27.2.17

*" कन्यादान नहीं करूंगा "*

श्री शैलेंद्र अत्रे की कविता*
*" कन्यादान नहीं करूंगा "*
जाओ , मैं नहीं मानता इसे ,
क्योंकि मेरी बेटी कोई चीज़ नहीं ,
जिसको दान में दे दूँ ;
मैं बांधता हूँ बेटी तुम्हें एक पवित्र बंधन में ,
पति के साथ मिलकर निभाना तुम ,
मैं तुम्हें अलविदा नहीं कह रहा ,
आज से तुम्हारे दो घर ,
जब जी चाहे आना तुम ,
जहाँ जा रही हो ,
खूब प्यार बरसाना तुम ,
सब को अपना बनाना तुम ,
पर कभी भी ,
न मर मर के जीना ,
न जी जी के मरना तुम ,
तुम अन्नपूर्णा , शक्ति , रति सब तुम ,
ज़िंदगी को भरपूर जीना तुम ,
न तुम बेचारी , न अबला ,
खुद को असहाय कभी न समझना तुम ,

मैं दान नहीं कर रहा तुम्हें ,
मोहब्बत के एक और बंधन में बाँध रहा हूँ ,
उसे बखूबी निभाना तुम .................
*- एक नयी सोच एक नयी पहल*

19.2.17

Kids always remember 24 September 2014 for MOM


Kids please don’t under estimate India because India always think about you every step of our country only for next generation. I think finding  of “0” was the first Enovation for world of mathematic watch this video uploaded on youtube by Mr. Jignesh Rohit ……  
thanks youtube   


13.2.17

भारत में ब्राह्मणों की स्थिति


विकास हर पल होता है होना भी चाहिए ... पानी और समय को रोकिये तो पाएंगें की पानी और समय दौनों में मलिनता आ ही जावेगी. अस्तु तो सनातन से ही हम “चरैवेती चरैवेती” के उदघोषक हैं... जो न तो यवनों को हासिल है न ही विश्व की  किसी भी सामाजिक व्यवस्था में शामिल रहा है. आप सोच रहे होंगे कि यहाँ यवन आए, ब्रिटिश आए तो क्या चल के न आये होंगे....?
जी हाँ वे सब आए  चलकर ही आए थे... प्रवास के लिए पथसंचलन आवश्यक है . पर याद रखिये  वे जटिल और स्थिर विचारों एवं मान्यताओं के साथ आये थे ...सो उनको हर जगह से लौटना पडा कुछेक बातों को छोड़ दें तो वे सनातनी व्यवस्था को समाज से प्रथक न कर पाए . दूसरी ओर ... जबकि हम सनातनी जब भी बाहर गए तब समृद्ध और मौलिक चिंतन तथा विचारधारा के साथ गए हमारे प्रवास का कभी भी उद्देश्य सत्ता का विस्तार न था. हम सदा मूल्यों की स्थापना के साथ गए . हमने हमारा सनातनी व्यवस्थापन का मार्ग तद्समकालीन   विश्व को सिखाया भी. यही है हमारी सनातनी-शक्ति जो हमें वेदों ने दी निरंतर मिल रही है. यही सनातनी-शक्ति हमारे लिए रक्षाकवच है.  
सुभाष बाबू विप्र थे एमिली से विवाह के संस्कार को सनातनी ही रखा तो अशफाक के साथ विप्र चंद्रशेखर आज़ाद ने धार्मिक सहिष्णुता को सर्वोपरी रख देश के लिए स्वाहुति दी.
उपरोक्त बातों का अर्थ क्या है..? यही न कि राष्ट्रधर्म सर्वोपरी है .. विप्रों ने जब जब राष्ट्रधर्म को प्रथम माना तब तब राष्ट्र ने श्रेष्ठता साबित की पर जब भी विप्र पक्षपाती हुए हैं देश को क्षति हुई है. विप्र को न तो खुद के लिए न ही खुद के परिवार के लिए कार्य करना है बल्कि राष्ट्रहित में वो करना है जो सर्वदा “सर्वजन हिताय” हो.      
यद्यपि ब्राह्मण का जन्म सामंजस्य और समता के लिए होता है. पर जब उसके इस हेतु में बाधा होती है तब किसी न किसी चाणक्य का प्रादुर्भाव होता है. उदाहरण सर्वव्यापी है कि -  जब नन्दराज़ ने चाणक्य को विदेशी  आतंक के विरुद्ध एकजुटता एवं अखंड-भारत के आह्वान पर अपमानित किया तो विप्र ने सही समय पर चन्द्रगुप्त के ज़रिये उस अपमान को महान ऐतिहासिक घटना में बदलने का “हेतु” बना दिया. सनातनी ब्राह्मण सदा “अखंडता का हिमायती होता है” चाहे वो राष्ट्र की अखण्डता हो या राष्ट्र में अखण्डता हो . 
सनातनी व्यवस्था में सब कुछ परिवर्तन शील है. ब्राह्मण कुलों का दायित्व है कि वो राजा को भी आवश्यकता होने पर मुखर होकर  सदाचरण का ज्ञान दे . किन्तु समकालीन परिस्थिति में समाज का हर वर्ण बिखरा बिखरा सिगमेंट में जी रहा है. सबके उद्देश्य भी प्रथक प्रथक हों ... तब जब मन ही खंडित हों तब अखंड-भारत का स्वप्न दिवा स्वप्न लगता है. न ही विप्रों में वो आत्मबल नज़र आ रहा है. 

परन्तु इस विघटन से मुक्ति के मार्ग है कठिन हैं  पर राष्ट्रहित में हैं...... लोक हित में हैं... वो है खुद की जड़ों का सिंचन. खुद को श्रेष्ठ साबित करना नहीं बल्कि जिस वर्ण से हम हैं उसे राष्ट्रोपयोगी बनाना. 
वर्तमान में विप्र वर्ग की स्थिति दिनों दिन दयनीय हो रही है एक अदद चाणक्य की ज़रूरत से इनकार नहीं किया जा सकता . 

9.2.17

पाकिस्तान को खुली चुनौती देता हिन्दुस्तानी बालगायक –“अज़मत खान ”


 
पाकिस्तान का बड़े से बड़ा फनकार में हमारे अज़मत के सामने  बौना साबित होता है. 
यह देश गन्धर्वों का देश है पीरों सूफियों साधुओं संतों का देश है...... यहां बच्चे शेरों के दांत गिन लेते हैं..... जी हाँ ये ईश्वर की रहमत का देश है.... जी हाँ ये नन्हें #अज़मत का देश है..........यकीन कीजिये....   पाकिस्तान  सिर्फ  कसाब बनाता है और भेजता है .  उसके पास हमारे देश के  अज़मत जैसा मुकाबिल कोई न था .  ........... पाकिस्तान की बड़ी से बड़ी फिल्म को या गायक को केवल अधिकतम 40 हज़ार के आसपार दर्शक मिलते हैं... जबकी भारत में उनके गायकों को पूरी शिद्दत के साथ देखा सुना जाता है. उनको सराहा जाता है........ कई पाकिस्तानी कलाकारों को रोटी और पहचान भी भारत ने दी . बदले में ज़हर उगलता पाकिस्तानी मीडिया ईर्ष्या और कुंठा के दलदल में फंसा चीखता रहता है.
जी हाँ अज़मत जयपुर के वाशिंदे हैं. जिनको 2011 का जी टी वी लिटिल चैम्पियन होने का गौरव हासिल हुआ. दक्षिण एशिया में  भारत ही एक ऐसा देश जहां सृजनात्मकता को सामाजिक तौर पर मान्यता हासिल है वह भी बिना किसी रोकटोक या जाति-धर्म-सीमाओं  के भेदभाव के. जबकि पाकिस्तान में सृजनशीलता  को प्राथमिकता देने की अपेक्षा कश्मीर मसला  या भारत के खिलाफ विद्वेष का ज़हर बच्चों को पिलाया जाता है.   
             भारत  के  बालगायक अजमत के यूट्यूब पर  अपलोडेड एक वीडियो  को  01करोड़ 46 लाख लोग देख चुके हैं, जिसे  34 हज़ार से अधिक दर्शकों ने पसंद किया  तो मात्र  3030 नापसंद भी कर गए ...........


8.2.17

गुलाब हो न तुम.... ?


रोज़री में सजे 
तुम कल बदले जाओगे
गुलाब हो न तुम
सम्मान में भी मिलते हो 
दूसरे तीसरे दिन 
कूड़ेदान में 
बदहवास मिलते हो 
गुलाब हो न तुम 
तुमको समझने वाला
होता है निराला 
गुलाब हो न तुम 
नेहरू की अचकन से रूमानी सेज तक 
तुमको हर अगली बार 
जमीन पर बिखरा बिखरा पाया
*गुलाब हो न तुम*

5.2.17

कोड रेड दस्ते से मिल के खुश हुए बच्चे


जबलपुर 5 फरवरी 2017
         बालभवन के बच्चों कोड रेड दस्ते के बीच हुए संवाद उन्मुक्त पारिवारिक संवाद हुआ. बेटियों ने कोड रेड से ये तक पूछ लिया – “अंकल, स्ट्रीट टीजिंग करने वालों की टीजिंग के वक्त साय्कोलाजी क्या होती है.”
    इस जटिल से सवाल का बड़ी चतुराई से उत्तर देते हुए कोड रेड प्रभारी श्री अनुराग पंचेश्वर ने कहा –“बेशक उनकी सायाकोलाज़ी पाजिटिव तो नहीं होती परन्तु वे अंदर से बेहद कमज़ोर अवश्य होते हैं”

     एक अभिभावक कहा – “कोडरेड पर शिकायत दर्ज करने के बाद शोहदों को जमानत अथवा सज़ा से छूटने की स्थिति में शिकायतकर्ता को  भय बना रहता है..?”

  कोडरेड- “कोडरेड ऐसी कोई स्थिति नहीं बचने देती की अपराधी का अपराध साबित न हो सके फिर अगर हम पुलिस की मदद न लें तो अपराधियों के हौसले बुलंद होना स्वाभाविक है.”
   गायिका किशोरी रंजना निषाद- “शोहदे छुरी चाकू जैसे असलहे लेकर घूमते हैं ...... ऐसी स्थिति में हम बेबस ही होतीं हैं न..?”
   कोडरेड :- शोहदे आदतन ऐसा इस इस लिए करते हैं ..... क्योंकि वे हमेशा भयभीत रहते हैं ..... भयभीत केवल कमज़ोर व्यक्ति ही होता है... आप आत्मशक्ति और युक्तियों से इन कमज़र्फ और कमजोर लोगों पर आसानी से जीत हासिल कर सकतीं  हैं यानी क़ानून की मदद ले सकतीं हैं.


        इस अवसर पर कोडरेड के विक्टिम तक पहुंचने पर भी सवाल किये गए. साथ ही कोड रेड द्वारा शौर्या शक्ति मार्शल आर्ट प्रशिक्षण सत्रों के लिए बालभवन की सराहना की.
संचालक बालभवन गिरीश बिल्लोरे ने – कोडरेड की शिकायत पेटी बालभवन गेट पर लगाने के लिए पुलिस महकमें का आभार व्यक्त किया. 
        बालभवन द्वारा एस पी शिकरवार जी के लिए एक बच्चे द्वारा बनाई गई पेंटिग एवं कोडरेड के  सदस्यों को सुनहरे पदक देकर सम्मानित किया . टाकशो के आयोजन में श्री देवेन्द्र यादव, शिप्रा सुल्लेरे कीर्ती मिश्रा, प्रिया सौंधिया का योगदान उल्लेखनीय रहा .      

3.2.17

प्रतिभाओं को देखकर चकित हूं : श्रीमति सुमित्रा बाल्मिकी अध्यक्ष नगर निगम जबलपुर

“बालभवन में जब भी आती हूं तब प्रतिभाशाली बच्चों की प्रतिभाओं को देखकर चकित रह जाती हूं। अर्तराष्ट्रीय राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर पर यश अर्जित करने वाले बच्चों से मिलकर आज मैं बेहद प्रसन्न हूं। जबलपुर के लिए बालभवन एक महत्वपूर्ण एवं आवश्यक केन्द्र बनता जा रहा है जिससे मैं बेहद प्रभावित हॅूं”
 - तदाशय के विचार श्रीमति सुमित्रा बाल्मिकी अध्यक्ष नगर निगम जबलपुर ने संभागीय बालभवन जबलपुर में आयोजित सरस्वती पूजन , वार्षिक उत्सव एवं पुरूस्कार सम्मान समारोह के दौरान दिये तथा श्रीमति बाल्मिकी ने उपस्थित जनों को आश्वत किया कि नगर निगम बालभवन के लिए भवन हेतु स्थान जगह उपलब्ध कराने के लिए प्रयत्नशील  रहेगा ।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमति सुमित्रा बाल्मिकी ,अध्यक्ष नगर निगम जबलपुर रही  जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमति मनीषा लुम्बा संभागीय उपसंचालक महिला सशक्तिकरण जबलपुर ने की कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमति नीलम मोदी, श्रीमति ज्योति उपाध्याय, श्रीमति माया भदौरिया, श्री साधना तिवारी, श्रीमति सुलभा बिल्लौरे उपस्थित रहीं।
 संभागीय बालभवन जबलपुर द्वारा कार्यक्रम का आरंभ बसंत पंचमी के अवसर पर सरस्वती पूजा एवं सरस्वती वंदना से हुआ.   
इस अवसर पर  अंर्तराष्ट्रीय प्रदर्शन के लिए मास्टर अमन बेन ढोल वादन हेतु  तथा कुमारी सेजल तपा (कटनी) को  तबला के लिए सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय बालश्री पुरूस्कार विजेता कुमारी श्रेया खंडेलवाल एवं मूर्तिकला के लिए राष्ट्रीय बालश्री प्राप्त करने के लिए  अभय सोंधिया, राष्ट्रीय बाल असेम्बली दिल्ली  में समूह गान में प्रथम स्थान पाने वाले  मास्टर अब्दुल रहमान अंसारी, चंदन सेन, आदर्श अग्रवाल, प्रगीत शर्मा को सम्मानित किया गया साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर तबला वादन की प्रस्तुतियॉं देने वाली कुमारी मनु कौशल को भी इस अवसर पर सम्मानित किया जाना उल्लेखनीय रहा। प्रांतीय  स्तर पर रचनात्मक लेखन के लिए वीनश खान एवं प्रियांशी जैन को विशेष सराहना सम्मान प्रदान किये गये।
इस अवसर पर बालभवन के चर्चित एवं 5 बार मंचित नाटक बॉबीके लिए निर्देशक श्री संजय गर्ग श्री दविंदर सिंह जी सहित  बॉबी के 30 कलाकारों  को सम्मानित कर बालभवन ने उत्साह वर्धित  किया।
श्री नरेंन्द्र गुप्ता के मार्गदर्शन  में संचालित 30 दिवसीय शौर्या शक्ति प्रशिक्षण में भाग लेने वाले 800 प्रतिभागियों को दीक्षांत प्रशिक्षण प्रमाण पत्र प्रदान किये गये प्रशिक्षनार्थियों के  बेहतर प्रदर्शन , सबला सम्मेलन, तथा गणतंत्र दिवस 2016 एवं 2017 में महिला बालविकास की प्रथम स्थान अर्जित करने वाली  झांकी में बेहतरीन प्रदर्शन कर के लिए मास्टर गजेंद्र डेहरिया ,व्योम गर्ग, सत्यम पांडे, रागिनी दुबे, भावना दुबे, पूर्णिमा सोंधिया, रिंकी राय, मधु राय, खुशबू, यशिका जैन, अदिती पटेल, रीना पटेल, स्तुति गालव,  को पदक देकर सम्मानित किया गया।
  बालभवन द्वारा बालभवन की सफलता में योगदान के लिए मीडिया सहयोगी,  बबीता घोष, बबीता नामदेव, अनुकृति श्रीवास्तव, सुरभि तिवारी , हरीष दुबे को सम्मानित किया गया ।
इतना ही नहीं बालभवन द्वारा गीतकार इरफान झांसवी, लोकगीत गायक श्री मिठाईलाल चक्रवर्ती श्री अंजनी विश्वकर्मा , श्री मोनू परिहार आदि को सुश्री शैलजा सुल्लेरे, शिप्रा सुल्लेरे, इन्द्र पांडे, अनुराग त्रिवेदी, श्री देवेन्द्र यादव, श्री सोमनाथ सोनी ,श्रीमति विजयलक्ष्मी अइय्यर, श्रीमति मीना सोनी, श्री राजेन्द्र श्रीवास्तव, श्री टेकराम डेहरिया आदि को भी बालभवन में की गयी सेवाओं के लिए  पुरूस्कृत एवं सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम अध्यक्ष  श्रीमति मनीषा लुम्बा ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे बालभवन की गति विधियों को देखकर बार-बार आने का मन करता है। बालभवन के बच्चों की उपलब्धियों को देखकर यहां चलने वाली गति विधियों का सहज अंदाज लगाया जा सकता है।
संचालक बालभवन गिरीश बिल्लोरे बताया कि- यह आयोजन दर्शाने का प्रयास है कि किसी भी संस्थान के विकास एवं उसके यश के लिए किसी एक व्यक्ति का महत्व न होकर संपूर्ण सहयोगियों का महत्व होता है। तथा जिनका सम्मान का संचालक के रूप में मुझे आत्मीय सुख की अनुभूति होती रही है।
आयोजन में 284 बालप्रतिभाओं को  खो खो, बालीबाल, चित्रकला, पोस्टर मेंकंग , कविता के लिए पुरूस्कृत किया जाना उल्लेखनीय कार्य था.

      कार्यक्रम का संचालन महिमा  गुप्ता एवं मनीषा तिवारी ने किया ।

1.2.17

शौर्या-शक्ति आत्मरक्षा प्रशिक्षण : दिख रहा असर

संभागीय
बाल भवन जबलपुर द्वारा निर्भया  दिवस  दिनांक  16 दिसंबर 2014 से
प्रारम्भ  मार्शल आर्ट प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन  
31 दिसंबर 2014 को बाल भवन परिसर में श्रीमती प्रज्ञा
रिचा श्रीवास्तव
, आईपीएस, आईजी-महिला
सेल
,जबलपुर के मुख्यआतिथ्य में सम्पन्न हुआ था तब अपने उदबोधन में श्रीमती
प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव ने बच्चों की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि जो
बच्चों ने मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण प्राप्त किया हैं वो किसी भी स्थिति में जीवन
के लिए बेहद महत्वपूर्ण है  खासकर तब और आवश्यक है जब कि सामाजिक परिस्थितियाँ
सामान्य नहीं हैं ।किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि किसी अन्य व्यक्ति खासकर बालिकाओं
,
  बच्चों , महिलाओं , के
विरुद्ध हिंसक हो । बच्चे देश का  भविष्य हैं हमारी कोशिशें ये होनी चाहिए कि
हम खुद बेहतर तरीके से जिएं  और समूचे समाज को सुख से जीनें दें । बाल भवन के
इस प्रयास से मैं बेहद उत्साहित हूँ ।
मेरा सुझाव है कि प्रशिक्षण
निरंतर जारी रहे इस हेतु जो भी सहयोग अपेक्षित हो उसके लिए सदैव तत्पर हूँ ।

  बालभवन जबलपुर ने उनकी
सलाह मानते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम को श्री नरेंद्र गुप्ता जी के नि:शुल्क
प्रशिक्षण देने के वादे के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम को  निरंतरता दी. और वर्ष 2015 तक हम 400 बच्चों को
प्रशिक्षित कर सके. 23 दिसंबर 2015 को दीक्षांत समारोह में रानी दुर्गावती
संग्राहालय ग्राउंड में प्रदर्शन के उपरांत 8 जनवरी 2016 को सबला सम्मेलन में
प्रशिक्षित बालिकाओं ने स्ट्रीट फाईट का मंचीय प्रदर्शन मानस भवन में कर सभी को
चकित कर दिया. अगस्त 2016 में पुन: सरस्वती शिशु मंदिर में प्रदर्शन किया गया .  


द्वितीय
चरण में बालभवन जबलपुर ने बेटियों में आत्मविश्वास जगाने तथा सड़क पर असामाजिक
तत्वों को सबक सिखाने उनसे निपटने  “30
दिवसीय शौर्या-शक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रम के”  तैयार कर  1 सितम्बर 2016 से नई पहल श्री दिग्विजयसिंह ,
सचिव, मध्यप्रदेश ओलोम्पिक के आतिथ्य में बालभवन परिसर में प्रशिक्षण कार्यक्रम की
शुरुआत की गई . जिसका संचालन बिदाम बाई गुगलिया स्कूल, माता गुज़री कालेज, बालभवन,
शासकीय स्कूल बरगी में किया गया. दिसंबर 16 तक लगभग 800 बालिकाएं प्रशिक्षित हो
चुकीं हैं. इन प्रशिक्षणों में डा पंकज शुक्ल (बिदामबाई स्कूल), श्रीमती अभिलाषा
शुक्ल (माता गुज़री कालेज), श्रीमती आरती साहू (बरगी) का उल्लेखनीय सहयोग रहा .






24
जनवरी 2017 को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बालभवन द्वारा आत्मरक्षा  प्रदर्शन से प्रेरित होकर होमसायंस कालेज की
प्रोफ़ेसर  डा. राजलक्ष्मी त्रिपाठी एवं
नचिकेता कालेज की  डा (श्रीमती) श्रीकांता
अवस्थी द्वारा 30 जनवरी 2017 से अपने अपने महाविद्यालयों में “30 दिवसीय
शौर्या-शक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रम” के आयोजन की पेशकश की . दौनों ही प्रशिक्षण
केन्द्रों में क्रमश: 100 एवं 40 कुल 140 बालिकाओं को दिनांक 30 जनवरी 2017 से
प्रशिक्षण प्रारम्भ किया जा चुका है. 


31.1.17

बसंत-पंचमी अतीत की घटनाएं

with thanks from divine avatars.com

विकी पीडिया में बसंत-पंचमी पर जो भी तथ्य अंकित हैं आपके समक्ष विकी के प्रति  अग्रिम आभार सहित सादर प्रस्तुत है.
वसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी आंखें फोड़ दीं । इसके बाद की घटना तो जगप्रसिद्ध ही है। गौरी ने मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर गौरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया।
चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥
इसके साथ ही यह पर्व हमें अतीत की अनेक प्रेरक घटनाओं की भी याद दिलाता है। सर्वप्रथम तो यह हमें त्रेता युग से जोड़ती है। रावण द्वारा सीता के हरण के बाद श्रीराम उसकी खोज में दक्षिण की ओर बढ़े। इसमें जिन स्थानों पर वे गये, उनमें दंडकारण्य भी था। यहीं शबरी नामक भीलनी रहती थी। जब राम उसकी कुटिया में पधारे, तो वह सुध-बुध खो बैठी और चख-चखकर मीठे बेर राम जी को खिलाने लगी। प्रेम में पगे झूठे बेरों वाली इस घटना को रामकथा के सभी गायकों ने अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया। दंडकारण्य का वह क्षेत्र इन दिनों गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला है। गुजरात के डांग जिले में वह स्थान है जहां शबरी मां का आश्रम था। वसंत पंचमी के दिन ही रामचंद्र जी वहां आये थे। उस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रध्दा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे। वहां शबरी माता का मंदिर भी है।
वसंत पंचमी हिन्दी साहित्य की अमर विभूति महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का जन्मदिवस (28.02.1899) भी है। निराला जी के मन में निर्धनों के प्रति अपार प्रेम और पीड़ा थी। वे अपने पैसे और वस्त्र खुले मन से निर्धनों को दे डालते थे। इस कारण लोग उन्हें 'महाप्राण' कहते थे।
वसंत पंचमी हमें गुरू रामसिंह कूका की भी याद दिलाती है। उनका जन्म 1816 ई. में वसंत पंचमी पर लुधियाना के भैणी ग्राम में हुआ था। कुछ समय वे रणजीत सिंह की सेना में रहे, फिर घर आकर खेतीबाड़ी में लग गये, पर आध्यात्मिक प्रवष्त्ति होने के कारण इनके प्रवचन सुनने लोग आने लगे। धीरे-धीरे इनके शिश्यों का एक अलग पंथ ही बन गया, जो कूका पंथ कहलाया।
गुरू रामसिंह गोरक्षा, स्वदेशी, नारी उध्दार, अंतरजातीय विवाह, सामूहिक विवाह आदि पर बहुत जोर देते थे। उन्होंने भी सर्वप्रथम अंग्रेजी शासन का बहिश्कार कर अपनी स्वतंत्र डाक और प्रशासन व्यवस्था चलायी थी। प्रतिवर्ष मकर संक्रांति पर भैणी गांव में मेला लगता था। 1872 में मेले में आते समय उनके एक शिष्य को मुसलमानों ने घेर लिया। उन्होंने उसे पीटा और गोवध कर उसके मुंह में गोमांस ठूंस दिया। यह सुनकर गुरू रामसिंह के शिष्य भड़क गये। उन्होंने उस गांव पर हमला बोल दिया, पर दूसरी ओर से अंग्रेज सेना आ गयी। अत: युध्द का पासा पलट गया। इस संघर्ष में अनेक कूका वीर शहीद हुए और 68 पकड़ लिये गये। इनमें से 50 को सत्रह जनवरी 1872 को मलेरकोटला में तोप के सामने खड़ाकर उड़ा दिया गया। शेष 18 को अगले दिन फांसी दी गयी। दो दिन बाद गुरू रामसिंह को भी पकड़कर बर्मा की मांडले जेल में भेज दिया गया। 14 साल तक वहां कठोर अत्याचार सहकर 1885 ई. में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।
वसंत पंचमी का लाहौर निवासी वीर हकीकत से भी गहरा संबंध है। एक दिन जब मुल्ला जी किसी काम से विद्यालय छोड़कर चले गये, तो सब बच्चे खेलने लगे, पर वह पढ़ता रहा। जब अन्य बच्चों ने उसे छेड़ा, तो दुर्गा मां की सौगंध दी। मुस्लिम बालकों ने दुर्गा मां की हंसी उड़ाई। हकीकत ने कहा कि यदि में तुम्हारी बीबी फातिमा के बारे में कुछ कहूं, तो तुम्हें कैसा लगेगा? बस फिर क्या था, मुल्ला जी के आते ही उन शरारती छात्रों ने शिकायत कर दी कि इसने बीबी फातिमा को गाली दी है। फिर तो बात बढ़ते हुए काजी तक जा पहुंची। मुस्लिम शासन में वही निर्णय हुआ, जिसकी अपेक्षा थी। आदेश हो गया कि या तो हकीकत मुसलमान बन जाये, अन्यथा उसे मृत्युदंड दिया जायेगा। हकीकत ने यह स्वीकार नहीं किया। कहते हैं उसके भोले मुख को देखकर जल्लाद के हाथ से तलवार गिर गयी। हकीकत ने तलवार उसके हाथ में दी और कहा कि जब मैं बच्चा होकर अपने धर्म का पालन कर रहा हूं, तो तुम बड़े होकर अपने धर्म से क्यों विमुख हो रहे हो?  यह घटना वसंत पंचमी (23.2.1734) को ही हुई थी।
स्रोत  https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A4_%E0%A4%AA%E0%A4%9E%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%AE%E0%A5%80

26.1.17

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री भार्गव ने ध्वजारोहण किया गणतंत्र दिवस पर गरिमामय समारोह आयोजित

इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री भार्गव ने सामाजिक न्याय मंत्रालय भारत सरकार की ओरसे नि:शक्तजन कल्याण के क्षेत्र में जबलपुर जिले को मिले बेस्ट डिस्ट्रिक्ट अवार्ड के परिप्रेक्ष्य मेंनि:शक्तजनों के बेहतर पुनर्वास के लिए सीईओ जिला पंचायत हर्षिका सिंहसंयुक्त संचालक सामाजिकन्याय टी.एसमरावी तथा डॉ रामनरेश को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए। क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडियाद्वारा जबलपुर शहर को खुले में शौच से मुक्त शहर घोषित करने की उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करनेमें सराहनीय कार्य के लिए महापौर डॉ स्वाति गोडबोले और आयुक्त नगर निगम वेदप्रकाश को भी मुख्यअतिथि द्वारा सम्मानित किया गया। उपरोक्त राष्ट्रीय पुरस्कारों के अलावा कृष्णा साहू को ग्रामबघराजी की छुई खदान में महिलाओं  बालिकाओं को डूबने से बचाने के लिए मिले राज्य स्तरीयवीरतापूर्ण कार्य पुरस्कार के परिप्रेक्ष्य में मुख्य अतिथि ने सम्मानित किया ।

मार्चपास्ट में आईटीबीपी 29 वीं वाहिनी को प्रथमजिला पुलिस बल पुरूष को द्वितीय औरजिला पुलिस बल महिला को तृतीय पुरस्कार मिले। मार्चपास्ट में सम्मिलित बिना शस्त्र दलों में एनसीसीसीनियर ब्वायज को पहलाएनसीसी सीनियर गल्र्स को दूसरा और एनसीसी जूनियर ब्वायज को तीसरा पुरस्कार प्राप्त हुआ । 
झांकियों में महिला एवं बाल विकास विभाग को पहलाकृषि को दूसरा तथा ऊर्जाएवं ई गवर्नेंस सोसायटी को तीसरा पुरस्कार दिया गया ।        दाऊदी बोहरा समाज के बैण्ड दल और पं.लज्जाशंकर झा उत्कृष्ट .मा.विद्यालय के बैण्ड दल को भी पुरस्कृत किया गया। मुख्य अतिथि श्रीभार्गव ने उपरोक्त विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रत्येक प्रस्तुति कोपांच हजार रूपए तथा सभी प्रतिभागी बच्चों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए।
समारोह में महापौर डॉ स्वाति गोडबोलेजिला पंचायत अध्यक्ष मनोरमा पटेलजबलपुरविकास प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ विनोद मिश्रा तथा एमआईसी सदस्य मौजूद थे। इनके अलावाकमिश्नर गुलशन बामराआईजी डी.श्रीनिवास रावकलेक्टर महेशचन्द्र चौधरी एवं पुलिस अधीक्षक डॉएम.एससिकरवार भी समारोह में मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप दुबेगिरीश मैराल तथासंदीपा स्थापक ने किया।

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