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ब्लॉग एक नया अखबार है जो अखबारों की पतनशील चुप्पी, उसकी विचारहीनता, उसकी स्थानीयता, सनसनी और बाजारु तालमेल के खिलाफ हमारी क्षतिपूर्ति करता है : श्री ज्ञानरंजन

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' श्री ज्ञानरंजन '' का मानना है :-"समीर लाल, एक बड़े और निर्माता ब्लॉगर के रुप में जाने जाते हैं. मेरा इस  दुनिया से परिचय कम है. रुचि भी कम है. मैं इस नई दुनिया को हूबहू और जस का  तस स्वीकार नहीं करता. अगर विचारधारा के अंत को स्वीकार भी कर लें, तो भी  विचार कल्पना, अन्वेषण, कविता, सौंदर्य, इतिहास की दुनिया की एक डिज़ाइन  हमारे पास है. यह हमारा मानक है, हमारी स्लेट भरी हुई है. मेरे लिए काबुल के खंडहरों के बीच एक छोटी सी बची हुई किताब की दुकान आज भी रोमांचकारी है. मेरे लिए यह भी एक रोमांचकारी खबर है कि अपना नया काम करने के लिए विख्यात लेखक मारक्वेज़ ने अपना पुराना टाइपराईटर निकाल लिया है. कहना यह है कि समीर लाल ने जब यह उपन्यास लिखा, या अपनी कविताएं तो उन्हें एक ऐसे संसार में आना पड़ा जो न तो समाप्त हुआ है, न खस्ताहाल है, न उसकी विदाई हो रही है. इस किताब का, जो नावलेट की शक्ल में लिखा गया है, इसके शब्दों का, इसकी लिपि के छापे का संसार में कोई विकल्प नहीं है. यहां बतायें कि ब्लॉग और पुस्तक के बीच कोई टकराहट नहीं है. दोनों भिन्न मार्ग हैं, दोनों एक दूसरे को निगल नहीं

मौसम का हालचाल : कवि श्री रूप चन्द्र शास्त्री मयंक स्वर अर्चना चावजी

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मौसम के अनुरूप कविता शिशिर की वापसी पर ग़रीब की स्थिति और मधुऋतु की परिकल्पना करता मानस कवि कर देता है व्यक्त अपनी आकांक्षा मौसम से. आइये सुने मशहूर पाडकास्टर श्रीमति अर्चना चावजी के स्वरों में श्री रूपचन्द्र शास्त्री जी की दो कविताएं .  सन-सन शीतल चली पवन, सर्दी ने रंग जमाया है। ओढ़ चदरिया कुहरे की, सूरज नभ में शर्माया है।। ( शेष हेतु यहां क्लिक कीजिये )

"देख लूँ तो चलूँ ":विमोचन फोटो रपट ललित शर्मा की कृति समीक्षा सहित :

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कृति समीक्षा : ललित शर्मा ज्ञान रंजन जी : अभियक्ति के क्षण  उत्तिष्ठ! जागृत चरैवेति चरैवेति! प्राप्निबोधत। उठो जागो और चलते रहो, उन्हे प्राप्त करो जो तुम्हारा मार्ग दर्शन कर सकते हैं। कहा गया है कि जीवन चलने का नाम है,चलती का नाम गाड़ी है, चलते-चलते ही अनुभव होते हैं, चलते रहना एक जीवित होने का प्रमाण है। ठहर जाना समाप्त हो जाना है। मार्ग में हम कुछ देर रुक सकते हैं, आराम कर सकते हैं, अपने आस पास को निहार सकते हैं उसका जायजा ले सकते हैं। सुंदर दृष्यों को अपनी आँखों में भर सकते हैं जिससे वे मस्तिष्क के स्मृति आगार में स्थाई हो सके। एक यायावर जीवन भर चलते रहता है, चलते चलते ही सत्य को पा जाता है - विमोचन  “ये भी देखो वो भी देखो, देखत-देखत इतना देखो, मिट जाए धोखा, रह जाए एको”  दुनिया को जानने एवं अपने को पाने के लिए यात्रा जरुरी है, भ्रमण जरुरी है। भ्रमण बुद्धू भी करता है और बुद्ध भी करता है। वैसे भी भ्रमण शब्द में भ्रम प्रथमत: आता है। बुद्धू भ्रमित तो पहले से ही है, भ्रमण करते हुए उसका भ्रम और भी बढ जाता है। वह सत्यासत्य निर्णय नहीं कर पाता, बुरा-भला में अंतर नहीं

भारतीय पुलिस : और जन सामान्य

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          पुलिस के प्रति नकारात्मक भाव एक चिंताजनक स्थिति है इस पर ज़रुरत है खुले दिमाग से चिन्तन की  भारी पुलिस पर लगे आरोपों पर एक नज़र डालें (एक ):- संदेह को सत्य समझ के न्यायाधीश बनने का ज्ञान का इंजेक्शन हमारी . "पुलिस " को भर्ती के दौरान ही लगा दिया जाता है न्यायाधीशों तक के अधिकारों अतिक्रमण का सफ़ाई से करने का हुनर केवल में है. ..  सामाजिक आचरण के अनुपालन कराने के लिए,पुलिस को न्यायाधीश के अधिकार तक पहुंचने की चाहत पर अंकुश लगाये..जाने आवश्यक हैं  (दो) :- भारतीय पुलिस सबसे भ्रष्ट पुलिस है. भारतीय पुलिस का आदमी "संरक्षक " नहीं गुण्डा और लुटेरा होता है. उसमें सम्वेदनाएं नहीं होतीं.हीन नहीं.  (तीन):- भारतीय पुलिस में   नैतिकता का अभाव है. (चार):- कानूनों का उल्लंघन करना उसकी मूल आदत  है .                 इस तरह से पुलिस की नैगेटिव छवि का जन मानस में सामान्य रूप से अंकित है लोग उसे अपनी पुलिस नहीं मानते . यह स्थिति  के लिए देश के लिए चिंतनीय है , यहाँ मेरी राय है कि सामाजिक-मुद्दों के लिए बने कानूनों के अनुपालन के लिए पुलिस को न सौंपा जाए बल्कि पुलिस इन माम

सुनीता कृष्णन की यौन दासत्व के खिलाफ लड़ाई

सुनीता कृष्णन के विचार सुनिये Each year, some two million women and children, many younger than 10 years old, are bought and sold around the globe. Impassioned by the silence surrounding the sex-trafficking epidemic, Sunitha Krishnan co-founded Prajwala , or "eternal flame," a group in Hyderabad that rescues women from brothels and educates their children to prevent second-generation prostitution. Prajwala runs 17 schools throughout Hyderabad for 5,000 children and has rescued more than 2,500 women from prostitution, 1,500 of whom Krishnan personally liberated. At its Asha Niketan center, Prajwala helps young victims prepare for a self-sufficient future. Krishnan has sparked India's anti-trafficking movement by coordinating government, corporations and NGOs. She forged NGO-corporate partnerships with companies like Amul India, Taj Group of Hotels and Heritage Hospitals to find jobs for rehabilitated women. In collaboration with UN agencies and other NGOs,

ज्ञानरंजन जी करेंगे समीर लाल की कृति ’ देख लूं तो चलूँ’ का अंतरिम विमोचन

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प्रवासी समीर अपनी यात्रा को फ़िल्म की तरह देखते हैं  और लिखते हैं लम्बी कहानी जो आकार ले लेती है उपन्यास का जी हां उनने यात्रा के दौरान देखा कि:-"स्कूली बच्चे वहां भी दुकान पर काम करते हैं. वहां भी कोई सिसकता नही बल्कि सोचता है इससे पर्सनाल्टी में निखार आयेगा. " लेखक  सोचता है कि ये वे ही लोग हैं जो भारत  में  ऐसी स्थिति को शोषण की संज्ञा देतें हैं. यदि भारत के बच्चे कामकाज करते हैं तो वो शोषण और पश्चिम में बच्चे काम करें तो उसे पर्सनाल्टी डेवलपमेंट करार दिया जाता है. लेखक यहाँ भारत की परिस्थियों की वकालत नहीं वरन बालश्रम के वैश्वीकरण को गलत साबित करते नज़र आ रहे हैं. यूं तो कई सवाल खड़े करती है यह कहानी बकौल अर्चना चावजी " समीर लाल "समीर" की नई पुस्तक "देख लूँ तो चलूँ" हमें भी अपने आस-पास देखने को मजबूर कर देती है ...सामान्य सी घटना में जिंदगी को बाँधे रखने की क्षमता होती है ..चाहे वो सड़क पर पास से गुजरने वाली किसी गाड़ी के मिरर से दिखती कोई छवि हो या किसी मित्र के घर की पूजा....बचपन से लेकर उम्र की ढलान तक गुजरा हर पल किसी न किसी याद को साथ लिए च

Talk Show With Sameer lal Sameer