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राजेश उत्साही के ब्लाग गुल्लक पर देखिये भवानी प्रसाद मिश्र की तीन कविताएं

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          29 मार्च कवि भवानी प्रसाद मिश्र का जन्‍मदिन है। प्रस्‍तुत हैं उनकी तीन कविताएं। अबके मुझे पंछी बनाना अबके या मछली या कली और बनाना ही हो आदमी तो किसी ऐसे ग्रह पर जहां यहां से बेहतर आदमी हो आगे कविताएं पढ़ने यहां चटका लगाएं "राजेश उत्साही के ब्लाग गुल्लक "              ***

ज्ञान जी को कविता का बहुत गहरा ज्ञान है : मनोहर बिल्लौरे

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                        बात उन दिनों की है जब  ज्ञानरंजन    जी नव-भास्कर का संपादकीय पेज देखने जाते थे। सन याद नहीं। तब वे अग्रवाल कालोनी (गढ़ा) में रहा करते थे. सभी मित्र और चाहने वाले अक्सर शाम के समय, जब उन के निकलने का समय होता, पहुँच जाते. चंद्रकांत जी दानी जी मलय जी, सबसे वहाँ मुलाकात हो जाती। आज इंद्रमणि जी याद आ रहे हैं। वे भी अपनी आवारा जिन्दगी में ज्ञान जी के और हमारे निकट रहे और अपनी आत्मीय उपसिथति से सराबोर किया। उस समय जब ज्ञान जी ने संजीवनीनगर वाला घर बदला और रामनगर वाले निजी नये घर में आये तब काकू (सुरेन्द्र राजन) ने ज्ञान जी का घर व्यवसिथत किया था. जिस यायावर का खुद अपना घर व्यवसिथत नहीं वह किसी मित्र के घर को कितनी अच्छी तरह सजा सकता है, यह तब हम ने जाना, समझा। ज्ञानरंजन की बदौलत हमें काकू (सुरेन्द्र राजन) मिले. मुन्ना भाइ एक और दो में उनका छोटा सा रोल है। बंदिनी सीरियल में वे नाना बने हैं। उन्हें तीन कलाओं में अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड मिले है। वे कहते हैं कि फिल्म में काम हम इसलिये करते हैं ताकि महानगर में रोटी, कपड़ा और मकान मिलता रहे। ज्ञानरंजन जी, प्रमुख

A TRIBUTE TO SHIRDEE SAI BABADEVOTIONAL ALBUM "BAWARE FAQEERA"

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A TRIBUTE TO SHIRDEE SAI BABADEVOTIONAL ALBUM                                   "BAWARE FAQEERA"                               VOICE :-                                *ABHAS JOSHI -*SANDEEPA PARE                              MUSIC:-                               *SHREYASH JOSHI                                LYRICS:-                               *GIRISH BILLORE"MUKUL"    _____________________________  ______________________________  _____________________________  ______________________________

गिरीश बिल्लोरे मुकुल की तीन कविताएं

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आ मीत लौट चलें गीत को सँवार लें

आ मीत लौट चलें गीत को सँवार  ले अर्चना का वक़्त है आ बातियाँ सुधार लें ******************** भूल हो गयी अगर गीत में या छंद में जुट जाएं मीत आ सुधार के प्रबंध में कोई रूठा हो अगर तो प्रेम से पुकार लें आ मीत .................................!! ******************** कौन जाने कुंठित मन कितने घर जलाएगा कौन जाने मन का दंभ- "कितने गुल खिलाएगा..?" प्रेम कलश रीता तो, चल अमिय उधार लें ..!! आ मीत .................................!! ******************** आत्म-मुग्धता का दौर,शिखर के लिये  ये दौड़ न कहीं सुकून है,न मिला किसी को ठौर शंखनाद फिर  कभी ! आज  तो  सितार लें ॥! आ मीत .................................!! ********************

बावरे-फ़क़ीरा की लांचिंग को चार बरस पूरे :गिरीश बिल्लोरे

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१४ मार्च २००९ की शाम कुछ यादें आराधना और प्रभू का आभार   विकलागों की सेवा का संकल्प लेकर उसे पूरा करना उसे आकार देना अनुकरणीय है.मुझे बेहद प्रसन्नता है की सव्यसाची कला ग्रुप जबलपुर द्वारा जिस भक्ति एलबम “बावरे-फ़कीरा” का लोकार्पण किया जा रहा है सराहनीय कार्य है “-तदाशय के विचार दिनांक 14 मार्च 2009 को सायं:07:30 बजे स्थानीय मानस भवन में आयोजितभक्ति एलबम “बावरे-फ़कीरा” का लोकार्पण समारोह अवसर पर ईश्वर दास रोहाणी ने व्यक्त किये . कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री मुकेश गर्ग महानिदेशक संगीत संकल्प ने कार्यक्रम के उद्द्येश्य की सफलता के लिए समुदाय से अनुरोध किया जबकि अस्थि रोग विशेषज्ञ डाक्टर जितेन्द्र जामदार के बावरे-फकीरा एलबम टीम के सदस्यों आभास जोशी , गिरीश बिल्लोरे , श्रेयस जोशी , सहित सभी सदस्यों के कृतित्व पर प्रकाश डाला. डाक्टर जामदार का कथन था कि “गिरीश और ज़ाकिर हुसैन वो लोग हैं जो बैसाखियों से नहीं बैसाखियाँ उनसे चलतीं है. जाकिर हुसैन  बेहद अध्यात्मिक-उर्जा से परिपूर्ण वातावरण में एलबम का विमोचन कराने साईं बाबा बने एक बच्चे ने मशहूर पोलियो ग्रस्त गायक जाकिर हुसैन एवं आभास

50 वर्ष पूर्व अरबवासियों के प्रति दृष्टि :डैनियल पाइप्स

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डैनियल पाइप्स 1962 में अत्यंत आकर्षक, चिकने आवरण पर 160 पृष्ठों की  The Arab World  शीर्षक की पुस्तक में तात्कालिक रूप में कहा गया, "कभी अत्यन्त समृद्ध और फिर पराभव को प्राप्त विस्तृत अरब सभ्यता आज परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। कुछ फलदायक अव्यवस्था प्राचीन जीवन की निश्चित परिपाटी को बदल रही है" । इस संस्करण ने इस बात का दावा किया कि इसकी तीन विशेषतायें आधी शताब्दी के बाद भी इसे समीक्षा के लिये बाध्य करती हैं। पहला, उस समय की उच्चस्तरीय अमेरिकी साप्ताहिक पत्रिका लाइफ ने इसे प्रकाशित किया जिसमें कि सांस्कृतिक केंद्रीयता निहित थी । दूसरा, एक सेवा निवृत्त विदेश मंत्रालय के अधिकारी जार्ज वी एलेन ने इसकी प्रस्तावना लिखी थी जिससे कि पुस्तक के मह्त्व की ओर संकेत जाता था। तीसरा, एक ख्यातिलब्ध ब्रिटिश पत्रकार, इतिहासकार और उपन्यासकर्ता डेसमन्ड स्टीवर्ट ( 1924 – 1981) ने इस पुस्तक को लिखा । द अरब वर्ल्ड अत्यंत प्रभावी रूप से दूसरे काल के समय को प्रस्तुत करता है; वैसे तो पूरी तरह अपने विषय को बहुत मधुर बनाकर नहीं रखा है लेकिन स्टीवर्ट ने सहज और शालीन भाव से अपनी