण का जीवन इसी दार्शनिक बिंदु पर एकात्मता का संदेश देता है। और निहित स्वार्थों के चलते व्यवस्था को क्षतिग्रस्त भी नहीं करता*
*03. जब जब भी हम सब का कांसेप्ट क्षतिग्रस्त हुआ है तब तब समाज में कुंठाएं जन्म लेती हैं। और ऐसी कुंठा किसी को अपमानित करने और उसे गलत ढंग से पोट्रेट करने की कोशिश में बदल जाती है।

28.1.21

ओह तो मेघा पाटकर भी भटके हुए लोगों के आंदोलन की हिस्सा हैं ?


 वीडियो अवश्य देखिए मेरे चैनल मिसफ़िट लाइव पर 
Is kisan andolan anti indian khalistan movement

लाल किले कांड पर के संदर्भ में लोगों का यह मानना है कि यह आंदोलन भटक गया है वास्तविकता तो यह है कि यह भटके हुए लोगों का आंदोलन है जो भारत को विश्व में बदनाम करने की साजिश थी।
     अपने हाथों में फैक्चर का दर्द भोगने वाली एस एच ओ बलजीत सिंह ने बताया कि-" असलहे लेकर आए थे और हमने धीरज नहीं खोया।'
    कमर में गंभीर फैक्चर होने के बावजूद घायल जोगिंदर सिंह सहायक इंस्पेक्टर पुलिस ने पंजाब भारतीयता और देश प्रेम का संदेश दिया .
   दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि- "लगभग  394 पुलिसकर्मी विभिन्न अस्पतालों में इलाज कर रहे हैं 19 आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं 50 आरोपियों को हिरासत में रखा है किसान निर्धारित समय और निर्धारित रूट से बाहर जाकर ट्रैक्टर रैली प्रारंभ कर दी।"
   इस सूचना के साथ कि भानु सिंह एवं वीएम सिंह के गुट ने आंदोलन से स्वयं को अलग कर लिया है।
 वी एम सिंह के नेतृत्व में एवं  श्री भानु जी जो चिल्ला बॉर्डर पर मौजूद आंदोलनकारियों का नेतृत्व कर रहे थे। यह दोनों नेता भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के अपमान से शुद्ध थे और इन्होंने 27 जनवरी 2021 की शाम होते-होते आंदोलन से ही अपने आप को अलग कर लिया .
    आप जो शेष बचे हैं उनमें राकेश टिकैत योगेंद्र यादव मेघा पाटकर जैसी वामपंथी विचारकों के हाथ में किसान आंदोलन की बागडोर है जो वास्तविक रूप में शुरू से ही थी।
   इस बीच मृत युवक की पहचान ऑस्ट्रेलिया निवासी युवक के रूप में की गई है। जो विगत कुछ माह पूर्व भारत आया था और आंदोलन में किसान के रूप में शामिल हुआ। इस युवा की मृत्यु ट्रैक्टर के पलटने से हुई है।
   राकेश टिकट मेघा पाटकर और योगेंद्र यादव की परिकल्पना को आकार देने वाला दीप सिंधु का सीधा रिलेशन वर्तमान में धर्मेंद्र देओल सनी देओल परिवार से नहीं है इसकी पुष्टि स्वयं सनी देओल ने 6 दिसंबर 2020 में ट्वीट करके कर दी थी ।
  मित्रों अगर कभी पंथ या धर्म के ध्वज की बात होगी तो उसे किसी भी स्थिति में तिरंगे से ऊपर या उसके समानांतर इस भावना से नहीं ठहराया जा सकता जिससे भारतीय एकात्मता को चोट पहुंचे।
    मित्रों 26 जनवरी 2021 के दिन रिकॉर्ड वीडियो भविष्य के लिए साक्ष्य बनेंगे ।
 आरएसएस के विरुद्ध बोलने वाले कर्नल दानवीर सिंह चौहान ने तक अपने वक्तव्य में माना एवम कहा है कि - "पंजाब में खालिस्तान आंदोलन का कोई विचार वर्तमान समय में जीवित नहीं है। कर्नल दानवीर से चौहान खालिस्तान आंदोलन के विदेशी कनेक्शनस् अवश्य है।  आम भारतीय कर्नल दानवीर सिंह चौहान के वक्तव्य से आंशिक सहमति रख सकता है और रखता भी है । यदि यह सही है तो सिखों को भी इस तथ्य को समझ लेना चाहिए । अर्थात अब वो समय है कि सिख समाज के नेता इसकी खुल के निंदा करें । साथ ही साथ मुखर होकर इस घटना को  राष्ट्र विरोधी घटना मानते हुए राष्ट्र विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग मुखर होकर ही करें । कर्नल दानवीर इस आंदोलन को शुद्ध रूप से किसान आंदोलन नहीं मानते हैं।


26.1.21

आंदोलन से पल्ला कैसे झाड़ सकते हो माफी मांगो यादव जी टिकैत जी कक्का जी मुला जी

बहुत ठंडा मौसम था । आज सुबह विजुअलटी मुश्किल से एक या डेढ़ किलोमीटर यह जबलपुर का मौसम परंतु इस मौसम  पर भारी था हमारा अपना उत्साह हम जो संविधान का सम्मान करते हैं हम जो षड्यंत्र करके किसी को बदनाम नहीं करते। हमारा दर्शन भी यह नहीं सिखाता। ना ही हमारी संस्कृति को ऐसे दृश्य देखने को मिले हो जिनसे तिरंगे के अपमान को बल मिले।
          लगातार एक सप्ताह से हम भारतीय आज के दिन का इंतजार कर रहे थे। 19 प्रोटोकॉल ना होता तो बच्चे भी सांस्कृतिक आयोजनों के लिए अपना बेहतर से बेहतर देने का प्रयास करते। आज 119 व्यक्तियों को पद्म पुरस्कार वीर और इनोवेटिव काम करने वाले बच्चों का सम्मानित होना बेशक गर्व की बात होती है। बाबा अंबेडकर हम शर्मिंदा हैं कि तुम्हारे नेतृत्व में लिखे गए इस संविधान नामक ग्रंथ पर जहां एक ओर गर्व करने का उत्सवी दिन था वहीं दूसरी ओर क्रूर एवं कुंठित मानसिकता ने ना केवल 72वें 
उत्साह से नहीं मनाने दिया वहीं दूसरी ओर गहरा विषाद लेकर हम शोकाकुल हो गए हैं । 
       आपको यहां स्पष्ट कर देना चाहता हूं मेरा उद्देश्य किसी भी मूर्ख व्यक्ति के नाम का जिक्र करने का कदापि नहीं है ना मैं यह चाहता हूं कि उन्हें यहां उल्लेखित कर उन्हें अमर कर दिया जावे । 
    मुद्दा यह है कि-" आंदोलन के प्रेरक एवं कर्ताधर्ता आज उस समय अपना पल्ला झाड़ते नजर आए जिन्होंने आंदोलन को शांतिपूर्ण ढंग से करने का दावा किया था तथा उनके वकीलों ने माननीय सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था हम शान्ति पूर्ण ट्रेक्टर मार्च इस लिए करेंगे  क्योंकि हम किसान भारतीय राष्ट्रीय पर्व  मना सकते..!"
    मीलार्ड भी सहमत ही होंगे जब हम सब सहमत हैं कि सब को हक है अपने राष्ट्रीय पर्वों को मनाने का। परंतु आज जिस तरह से निहंग तलवारें और फिर से चमकाते हुए लाल किले पर चढ़ गए उससे यह साबित हो गया कि यह आंदोलन मौलिक रूप से किस बुनियाद पर शुरू किया गया था । सूचनाओं के अनुसार दिल्ली में 86 पुलिसकर्मी के साथ 120 से अधिक लोग घायल हैं। किसान आंदोलन के 62 वें दिन आंदोलन के गंदे स्वरूप को देखकर लगा कि यह आंदोलन कनाडा एवं पाकिस्तानी के  साथ  आतंकियों की संधि का परिणाम है। भारत सरकार के वकील साहब यह स्थिति एक्सप्लेन करते रहे परंतु मीलार्ड को अधिक भरोसा था झूठा प्रॉमिस करने वाले आंदोलनकारियों के वकीलों पर। इसकी वजह है कि मिलावट यह समझ रहे होंगे कि जो किसान भारत के अन्नदाता है वह इस तरह का व्यवहार तो नहीं करेंगे। टेलीविजन पर दिखाया गया कि महिला पुलिस वीडियो जर्नलिस्ट प्रेस रिपोर्टर पर हमलावर होते किसान अन्नदाता तो नहीं क्योंकि एक पुलिसकर्मी को घेर कर मारने वाले  किसान आतंक की नए तरीके से परिभाषा प्रस्तुत कर रहे हैं। यह तरीका साफ तौर पर आयातित विचारधाराओं अर्बन नक्सली सोच का सुझाया हुआ ही है।

    आईटीओ पुलिस को ट्रैक्टर घुमाकर आतंकित करने वाला किसान जय जवान जय किसान के नारे की धज्जियां उड़ाता नजर आया शास्त्री जी हम भी शर्मिंदा हैं।
       इस बात में कोई दो राय नहीं है कि इस आंदोलन में वित्तीय व्यवस्थापन से लेकर स्ट्रैटेजिक प्लानिंग भी हर हालत में
पाकिस्तान कनाडा चीन और भारत में पल रहे नक्सलवादी स्लीपर सेल की उपज है।
   मजबूरी में मुझे स्वराज इंडिया के संयोजक का नाम यहां जिक्र करना पड़ रहा है जो किसान आंदोलन से पल्ला झाड़ रहे हैं वास्तव में मुख्य कल्पित यही व्यक्ति है जिसे देश योगेंद्र यादव के नाम से जानता है। दीप संधू जिसे आंदोलन से अलग रखने का खुलासा करने वाला यह व्यक्ति सर से पांव तक झूठ बोल रहा है क्योंकि लगातार दो महीनों से संधू अत्यधिक सक्रिय है और उससे लगातार इस आंदोलन को हर एंगल से सहायता प्राप्त हो रही है। सनी देओल के साथ कभी जुड़ा यह व्यक्ति अर्थात दीप संधू वास्तव में अवसरवादी एवं भारत विरोधी गतिविधि में सक्रिय लोगों के हथियार चलाने का एक कंधा है
            दीप सन्धु
भारत वासियों चाहे कुछ भी हो अगर ये आंदोलनकारी किसान नेता माफी नहीं मांगते तो इन्हें देशद्रोही मान लेना एवं इनके खिलाफ विधिवत क्रिमिनल प्रोसिडिंग  प्रारंभ करना आवश्यक है अगर यह माफी मांग लेते हैं तब भी क्रिमिनल प्रोसीडिंग्स आवश्यक है  ताकि जिस न्याय व्यवस्था की आंखों में धूल झोंक कर पुलिस प्रशासन को गुमराह कर समय से पूर्व रैली निकाली गई और लाल किले पर धार्मिक एवम मोर्चे का झंडा फहरा  दिया गया। 
सुधी पाठकों अन्य प्रदेशों की सरकार को भी अपने अपने कृषि प्रधान इलाकों से इस आंदोलन में शामिल पुणे गए किसानों की सूची भी तैयार कर ले ताकि सनद रहे और वक्त पर काम आवे।

24.1.21

नेता जी क्यों महान हैं..?

महात्मा गांधी ने जिनके बारे में कहा था - वे देशभक्तों के देशभक्त हैं ।
 तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा,  दिल्ली चलो कदम कदम बढ़ाए जा, जय हिंद, इन शब्दों के जरिए नेता जी को हम पहचानते हैं। राष्ट्रवादी इतिहासकार डॉ आनंद राणा  के अनुसार  नेताजी चार बार नेता जी का जबलपुर आगमन हुआ था।
 नेताजी गीता और महाभारत कथा के मिश्रित वर्जन थे। नेताजी के बारे में कहा जाता है कि वे हिटलर से मिले थे इतिहास भी यही है। परंतु आपने हमने कोई ऐसा शब्द भी नहीं पढ़ा जिसमें उन्होंने हिटलर के नैरेटिव  का जिक्र किया हो या उसे स्वीकार हो या फिर लेश मात्र भी सहमति व्यक्त की गई हो..!
  नेताजी की फैमिली से शादी भारतीय वैदिक परंपरा और रिचुअल्स के साथ संपन्न हुई। कई  विवरणों को पढ़कर पता चलता है कि- अपने विवाह के दौरान वे एमिली शेंगल के समक्ष भारतीय संस्कृति विवाह संस्था रिचुअल्स के महत्व का विश्लेषण और आवश्यकता पर प्रकाश डालते रहे। नेता जी महान क्यों है यह एक सवाल मेरे जिस्म में मौजूद मस्तिष्क में निरंतर सांय सांय होता है। अनुज धर ने नेताजी के व्यक्तित्व को बखूबी उभारते हुए स्पष्ट किया है कि- नेताजी अपने आप को आजादी के बाद नेता जी ने अपने जीवन को लगभग गुमशुदा कर लिया था। *इंडियाज मोस्ट कवर अप* के लेखक अनुज धर का मानना है कि भगवन उर्फ गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे । 
   इसके संबंध में उन्होंने इस बहस  से पर्दा हटा दिया  कि गुमनामी बाबा की हैंडराइटिंग पूरी तरह से नेताजी की हैंडराइटिंग से मिलती है। 
  अगर ऐसी बात है तो बेशक भारत का सबसे महान नेता का रुतबा नेताजी सुभाष चंद्र जी कोही दिया जाना चाहिए।
भारतीय राजनीति में ऐसे कम ही लोग हुए हैं जिन्होंने प्रयोगवादी होने का आरोप अपने सिर पर नहीं लिया है। वास्तव में इस श्रेणी में मेरे हिसाब से दो ही व्यक्ति रखे जा सकते हैं एक सरदार बल्लभ भाई पटेल और दूसरे नेताजी सुभाष चंद्र बोस।
मित्रों और सुधि पाठकों हम मस्तिष्क धारी हैं चिंतन भी करते हैं हमारे पास शब्द भाव विश्लेषण सब कुछ है तो विमर्श भी होगा और विमर्श में सहमति या असहमति सब कुछ संभव है।
चलिए तो वापस चलते हैं नेताजी के महान होने के संदर्भ में एक टच और जानते हैं
" मेरे कार्यालय में मेरी सहकर्मी के माता और पिता दोनों ही आजाद हिंद फौज में सेनानी थे। उन्होंने बताया कि माता-पिता अक्सर नेताजी की सहृदयता के बारे में चर्चा करते हुए सुनाई देते थे। वह अवश्य समझाते थे कि आजादी के लिए बलिदानी होना जरूरी है परंतु किसी को भूखा या बीमार देखकर नेताजी बेचैन हो जाते थे। श्रीमती अय्यर की मां के पैर में जहाज का एक कीला घुस गया था नेता जी ने स्वयं अपने हाथों से श्रीमती अय्यर के जख्म पर फर्स्ट ऐड किया और उस वक्त भी बेहद भावुक थे।
  60 हजार सैनिकों के लाव लश्कर वाली आईएनए  24000 के आसपास सैनिकों का शहीद हो जाना उनके हृदय को छलनी कर रहा था वे बहुत दुखी हो जाते थे उन शहीदों को याद करते हुए ।
शत शत नमन नेताजी एक बार फिर से जन्म लोग भारत में

20.1.21

कश्मीर 19 जनवरी 1990

 

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है , 14वी शताब्दी से  लगातार इस कश्मीर एक आतंक के साए जीने के लिए मजबूर था ।
भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया ।
  और यह धारा 35 स्थाई प्रबंध था और इसका अंत कश्मीर की वादियों में चुभन भरी हवा से मुक्ति के लिए किया गया। नई  व्यवस्था लागू होने के साथ भारत के कश्मीरी पंडितों के साथ आधा न्याय मिल गया। भारत के सभी हिस्से में बदलाव की जरूरत थी । बदलाव हुआ और इस बदलाव में कश्मीरी पंडितों को अपनी जन्मभूमि में वापिस पहुंचने उस पर माथा टेकने का एक मौका मिलने की उम्मीद बढ़ती जा रही है। किंतु परिस्थितियां अभी भी बहुत अनुकूल नहीं कि कहीं जा सकती इसी विषय पर मीनाक्षी रैना कश्मीर से निकलकर कनाडा में जा बसी लेखिका की अभिव्यक्ति के आधार पर यह वीडियो तैयार किया है उम्मीद है कि आप भी सम्मिलित होंगे और वैश्विक स्तर पर इस बात की नहीं छोड़ेंगे कि कश्मीर पर हिंदू पंडितों पर कितने अत्याचार हुए हैं और उसे उनके मानव अधिकार से जोड़कर सबसे पहले देखना चाहिए। एक जन की तरह है ना केवल 19 जनवरी को बल्कि निरंतर भारत के पक्ष को सर्वव्यापी बनाना भारत के नागरिकों और प्रवासी भारतीयों की जिम्मेदारी है। मित्रों इस आर्टिकल को और ऊपर दिए वीडियो को जरूर देखिए सुनिए समझ ही और एक नैरेटिव बनाइए ताकि ब्रिटेन की संसद जैसी संस्थाओं में भारत के खिलाफ कोई भी फिरंगी नेगेटिव वातावरण निर्मित ना कर पाए।
आरती टिक्कू को सुनिए यूट्यूब के डिफेंसिव ऑफेंस में
https://youtu.be/CNl3WRCa8OA

19.1.21

कोविड का टीका : वाक़ई है तीखा

कोविड का टीका : वाक़ई है तीखा ।

    बाबा की सबसे गंदी आदत है कि इस उसकी भैंस बांध के ले आते हैं। जब भैंस से नहीं मिलती तो बकरियां बांध लेते हैं जिसको बुंदेलखंड में छिरियाँ बांध लेते हैं।
    यह सोचकर हम एक बार बाबा की बाखर का वीडियो मंगाए। वीडियो में आंख घुसा घुसा के देखें तब भी हमको भैंसिया नजर नहीं आई। अपने भाइयों की बकरियां तलाशनी चाही बाबा वह भी हम को नजर नहीं आई। हमने दुर्गेश भैया से पूछा भाई वह तो कुछ नहीं है फिर आप चिल्ल-पौं काय मचाते रए हो । दुर्जन भैया हमसे गुस्सा हो गए हमको उनने फेसबुक पर ब्लॉक करने की भयंकर अपमानजनक धमकी दे डाली।
     आज के दौर में अगर आपको कोई ब्लॉक कर दे उससे बड़ा अपमान विश्व में कोई हो सकता है क्या ?
    सोशल मीडिया से पता चलता है कि आपका स्टेटस क्या हुआ अरे आप का डाला हुआ स्टेटस नहीं आपका समाज में स्तर क्या है ? जे बोल रहा हूं । आप समझ रहे हो ना ?
   व्हाट्सएप पर ब्लॉक करना  या ग्रुप से निष्कासित कर देना दूसरा बड़ा डिफॉर्मेशन है।
   मार्क जुकरबर्ग तुम आओ भारत हमारे मोहल्ले में आए तो समझ लेना हम तुम्हारी ऐसी भद्रा उतारेंगे कि तुम्हें ऐसे डिफॉर्मेशन करने के बारे में सौ बार सोचना पड़ेगा ।
दुर्जन भाई को हमसे खुन्नस इस वजह से हुई कि वे कह रहे थे कि- ये टीका बाबा का है । हम नई लगवाएंगे ।
हम बोले :- भाई जी हम चाहते हैं कि आप लगवालो मर मुरा गए तो इस बाबा की 56 इंच की छाती पर मूंग कौन दलेगा ..? मूंग न दलोगे तो लड्डू कैसे बनेंगे । लड्डू न बने तो आप खाएंगे क्या ? बाबा के चक्कर में परेशान मत हो वैसे वो न तो खाएगा न खाने देगा !
      अब बताओ भैया हम क्या गलत बोले ?
लगे हाथ हमने पूछा - आपकी भी भैंस बाबा बांध लिए का..?
दुर्जन ने हमें  भक्त बोल दिया । बस फिर क्या था जब भी वो लिखते हम हुक्का पानी लेकर चढ़ बैठते । 4-5 टिप्पणियों में उनकी टैं निकल गई । सो
भाइयो बहनों पहले सुन लो जिनकी भी भैंस  और बकरियां बाबा बांध के लिए गया है वह सब कान खोल कर सुन ले अगले बार आप जो भी जानवर खरीदें उसका इंश्योरेंस कराने की कोशिश जरूर करें। और अगर कोई भी इंश्योरेंस कंपनी इनका बीमा न कर सके तो तुम सब मिलजुल के कैटल इंश्योरेंस कारपोरेशन बाबा के स्टार्टअप कार्यक्रम के अंतर्गत कर सकते हो । करो ना करो लेकिन भैंसों को बकरियों को संभाल के बांधो। दुर्जन भैया आप तो खासतौर पर खुलकर सुनो आपके जानवर आपसे ज्यादा ढीठ और बेलगाम हैं ।
   पड़ोसी देश में इमरान नाम के राजा राज करते हैं। वह इतने मासूम है क्या उनकी मासूमियत उनके अब्बा जान क़मर बाजवा के अलावा कोई भी नहीं जानता। अब्बू ने साफ-साफ कह दिया कि कोई फिजूलखर्ची नहीं करेगा तो हुजूर मलेशिया का लीज रेंट मलेशिया को नहीं  दिया।
    बस फिर क्या था... मलेशिया वालों ने इम्मू का तैयारा यानी भारत के बच्चे जिसे हिवाई  ज़िहाज़ कहते हैं से सारे पैसेंजर उतरवाए और जब्ती बना डाली अरे भई पैसेंजर की नहीं हिवाई ज़िहाज़ की।
   अब बताओ मुन्ना अब्बू ने जब इमरान बाबू को खर्चे वाली ज़रूरी मदों की जो लिस्ट दी थी  उसमें जहाज शामिल नहीं था सबसे टॉप पर लिखावाया था जहाज़..! टायपिंग मिस्टेक से वो जिहाद हो गया ।
  आपई बताओ जिहाद वाले मद से निकालकर खर्चा जहाज पर कैसे किया जा सकता ?
    उधर बड़े अब्बू यानी शेख साहब लोग  कटोरे में इतना भी नहीं डाल रहे किचन में तनाव आ जाए ।
कल इमरान साहब गा रहे थे
अब तो उतनी जी नहीं मिलती मयखाने में ।
जितनी हम छोड़के आते थे पैमाने में ।।
    अब्बू और इमरान के एक क़रीबी चाहने वाले कई दुर्जन सिंह इनको लेकर खासे चिंतित हैं..और सारा गुस्सा बाबा पर निकाल रहे हैं । बाबा को पता नहीं क्या क्या कहने लगे और इसी बात पर जब हमने पूछा- दुर्जन चाचा आप बेवजह क्यों तनाव में रहते हैं पड़ोसी मुल्क है रिश्ते खराब चल रहे हैं, चार बरतन होंगे तो आवाज तो आएगी ही आप काहे लोड ले रहे हो ?
  बस इत्ती सी बात थी कि उनने हमें फेसबुक से हटा देने  धमकी दे डाली। वास्तविकता यह है कि दुर्जन  शुरू से कार्ल मार्क्स को अपने सिरहाने रख के सोया करते थे ।  तब तक तो ठीक था परंतु जैसे-जैसे स्टालिन और माओ ने मिलकर  लाल रंग दुर्जन सिंह को टोटका करके शर्बत पिलाया दुर्जन जी को बाबा के लोग  कचरा कूड़ा नजर आते हैं। वॉल्टर ने कुछ भी कहा कि भइये सबकी बातों का मान करो पर  उस बात की अनदेखी कर मेरी मुर्गी का शुरुआ (शोरबा) सबसे उम्दा कह कह कह कर जनता में फेसबुक के ज़रिए मजमा लगा रहे हैं।
  इमरान चाइना के रिश्ते से उनका सगा भतीजा है और इसी नाते दुर्जन सिंह नाराज हैं बाबा से ।
   और इधर बाबा ने कोविड-19  के  वैक्सिन की प्रदर्शनी लगा दी बाबा के सीने पर पता नहीं कौन-कौन लोटने लगे ?  लोटने दो जो जो भी लोटे अपन तो चुपचाप हैं । पर एक बात अभी-अभी समझ में आती है यह जो कोविड-19 का है ना..! लगता तो बाजू में है पर जब   बाएं बाजू में लगता है तो
ज़्यादा ही चुभता  है । कुछ लोग बता रहे थे तीखा भी है। बाबा से  दुर्जन भैया टाईप के और उनके मित्रों की नाराजगी गलत नहीं है। हम सब दुर्जन जी के साथ हैं ।
     टीका लगवाएं तो ठीक न लगवाएं तो ठीक । अगर कुछ हो हुआ गया तो अपन बिदा करने जाएंगे ज़रूर ।

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