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सॉरी मां, हम झूठ न बोल सके.........जहीर अंसारी

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मां हमें पता है कि इस वक्त पर आप पर क्या बीत रही होगी। हमारी लाशों को देखकर आपका कलेजा बाहर को निकल रहा होगा। हमें यह पता है कि आप कितना जज्ब कर रही होंगी। कभी परमात्मा को तो कभी खुद को कोस रही होंगी। हमारे मृत शरीर को देखकर आपकी आत्मा मरणासन्न अवस्था में होगी। मां तू तो फूटकर रो भी नहीं पा रही होगी। कितने नाजों से पाला था तूने हमें। तेरी कोख में जब हम जुड़वा भाई दुनिया में आने के लिए तैयार हुए थे तो कितना दर्द, कितनी तकलीफ सही थी तूने, हम इसके साक्षी हैं। हमारी पैदाईश के बाद अनगिनत रातें तूने जाग-जागकर बिताई थीं। अपना खाना-पीना दुख-दर्द भूलकर हम दोनों में अपनी खुशी ढूंढने क्या कुछ नहीं किया तूने। हम इस बात के भी साक्षी हैं कि तेरी एक-एक सांसों पर हमारा ही नाम होता था। पर क्या करूं मां, हमसे झूठ न बोला गया। उन दरिंदों ने हमें छोड़ने से पहले पूछा था कि क्या हमें पहचान लोगे, हम ने ‘हां’ कह दिया। कहते हैं न कि बच्चे मन के सच्चे होते हैं इसलिये हम दोनों ने भी सच बोल दिया। एक सच की इतनी बड़ी सजा मिलेगी, यह अभी हमने सीखा कहां था। मां तूने भी तो अब तक बड़ों के चरणस्पर्श और ईश्व

एक खत इमरान खान के नाम

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श्री इमरान खान साहब       सादर अभिवादन आप आतंकवाद का शिकार है इस बात का पूरे विश्व को गुमान है किंतु आपने आतंकवाद का बायफरकेशन किया है.. इसलिए आप आतंकवाद से पीड़ित हैं ।  इतना ही नहीं आप ने आतंकवाद को गुड टेररिज्म के नाम पर जो पाल रखा है उससे आपको निजात चाहिए तो भारत से क्षमा सहित  प्रार्थना कीजिए समूचा भारत आपकी एक  कदम आगे बढ़ने पर स्वयं दो कदम आगे बढ़कर आपकी मदद के लिए आगे आएगा । किंतु आप ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि आप एक ऐसी सिविल गवर्नमेंट के प्रमुख हैं जिसकी बागडोर आई एस आई और आप की फौज जिसके हाथ में आपकी सिविल गवर्नमेंट की डोर है ।     इमरान साहब सोचिए आप के लोगों का शिक्षा का स्तर बेरोजगारी निर्धनता आप की सरकार को चलाने के लिए जरूरी पैसा आपके  औद्योगिक विकास की दर क्या है ?     हर बार आप की ओर से युद्ध का शंखनाद होता है कई बार तो आप पीओके के रास्ते अपने किराए के सैनिक टेररिज्म फैलाने के लिए भारत में भेजते हैं । किंतु भारत को यकीन मानिए युद्ध सर्वदा अस्वीकार्य रहा है । अगर आपने  अब तक  किताबें ना पड़ी हो  तो पढ़ लीजिए  जिनमें स्पष्ट तौर पर  लिखा है - युद्ध के बाद  की परि

“पहले अंदर की सफ़ाई करो फ़िर पाकिस्तान की ठुकाई करो ! !”

पहले अंदर की सफ़ाई करो फ़िर पाकिस्तान की ठुकाई करो ! ! बहुत से मित्र लगातार मेसेन्जर पर आग्रह कर रहे थे , कि मैं पुलवामा की घटना पर कुछ लिखूं ! ! (कुछ दिनों से मैं fb पर नहीं था , इसी बीच पुलवामा की घटना घट गई ! ) चलिए , लिख रहा हूं ! आज अभी ही फ़ेस बुक अकाउंट खोला है ! सबसे पहले तॊ कामरान गाज़ी औऱ बिलाल जैसे दुर्दांत टेरेरिस्टस के ढ़ेर किए जाने की बधाई !! ! आज fb खोलते ही Time line पर 50-60 पोस्ट scroll कर- कर के देखीं ! जो मैं नहीं पढ़ना चाहता था , औऱ पढ़ने मिला , ...वो ये था - - ये Security failure है ! - ये शहादत नही है, क्योंकि वे 40 martyrs, लड़ते हुए नही मरे ! - ये हमला , चुनाव से एन पहले सरकार की साज़िश तॊ नही ? ? - कश्मीर पाकिस्तान को दे दो, झंझट ख़त्म करो ! - भारतीय फ़ौज कश्मीर में मानवाधिकाओं का हनन करती है ! - हुर्रियत नेताओं से बातचीत ज़रूरी है , वे कश्मीर की आवाज़ हैं ! - राष्ट्रवाद , फासीवादी सोच है ! - इसके अलावा मोदी को ढ़ेर सारी गालियां भी ! ! ऐसा लिखने वालों को कुछ भी कहने से पहले ये जान लें कि इनकी संख्या कोई छोटी- मोटी नही है ! आबादी

आंतकवाद की गर्भनाल पर प्रहार करो ज्वलंत : जयराम शुक्ल

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"कल सपने में इन्दिराजी दिखी थीं। रक्षा मंत्रालय के वाँर रूम में  इस्पात से दमकते चेहरे के साथ युद्ध का संचालन करते हुए। दृश्य 1971 के युद्ध के दिख रहे थे। ढाका में पाकिस्तान का जनरल नियाजी अपने 93 हजार पाकी फौजियों के साथ ले.जनरल जेएस अरोरा के सामने घुटने टेके हुए गिड़गिड़ाता हुआ। इधर गड़गड़ाती तोपों के साथ लाहौर और रावलपिन्डी तक धड़धड़ाकर घुसते टैंक। आसमान से बमवर्षक जेटों की चीख और धूल-गदरे-गुबार से ढंका हुआ पाकिस्तान का वजूद। मेरे जैसे करोड़ों लोगों को आज निश्चित ही इन्दिराजी याद आती होंगी जिन्होंने देश के स्वाभिमान के साथ कभी समझौता नहीं किया।"......... -तब से अब तक की जमीनी हकीकत में यह बदलाव हुआ कि पाकिस्तान  दुनिया भर के शैतानों की धुरी बन चुका है। हर कोई उसे इजराइल शैली में जवाब देने की बात करता है -हकीकत के फलक पर खड़े होकर एक बात गौर करना होगी। इजराइल जिन मुल्कों से घिरा है उनके पास आणविक हथियार नहीं हैं तथा उसकी पीठ पर अमेरिका, इंग्लैण्ड और फ्रांस जैसे नाटो देशों का हाथ है। -यहां पाकिस्तान एटम बमों से लैश है, उसकी शैतानियत की गर्भनाल इन्हीं एटमी हथियारों क

बैंडिट क्वीन वाली सीमा याद है न ?

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                                                            हाँ वही सीमाबिस्वास जो साधारण से चेहरा लिए जन्मी , एन एस डी से खुद को मांजा और बन गई विश्व प्रसिद्ध फ़िल्म बैंडिट क्वीन की सबसे चर्चित नायिका । सीमा विश्वास जो काम किया है वह उनका कला के प्रति समर्पण का सर्वोच्च उदाहरण है । अगर आप उनके जीवन जाने तो पता चलता है कि कला साधना असाधारण लोग ही कर पाते हैं । असाधारण लोग लक्ष्य पर सीधा देखते हैं ।   सीमा की कहानी देख कर लगा कि - "जीवन संघर्ष कुछ न कुछ देकर जाता है ।"   मुझे हमेशा महसूस होता है कि कलाकार की ज़िंदगी एक अभिशप्त गंधर्व की ज़िंदगी होती है । उसे औरों के सापेक्ष बेहद मेहनत करनी होती है ।   सीमा विश्वास नवाजुद्दीन सिद्दीकी ओम पुरी यह कोई खास चेहरे वाले नहीं है यह ग्लैमरस चेहरा नहीं लेकर आए हैं पर अपनी अभिनय क्षमता के दम पर आपने देखा होगा यह उत्कृष्टता के उन मानकों पर खरे उतरते हैं जो एक अभिनेता के लिए जरूरी है . अपने दौर में यह शापित गंधर्व कितना कष्ट सह रहे होंगे इसका अंदाज उनकी बायोग्राफी से लगाया जा सकता है . आईएएस बनना डॉक्टर इंजीनियर बनना औसत ख्वाहि

जीवन के प्रमेय : गिरीश बिल्लोरे

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*जीवन के प्रमेय* हैं ये साध्य असाध्य से तुम इनको साध्य नाम मत दो ज़िन्दगी की त्रिकोणमिति में एक मैं हूँ जिसे सारे प्रमेय सिद्ध करने हैं वह भी तब जब कि आधार भी मैं ही हूँ ? जब आधार में हम न होते तब आसान था न सब मान लेते इस सिद्धि को ! है न पर तुम हो कि आधार से सम्पूर्ण साध्य की सिद्धी पर आमादा ओह ! ये मुझसे न होगा करूंगा भी तो सिर्फ अपने लिए सबको यही करना होगा ! ******** *एक अकेला कँवल* एक अकेला कँवल ताल में, संबंधों की रास खोजता ! आज त्राण फैलाके अपने, तिनके-तिनके पास रोकता !! बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छीन कँवल से दौड़ लगा देता है दरिया कभी कभी तो त्राण मसल के ! सब को भाता, प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता ? *गिरीश बिल्लोरे मुकुल*

स्वामी विवेकानंद 156 वीं जयंती पर आत्मचिंतन

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*ये सब क्या आसान नहीं !* विवेकानंद की आत्मकथा की दूसरी बार अध्ययन करते समय मेरी निगाह उस पन्ने पर जाकर रुक जाती है , जहां कि स्वामी विवेकानंद ने आदि गुरु शंकराचार्य के हवाले से लिखा है की दुनिया में तीन चीजें आसानी से उपलब्ध नहीं होती एक मनुष्यत्व दूसरी मुमुक्षत्व अर्थात  मुक्ति की कामना और तीसरी महापुरुषों का साथ ! तीनों का मिलना आज के युग में बेशक कठिन है । इसे कैसे प्राप्त करना है आगे बताऊंगा अभी तो जानिए कि स्वामी विवेकानंद के 39 वर्षीय जीवन का मूल्यांकन करना मेरे जैसे जड़ बुद्धि के लिए वैसा ही है जैसे काले वाले कम्बलों को रंगना ।            पर उनके जीवन क्रम से इतना अवश्य सीख चुका हूं कि किसी को अपने गुरु के रूप में स्वीकार लेना कदापि ठीक नहीं ।                       विवेकानंद के जीवन का प्रारम्भ इसी बात की ओर इशारा करता है । मैं यह लेख किसी भी प्रकार की धार्मिक दृष्टांत के तौर पर नहीं लिख रहा हूं मैं उतना ही नास्तिक हूं जितना विवेकानंद ने मुझे बताया उनकी सलाह है कि मैं नास्तिक रहूं... पर  किसके लिए पर किसके प्रति आस्थावान न रहूं   अपने कथन के आगे वाले हिस्सों में स्पष्ट क

नववर्ष चिंतन बनाम चिंता

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नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं बीता 2018 कुछ दे गया कुछ ले गया और यह आदान-प्रदान स्वभाविक है यह साल भी आया है कुछ दे जाएगा कुछ ले जाएगा ।                2018 में अगर हनुमान जी के कास्ट सर्टिफिकेट के जारी करने का मामला प्रकाश में आया है तो कहीं ऐसा ना हो कि सर्टिफिकेट की फोटो कॉपी विभिन्न मंदिरों में चस्पा 2019 में अगर आप देखे हैं तो कोई बड़ी बात नहीं ।                सच कहूं अब तो किसी भी विषय पर लिखने में डर लगता है  किस विषय पर कौन क्या सोच है रहा  है । सामान्यतः देश को चलाने के लिए विचारधाराएं ला दी जाती हैं लेकिन देश क्या चाहता है जनता क्या चाहती है जन गण की सोच का मनोवैज्ञानिक यानी साइक्लोजिकल विश्लेषण करना जरूरी है । सियासत को चाहिए कि वे जिस भाषा में आपस में संवाद करते हैं उसका स्तर और बेहतर कर सकने में अगर सफल हुए तो जन गण उन्हें सम्मान के नजरिए से देखेंगे । ऐसा नहीं है कि  सियासी लोग काम नहीं करते उनका अपना काम करने का तरीका है मैं अपने तरीके से सोचते हैं उनका भी लक्ष्य की तिरंगे की आन बान शान बनी रहे लेकिन अचानक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सत्ता की ओर जब कदम बढ़ते हैं तो कुछ

लुईस ब्रेल के 210वें जन्मपर्व पर भावुक हुए निःशक्तजन मंत्री श्री लखन घनघोरिया

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"दिव्यांग कल्याण मध्यप्रदेश सरकार की प्राथमिकता" कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों द्वारा लुइस ब्रेल के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर दीप प्रज्वलित किया गया तदुपरांत अतिथियों का स्वागत संस्था के अध्यक्ष श्री सज्जाद शफी सचिव श्री मति रेखा विनोद जैन प्राचार्य श्री पूनम चंद्र मिश्रा श्रीमती किरण केवट सुश्री रेखा नायडू प्रीति पगली सुभाषिनी दुबे श्वेता नामदेव  रेवा सिंह सेन आदि ने किया . डॉ राम नरेश पटेल ने इस अवसर पर कहा कि:_ " अगर लुइस ब्रेल ना होते तो निश्चित तौर पर ब्रेल लिपि का अविष्कार ना होता और बेल ब्रेल लिपि का आविष्कार ना होता तो मैं या मेरी तरह अन्य नेत्र दिव्यांगजन विश्व में कदापि लाभान्वित नहीं होते श्री राम नरेश पटेल ने लुइस ब्रेल के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डाला . संस्था अध्यक्ष श्री सज्जाद सैफी ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बहुत समय से श्री लखन घनघोरिया जी इस संस्था से जुड़े हैं और इनकी मदद से हम असाध्य काम भी कर पाए हैं संस्था में 117 नेत्र दिव्यांग बालिकाएं अध्ययनरत हैं . जिनकी प्रतिमा और क्षमताओं पर किसी भी प्रकार का संदेह किया

बाल भवन हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल : विनय सक्सेना

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नव वर्ष स्वागत हेतु सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत आज संभागीय बाल भवन में उत्तर मध्य विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री विनय सक्सेना ने मुख्य आतिथि के रूप में कहा कि वे संभागीय बाल भवन के लिए हरसंभव किसी भी तरह की कमी ना हो हम ऐसे प्रयास करेंगे बाल भवन उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता में अब शामिल हो गया है .   उन्होंने संचालक बाल भवन को निर्देशित किया कि बाल भवन के लिए अपेक्षित सामग्री एवं अन्य आवश्यकताओं का भी आँकलन कर विधिवत प्रस्ताव उन्हें सौंपा जाए ।अब भविष्य में मैं बच्चों से मिलने एवं उनकी कला साधना से परिचित होने अनौपचारिक रूप से आता रहूँगा . बच्चों   को सुविधा से वंचित न रखना सरकार   सर्वोच्च प्राथमिकता है . संस्था की वार्षिक उपलब्धियों का विवरण संचालक संभागीय बालभवन गिरीश बिल्लोरे द्वारा प्रस्तुत किया गया .   बाल भवन में इस अवसर पर निश्चय संस्था द्वारा सभा का क्षेत्र 40 कुर्सियां श्री आदित्य अग्रवाल ने भेंट स्वरूप प्रदान की जो श्री विनय सक्सेना के हाथों संचालक को सौंपी गई । कार्यक्रम अध्यक्ष श्री प्रोफेसर राजेंद्र ऋषि ने कहा कि- मैं चकित हूं कि नन्हे न

सोशल मीडिया एवम इलैक्ट्रोनिक पर स्वायत्त-अनुशासन से विमुख होते लोग

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सोशल मीडिया पर जितनी भी पोस्ट हो रही है वह बहुधा अनुशासनहीन एवं व्यक्तिगत आक्षेप युक्त सामाजिक राजनैतिक आर्थिक  विषयेत्तर होतीं है । युवा पीढ़ी अपने तरीके से एन्जॉय के लिए इस न्यू-मीडिया का प्रयोग करता है तो कुछ लोग उसका उपयोग रोमांटिक साधन के रूप में लिया करतें हैं । सामाजिक मापदड़ों के विपरीत भी पोस्ट धड़ल्ले से इधर से उधर करने से बाज़ नहीं आते । विवाहेत्तर एवं अनैतिक व्यापार का साधन भी इसी रास्ते पनप चुका है । कुछ एप्लिकेशन तो निहायत उच्छृंखल यौन संबंधों के मुक्त प्लेटफार्म हैं  । जहां का हाल देख कर आप शर्मिंदगी से तुरंत को डिलीट करेंगे ।   सियासी होना सोशल मीडिया का सोशल मीडिया के दुरूपयोग की हद तो इस बार चुनाव के पूर्व पूरे वर्ष सियासी लग्गू-भग्गुओं ने भरपूर की है । कभी कभी तो लगा वाट्सएप के सृजन का कारण ही सोसायटी में भ्रम फैलाने के लिय हुआ हो । सियासी घटनाक्रम पर नज़र डालें तो कुछ लोगों ने बेहद निकृष्टतम पोस्ट पेश कीं । अगर आप किसी समूह के सदस्य हैं तो गुड मॉर्निंग, गुड नाईट, हैप्पी बर्थडे, आदि आदि की भरपूर मौज़ूदगी मिलेगी । लतीफे तो लाजवाब मिलते हैं । ये अच्छा है कि कोई विवा

मां तो हमेशा साथ होती है आपकी रगों में आप कैसे हैं

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आज स्वर्गीय मां सव्यसाची  प्रमिला देवी  की 15वीं  पुण्यतिथि पुण्य स्मरण स्वर्गीय मां सव्यसाची प्रमिला देवी के श्री चरणों में शत शत नमन । विश्व विराट प्राणियों  का सृजन कर्ता ईश्वर नहीं है ?  कौन है फिर बताओ कौन है भाई जब तुम ईश्वर के अस्तित्व को नकार रहे हो और उसे सृजन करता नहीं मान रहे हो तो कौन है ?  यह प्रश्न भी स्वभाविक है उठना भी चाहिए हम जैसे सामान्य ज्ञान रखने वाले लोग अगर यह ऐलान करें कि प्राणियों का सृजन करता ईश्वर नहीं है तो एक बौद्धिक बहस छिड़ जाएगी हो सकता है कि बात निकलेगी और दूर तलक जाएगी । बात को बहुत दूर तक ले जाने की मेरी कोई मंशा नहीं है साफ तौर पर कह रहा हूं की मां के बिना सृजन किसी का भी संभव नहीं है मां है तो फिर ईश्वर ने सृजन किया ऐसा कहने में कठिनाई महसूस करता हूं ।    तो फिर सत्य क्या है बस सत्य ही है सरोज सृजन करता है । आगे कुछ कहूं उसके पहले आपको स्वामी विवेकानंद की आत्मकथा का छोटा सा हिस्सा बताना चाहता हूं बतौर रेफरेंस यद्यपि यहां पर स्वामी विवेकानंद ने यह नहीं कहा है जो मैं कह रहा हूं की ईश्वर से बड़ा सृजित करने वाला अगर कोई है तो मां है अब आप मेरी

अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस 2018 पर विशेष आलेख

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आज भी दिव्यांगों के लिए केवल संवेदन शीलता का भाव तो देखता हूँ परन्तु जब कभी प्रथम पंक्ति में खड़े होने की बात होती है अधिकांश नाक भौं सिकोड़ते  नजर आते हैं इसके मैंने कई उदाहरण देखें हैं भुक्तभोगी भी रहा हूं कुछ लोगों का शिकार भी बना हूं मैं जानता हूं कि यह कह कर मैं बहुत बड़ा खतरा मोल ले रहा हूं लेकिन यह भी सत्य है कि इसे बड़ी संख्या उन लोगों की है जो दिव्यांग ता को एक बाधा नहीं मानते . मित्रों ने मुझे बहुत शक्ति दी है परिवार ने बहुत शक्ति दिए लेकिन समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं कर पाते की मैं उनके बराबर खड़ा हो सकता आप भी देखें सोचें सशक्तिकरण का अर्थ क्या है कुछ लोग इतने नकारात्मक होते हैं वे हताशा के कुएं में ढकेलने  के के लिए पूरी तरह कोशिश किया करते हैं ।  यद्यपि मैं यह बात इसलिए सामने नहीं रख रहा हूं यह हाथ से मेरे साथ हुए बल्कि यह इसलिए सामने रखा जा रहा है कि अगर एक ही व्यक्ति किसी दिव्यांग के प्रति ऐसा भाव रखता है तो वह वास्तव में दिव्यांग है । पिछले 2 महीनों में  मुझे  बहुत अच्छे अनुभव हुए हैं जिससे मैं अभिभूत हूं । पर यह भी नहीं भूलना च