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चिरंजीव कन्हैया ........

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चिरंजीव कन्हैया .....                               “समझदार बनो भारत को पढो ” भारत के सामाजिक सांस्कृतिक मुद्दों को सदा ही जाति धर्म के चश्में से राजनैतिक फायदे के लिए देख कर सम्वाद करना  तुम्हारा शगल ही है. भारतीय सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन के लिए किसी सियासी हस्तेक्षेप की कतई ज़रुरत नहीं है . समाज खुद को जिस सहजता से परिवर्तित करता है उसमें बाह्यबल की ज़रा सी भी ज़रुरत नहीं है . भारतीय व्यवस्था ने स्मृतियों खासकर मनुस्मृति में प्रावाधित व्यवस्था को अंगीकृत कदापि नहीं किया न ही उसे स्वीकारने की कोई ललक नज़र आ रही है . जो स्वीकृत ही नहीं है उस पर अनर्गल प्रलाप अपने सियासी नफे के लिए करना एक दुखद बिंदु है . सियासी हस्तक्षेप शीर्षक से                      राष्ट्रीय जागरण में इस आलेख                       का  प्रकाशन 18 मार्च 2016                       अंक में किया ।  प्रकाशित आलेख                       इसी ब्लॉग पोस्ट का  हिस्सा है     भारतीय सामाजिक व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन तेज़ी से आ रहे हैं . न केवल बदलाव आ रहे हैं वरन उसे सामाजिक सम्मति भी प्राप्त होती नज़र आ रही है.

सिस्टम कैसे चलेगा ... ?

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ज़िंदगी भर नफ़ा नुकसान का भान न रहा जब इस बात का एहसास हुआ तो पता लगा आँखें कमजोर हो चुकीं हैं . लोगों को  कहते सुना हैं ......... कि नालायक किस्म का इंसान हूँ .  अब बित्ते भर की लियाकत होती तो भी कोई बात थी अब तो लियाकत के नाम पर कहते हैं मेरे पास अंगुल भर भी लियाकत नहीं है ऐसा कहते हैं लोग ... ! सही कहते होंगे लायक लोग ही हैं जो लायक और नालायक के बीच अच्छा फर्क तय करके स-तर्क सबको समझा देते हैं . बहुत साल पहले एक दफा मुझे बतौर नज़राना एक भाई ने कुछ दिया हुज़ूर अपन ने तकसीम कर दिया . एक हिस्सा अपने तम्बाखू मिक्स गुटके के वास्ते रख लिया ... यानी नज़राने का दसवां हिस्सा रख क्या लिया बक्खा चपरासी को देकर बोला मोहन की दूकान से बढ़िया गुटका ले आ जा और बोलना हाथ धो के तम्बाखू बनाए. नज़राना देने वाले को उससे ज़्यादा कीमत की लस्सी मंगा के पिला दी और कहा ........ भैया, आपका खाम हुआ मन बहुत खुश है लगा मेरा कोई काम बन गया. बन्दा भौंचक मुझे देखता रहा . वो क्या सभी देख रहे थे . तभी बड़े सा’ब जी ने बुलवाया . सा’ब जी ने चैंबर में मुझे कुछ काम दिया मैंने लिया. बाहर अपने कमरे में दाखिल होने से पहले कानों

डिज़िटल विश्व : असंभव सम्भव होगा

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2016 Virtual Reality का वर्ष है । हालांकि इसकी पुष्टि  महाभारत काल  में संजय ने कर दी थी । इस पर एक वीडियो 3 साल पहले से मौजूद है । विज्ञान का यह चमत्कार महाभारत काल को झूठा अथवा मिथक समझने वालों की आँखे खोल देगा । सनातन काल यानी अनादि काल  से चली आ रही व्यवस्था के लचीले होने की वज़ह से भारत में एकाधिक अवधारणाऐं   बहुत आज भी अस्तित्व में हैं । जो सख्त है वो टूटता है । पंथ मत अवधारणा परिवर्तनशील हों वर्ना परिवर्तन से अप्रभावित रह कर रूढ़ि एवं अप्रिय लगती हैं । अगर भारतीय सामाजिक राजनैतिक व्यवस्था को दर्शन के ऐनक से देखें तो अपेक्षाकृत अधिक बदलाव हुए हैं । मित्रो हिंदुत्व कोई धर्म नहीं वरन सनातन परन्तु परिवर्तनशील व्यवस्था है । यहाँ जनतंत्र सर्वोच्च है । बार बार स्वीकार्य हुआ । हर्ष के काल में ग्राम स्तरीय वैसी व्यवस्था थी जैसी आज की पंचायती राज व्यवस्था । रामायण काल में आदिवासी कबीलों को स्वायत्ता थी । पर  कुछ ख़ास  वर्ग के लोग ये व्यवस्था नहीं चाहते लोग रामायण और महाभारत काल को नकारते नज़र आते हैं । ताकि प्राचीनतम प्रणालियों का अंत हो । इस हेतु प्रमाण ठीक उसी तरह सक्रियता से मिटाने की

यूनिवर्सिटीयों को ब्रेनबम नहीं ईमानदार व्यक्तित्व बनाने दो

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" भारतीय संविधान   में   स्वतंत्रता का अधिकार   मूल अधिकारों में सम्मिलित है। इसकी   19, 20, 21   तथा   22   क्रमांक की धाराएँ नागरिकों को बोलने एवं   अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता   सहित ६ प्रकार की   स्वतंत्रता   प्रदान करतीं हैं।   भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारतीय संविधान में धारा १९ द्वारा सम्मिलित छह स्वतंत्रता के अधिकारों में से एक है." { साभार विकी }                               राष्ट्रद्रोही नारों को  जे एन यू काण्ड में कन्हैयानामक युवक जो जे एन यू  का प्रेसीडेंट है गिरफ्तार हुआ तो हायतौबा मच गई .   सर्वाधिक सब्सिडी   पाने वाले इस यूनिवर्सिटी के छात्र यूनिवर्सिटी  के उद्देश्यों को धता बताते हुए  छात्र यदि  अफ़ज़ल गुरु  या बट को याद करते हैं इतना ही नहीं इन कुछ छात्रों ने जिनके पीछे बहुत कुछ ताकतें काम करती प्रतीत होतीं हैं देशद्रोह सूचक नारे लगाते हैं ........ बावजूद इसके कि हाफ़िज़ सईद { जिस पर  कोई भरोसा नहीं कर सकता है } ने   किनारा किया हो . हमारा अनुमान है वास्तव में इसके पीछे बरसों से एक ख़ास प्रकार का समूह सक्रीय है . जो केवल मानसिक रोगी बेहिसाबी बहस के

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी से राष्ट्रीय बालश्री सम्मान प्राप्त बाल-प्रतिभाओं ने की मुलाक़ात

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बालश्री विजेता बच्चों के साथ मान. शिवराज सिंह जी , महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह जी, एवं श्री जे एन कन्सौटिया, प्रमुख-सचिव, महिला बाल-विकास        मध्य प्रदेश के इतिहास में ये पहला अवसर था की राष्ट्रीय स्तर के 9 बालश्री सम्मान प्रदेश के झोली में आए हैं. । महिला सशक्तिकरण संचालनालय अंतर्गत संचालित जवाहर बालभवन एवं अधीनस्त संभागीय बालभवनों के बाल कलाकारों क्रमश:  मास्टर निनाद अधिकारी (संतूर , जवाहर बालभवन , भोपाल ) कुमारी हिबा खान (कला, जवाहर बालभवन , भोपाल , ) कुमारी कृति मालवीय ( लेखन जवाहर बालभवन , भोपाल ) मास्टर तनय तलैया (साइंस , संभागीय बालभवन उज्जैन) कुमारी प्रियंका पाटकर (लेखन , संभागीय बालभवन ग्वालियर , ) शुभमराज अहिरवार , ( कला , संभागीय बालभवन जबलपुर) , कुमारी चंद्रिका अग्रवाल (कला- संभागीय बालभवन सागर , ), कुमारी रूचि तिवारी (कला- अभिनव बालभवन भोपाल ,), तथा मास्टर ईशान शुक्ला (लेखन- अभिनव बालभवन भोपाल) के क्षेत्र में प्राप्त हुए हैं . देश के 63 बालश्री सम्मान हेतु चयन प्रक्रिया चयनित किया जिसमें मध्य-प्रदेश इन 09 बच्चों का चयन हुआ. राष्ट्रीय बालभवन , क

साँसों के मशवरे है इक अमर-गीत गालूँ ?

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साँसों का मशवरा है कब टूट जाना होगा.. उसे टूटने से पहले इक  अमर गीत गालूँ..!! जिसमें न सिर्फ तुम हो , जिसमें न सिर्फ हम हों न हर्फ़ हों न सुर हों , न ताल-लय हो उसमें - बस प्रीत राग छलके.. गीत आज छलके   इक ऐसा गीत लिक्खो कि याद में छिपालूँ कब टूटती हैं साँसे , कब रुकेंगी आंसें - कब बंद होतीं आँखें ,  झपकेंगी कब ये आँखें इक लोरी तो सुनाओ , सोना है ज़ल्द मुझको .. कल का सफ़र है लंबा , आराम ज़रा पालूँ... कुछ लोग बरसते हैं कुछ लोग तरसतें हैं कमजोर कोई देखा जी भर के गरजते हैं रब जानता है मुझको रब मेरा भी है लोगो साँसों के मशवरे है इक अमर-गीत गालूँ ?

बालश्री सम्मान : दिल्ली के विज्ञान भवन में चमका नगर का सितारा शुभमराज अहिरवार

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      संभागीय बालभवन जबलपुर में संचालित सतत रचनात्मक एवं सृजनात्मक गतिविधियों के चलते  संस्कारधानी को निरंतर मान-सम्मान एवं यश अर्जित करने के अवसर मिल रहे हैं  बाल भवन के विद्यार्थी मास्टर शुभमराज अहिरवार को राष्ट्रीय  बालश्री सम्मान 2013 के लिए नई-दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमति स्मृति जुबिन ईरानी ने दिनांक 3/2/2016 को अलंकृत किया. समारोह में कला-साहित्य-संगीत- नृत्य की  62 बाल प्रतिभाओं को देश के प्रतिभावान बच्चों को दिए जाने वाले सर्वोच्च  “बालश्री सम्मान” दिया गया है . प्रदेश के जवाहर बालभवन से 5 तथा संभागीय बालभवनों क्रमश: जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर, सागर   से एक एक प्रतिभाशाली बच्चों सहित 09 बच्चे  सम्मानित हुए.   प्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह , प्रमुख सचिव श्री जे एन कन्सौटिया  आयुक्त एवं विशेष कर्ताव्यस्थ अधिकारी  महिला सशक्तिकरण श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव , राज्य स्तरीय बालभवन की निदेशक श्रीमती तृप्ति मिश्रा , संयुक्त-संचालक द्वय श्री उमाशंकर नगाइच एवं सुश्री  सीमा शर्मा  संभागीय  उपसंचालक गण

लाडो की पलकें झुकीं नहीं : प्रथम पुरस्कार मिला

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26 जनवरी 2016 को माननीय पंचायत   एवं   ग्रामीण   विकास   मंत्री   श्री गोपाल भार्गव के आतिथ्य में 67 वें गणतंत्र-दिवस समारोह का आयोजन हुआ.              बेटियाँ मातृशक्ति का प्रतीक हैं  भारतीय संस्कृति का गौरवगान हैं । इसी भावभूमि पर आधारित प्रदर्शनों के साथ महिला-बाल विकास विभाग के  महिला सशक्तिकरण, एवं बाल विकास सेवा विंग  67वें गणतंत्र-दिवस समारोह में शामिल हुए.     परेड में शामिल  22 सदस्यीय शौर्या दल  की कमान श्री योगेश नेमा के हाथ थी .           “बेटियाँ : नए क्षितिज की ओर” थीम पर आधारित महिला बाल विकास की झांकी पांच भागों में विभक्त थी ।  भाग एक :- घुड़सवार बेटियाँ झांकी की अगुवाई करते हुए महिला बाल विकास की इस झांकी में बेटियों द्वारा पिछले दशकों में प्राप्त सकारात्मक बदलाव एवं उपलब्धियों को चित्रित किया है ।          प्रदेश सरकार न केवल पालने से पालकी तक बेटियों के बारे में संकल्पित है वरन बेटियों की क्षमताओं , योग्यताओं के संवर्धन में आगे बढ़कर सफल एवं कारगर कोशिश की है ।  भाग दो :- “ नए क्षितिज की ओर ...!” शीर्षक वाक्य बेटियों को साम

जबलपुर में गणतंत्र पर्व 2016 में प्रथम रही महिला सशक्तिकरण की लाडो

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आज दिनांक 26 जनवरी 2016 को माननीय पंचायत   एवं   ग्रामीण   विकास   मंत्री   श्री गोपाल भार्गव के आतिथ्य में 67 वें गणतंत्र-दिवस समारोह का आयोजन हुआ.              बेटियाँ मातृशक्ति का प्रतीक हैं  भारतीय संस्कृति का गौरवगान हैं । इसी भावभूमि पर आधारित प्रदर्शनों के साथ महिला-बाल विकास विभाग के  महिला सशक्तिकरण, एवं बाल विकास सेवा विंग  67वें गणतंत्र-दिवस समारोह में शामिल हुए.     परेड में शामिल  22 सदस्यीय शौर्या दल  की कमान श्री योगेश नेमा के हाथ थी .            “बेटियाँ : नए क्षितिज की ओर” थीम पर आधारित महिला बाल विकास की झांकी पांच भागों में विभक्त थी ।  भाग एक :- घुड़सवार बेटियाँ झांकी की अगुवाई करते हुए महिला बाल विकास की इस झांकी में बेटियों द्वारा पिछले दशकों में प्राप्त सकारात्मक बदलाव एवं उपलब्धियों को चित्रित किया है ।          प्रदेश सरकार न केवल पालने से पालकी तक बेटियों के बारे में संकल्पित है वरन बेटियों की क्षमताओं , योग्यताओं के संवर्धन में आगे बढ़कर सफल एवं कारगर कोशिश की है ।   भाग दो :-   “ नए क्षितिज की ओर ...!” शीर्षक वाक्य बे