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सर्किट हाउस भाग:-एक

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( सर्किट हाउस में   )              ब्रिटिश ग़ुलामी के प्रतीक की निशानी सर्किट हाउस को हमारे लाल-फ़ीतों ने  ठीक उसी उसी तरह ज़िंदा रखा जैसे हम भारतीय पुरुषों ने शरीरों  के लिये  कोट-टाई-पतलून,अदालतों ने अंग्रेजी, मैदानों ने किरकिट,वगैरा-वगैरा. एक आलीशान-भवन जहां अंग्रेज़ अफ़सरों को रुकने का इन्तज़ाम  हुआ करता था वही जगह “सर्किट हाउस” के नाम से मशहूर है. हर ज़रूरी जगहों पर  इसकी उपलब्धता है. कुल मिला कर शाहों और नौकर शाहों की आराम गाह .  मूल कहानी से भटकाव न हो सो चलिये सीधे चले चलतें हैं  उन किरदारों से मिलने जो बेचारे इस के इर्द-गिर्द बसे हुये हैं बाक़ायदा प्रज़ातांत्रिक देश में गुलाम के सरीखे…..! तो चलें                          आज़ सारे लोग दफ़्तर में हलाकान है , कल्लू चपरासी से लेकर मुख्तार बाबू तक सब को मालूम हुआ जनाब हिम्मत लाल जी का आगमन का फ़ेक्स पाकर सारे आफ़िस में हड़कम्प सा मच गया. कलेक्टर सा’ब के आफ़िस से आई डाक के ज़रिये पता लगा  अपर-संचालक जी पधार रहें किस काम से आ रहें हैं ये तो लिखा है पर एजेण्डे के साथ  कोई न कोई हिडन एजेण्डा  भी होता है  …?   जिसे  वे कल सुबह ही जाना जा सकेगा . दीप

ज्ञानरंजन

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ज्ञानरंजन जी पर  कल दैनिक-भास्कर में प्रकाशित आलेख के लिए भास्कर-परिवार को हार्दिक शुभ कामनायें एवं साधुवाद साथ ही श्री राजेन्द्र चंद्रकांत राय जी के प्रति भी आभार सहितअखबार की स्कैन प्रति सादर प्रकाशित

मेरी ब्लाग पर कमाई शुरु

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भगवान जाने सही है कि नहीं पर कुछ तो है जो हो रहा है. मुझे सही लगा सो सुझा रहा हूं. इस वेब साईट पर तुरंत लाग इन कीजिये आज  दोपहर से साईट पर शामिल होने के बाद आज ही मेरी आय लागिन बोनस 3 डालर के बाद वर्तमान में 3.15 डालर हो गई है . डालर्स की ज़रुरत किसे नहीं है . किंतु तरीके सही क्या हों कमाने के उपलब्ध वेब साइट्स पर जो तरीके सुझाए जा रहे थे इन पर कितना भरोसा किया जाए यह सोचरहा हूँ..? आपके खाते  में  डालर्स   200 डालर की कमाई के बाद ही मिल सकतें हैं . यानी कुल मिला कर गूगल बाबा से दुगना समय वेब साईट का नाम है  www.bux4ad.com खुद को www.bux4ad.com   शामिल करने के पहले  देखिये कि क्या इन पर भरोसा किया जा सकता है.

अंतरजाल के ज़रिये एलियन्स से मेरे रिश्ते हैं..?

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"मेरा मित्र एलियन के साथ कानाफ़ूसीरत "            पिछले कई दिनों से अंतर्ज़ाल पर सक्रियता के कारण मेरी पृथ्वी से बाहर ग्रहों के लोगों से दोस्ती हो गई है.  अंतरजाल पर मेरा बाह्य सौर मण्डल के गृहों पर बढ़ते सम्पर्क को देख कर मेरे सहकर्मीं मित्रों छठी इन्द्री  में हलचल हुई. तो उसने विस्परिंग शुरु कर दी कुत्ते की तरह इधर उधर से मेरे बारे में जानकारीयां सूंघता सूंघता एक बार जब वो एक जगह घुस  जहां एलियन मित्र- "कारकून " अपना रूप बदल के बैठा था . चुगली न कर पाने की वज़ह से दुनिया जहांन की बात करते करते भाई के दक्षिणावर्त्य में गोया  दरद महसूस होने लगा . चुगल खोरी जिस गृह की सांस्कृतिक  विरासत में वहां के संविधान में, धर्म में शुमार है से आया था यह जंतु सो मेरे मित्र के मानस में उभरी तरंगों  को पकड़ लिया. सो मित्र से मित्रता गांठ ली और कुछ खिला पिला के अपना साथी बना लिया. और निकल पड़ा उसे लेकर तफ़रीह के बहाने. चलते-चलते भाई लोग कम   आवाजाही  वाले क्षेत्र में पहुंच गये. एलियन ने कुछ और तरंगे पकड़ मित्र के दिमाग की सो बस लगा मेरे मुतल्लिक बात करने -’भई, ककऊ ज

हिन्दयुग्म से साभार

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दोस्तों, ताजा सुर ताल यानी TST पर आपके लिए है एक ख़ास मौका और एक नयी चुनौती भी. TST के हर एपिसोड में आपके लिए होंगें तीन नए गीत. और हर गीत के बाद हम आपको देंगें एक ट्रिविया यानी हर एपिसोड में होंगें ३ ट्रिविया, हर ट्रिविया के सही जवाब देने वाले हर पहले श्रोता की मिलेंगें २ अंक. ये प्रतियोगिता दिसम्बर माह के दूसरे सप्ताह तक चलेगी, यानी 5 अक्टूबर के एपिसोडों से लगभग अगले 20 एपिसोडों तक, जिसके समापन पर जिस श्रोता के होंगें सबसे अधिक अंक, वो चुनेगा आवाज़ की वार्षिक गीतमाला के 60 गीतों में से पहली 10 पायदानों पर बजने वाले गीत. इसके अलावा आवाज़ पर उस विजेता का एक ख़ास इंटरव्यू भी होगा जिसमें उनके संगीत और उनकी पसंद आदि पर विस्तार से चर्चा होगी. तो दोस्तों कमर कस लीजिये खेलने के लिए ये नया खेल- "कौन बनेगा TST ट्रिविया का सिकंदर" TST ट्रिविया प्रतियोगिता में अब तक- पिछले एपिसोड में आये एक नए प्रतिभागी महिलाओं को चुनौती देने. चलिए हमारे कहने का असर हुआ, और विश्व दीपक तन्हा जी भी मैदान में कूद पड़े, पर 3 में से 2 जवाब सही दिए, एक जगह चूक कर गए. और उनकी भूल का फायद

बी एस पाबला जी को मातृ-शोक वरिष्ट ब्लागर श्री महावीर शर्मा नही रहे

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                                          मित्रो संघर्षों एवम  बेहद कठिनाईओं भरा रहा यह वर्ष    बी एस पाबला जी के लिये. आज दिनां क  18 नवम्बर 2010 को  उनकी सत्तर वर्षीया मातुश्री का दु:खद निधन ब्रेन-हेमरेज से हो गया. मातुश्री को अंतिम बिदाई  रामनगर मुक्ति धाम भिलाई में   19 नवम्बर 2010 को प्रात: 11:00 बजे दी जावेगी.                                    ब्लाग जगत की ओर से मातुश्री के आकस्मिक निधन पर गहन शोक संवेदनाएं . वाहे गुरु से पूज्य पिता श्री पाबला जी एवम बी०एस पाबला परिवार को गहन दु:ख सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना  है  _____________________________________________        वरिष्ट ब्लागर श्री महावीर शर्मा नही रहे  20 अप्रेल 1933 को जन्मे श्रीयुत महावीर शरण जी अब इस दुनिया में नहीं है उनके प्रति हमारी  विनत भाव पूर्ण श्रद्धांजलि  उनका परिचय उनके ब्लाग पर  उनके द्वारा मंथन पर  " आत्म परिचय " के रूप में पोस्ट किया था महावीर शर्मा जन्मः १९३३ , दिल्ली, भारत निवास-स्थानः लन्दन शिक्षाः एम.ए. पंजाब विश्वविद्यालय, भारत लन्दन विश्वविद्यालय तथा ब्राइटन विश

आचार्य संजीव वर्मा सलिल

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    पेशे से अभियंता आचार्य संजीव वर्मा "सलिल"   के जीवन का लक्ष्य सतत क्रियेटिविटी थी तो है. गीत,नवगीत,गद्य,पर सतत रचनाएं देते सलिल जी का मुख्य ब्लाग " दिव्य-नर्मदा " है. वास्तु नन्दनी , विज्ञान-विपाशा , मन रंजना , राम नाम सुखदाई , काव्यकालिंदी सहित ढेरों ब्लॉग पर सतत लिखने वाले आचार्य जी को सतत लिखना सोहता है. अन्य वेब साइट्स एवं पोर्टल्स पर भी अक्सर उनको देख सकते हैं आप हम . उनका एक बाल गीत आओ हिल-मिल खेलें हम लंगड़ी प्रस्तुत है.अर्चना जी के स्वरों में

सटायर : कृष्ण--क्यों जनम लेते हो तुम

हे कॄष्ण ------ सुनिये एक व्यंग रचना---अरविंद झा जी के ब्लॉग क्रांतिदूत से ---                    अब कौन सी देवकी इतना रिस्क लेकर तुम्हे जनम देगी ? जिस मां लक्ष्मी से तुम्हें जन्म के साथ ही एक्सचेंज किया गया था उसे भ्रुण में ही मार नहीं दिया गया होगा..?. अब तो गायों के चारे लोग खुलकर खाने लगे हैं. क्या खिलाओगे अपनी गैया को ? राधा जैसी हजारो गोपियों के साथ जात और उम्र की परवाह किये बगैर इश्क करने पर चौराहे पर टांगकर जिंदा नहीं जला दिये जाओगे?. आज की औरतें जो फ़िगर के लिये अपने बच्चों को भी अपना दूध नहीं पिलाती , मक्खन चोरी करने पर तुम्हारा फ़िगर नहीं बिगार देंगी....? उपर से मक्खन आइ एस ओ सर्टिफ़ाइड तो होगा नहीं.मिलावट भी हो सकती है...यदि जहरीला निकला तो...? सुदामा जैसे जो छोकङा लोग तुम्हारे साथ गायें चराया करते थे..आज के डेट में चाइल्ड लेबर बने हुए हैं, जो अच्छे घर के थे ईंगलिश स्कूल में पढ रहे हैं. किसके साथ खेलोगे..? तुम्हीं बताओ तुम्हारा एडुकेशन कैसे होगा..? तुम्हारे पापा बसुदेव के पास कोई खजाना तो है नहीं कि लाखो रुपये डोनेशन दे देंगे..रही बात नन्दराज की तो सुन ल

गनीमत है कि बेडरूम तक इनका बस नहीं चलता. वरना ?

              भड़ास ब्लाग पर प्रकाशित   टीआरपी और पाखंड चेहरा आलेख बेहद समयानुकूल लगा किंतु   टी आर पी के लिये मीडिया की हथकण्डे बाज़ी के लिये पाठक /दर्शक  भी सनसनाहट पसंद करतें हैं.१० फ़ीसदी लोग ही सही मायने में सच्चे पाठक या दर्शक हैं और इसी बात का फ़ायदा उठाता है "मीडिया" . मीडिया ही क्यों मनोरंजन जगत भी इसी का उदाहरण है. सबको चाहिये सनसनाहट रूमानी बातैं, अधनंगे चित्र गनीमत है कि बेडरूम तक इनका बस नहीं चलता. वरना खैर छोड़िये एक दौर था पति-पत्नि भी मनोहर कहानियों टाइप की किताबें घर में छिप कर बांचते थे. किंतु अब सारे विषय कथानकों में लपेट कर सामान्य रूप से टी०वी० पर परोसे जा रहे हैं. टी आर पी के लिये भागते मीडिया की दुर्दशा की ज़वाब देही हमारी भी तो उतनी ही है भाई . अब तो ब्लाग भी अछूते नहीं. रीडरशिप पाने के लिये जिन विषयों का चयन होता है उनमें पूर्वोक्त विषय अवश्य शामिल होते हैं. सभी उसी दौड़ में हैं. इस आलेख का शीर्षक सामान्य होगा तो कौन आयेगा देखने लेकिन ज़रा भी सनसनाहट वाला हुआ तो पक्का रीडरशिप दो शौ क्या पांच सौ तक निकल जावेगी.  पिछले चार दिन   मैने एक प्रयोग किया और

फ़ोटो-प्रदर्शनी :मुकुल यादव

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संगमरमरी सौन्दर्यानुभूति का संकेत फ़ोटो ग्राफ़्स कैमरे से नहीं दृष्टि से लिये गये मेरे ही नहीं पूरे शहर के दिल में बसतें हैं रजनीकांत,अरविन्द,मुकुल, साभार:नई दुनिया और बसें भी क्यों न शशिनजी ने फ़ोटो-ग्राफ़ी  एक साधना के रूप करते थे जिसका प्रभाव घर परिवार पर पड़ना ही था. सपाट बात है कि प्रकृति को हर हाल में बचाना ज़रूरी है. प्रदर्शनी का उद्देश्य भी इससे इतर नहीं. "मिफ़ोसो"मिलन-फ़ोटो-ग्राफ़ी सोसायटी , जबलपुर के तत्वावधान में आयोजित इस प्रदर्शनी के रानी दुर्गावती संग्रहालय में आयोजि परिसंवाद में "भेड़ाघाट, पर्यटन एवम संरक्षण " विषय पर कुल कर चर्चा भी हुई. सभी वक्ता इस बात पर जोर दे रहे थे कि पर्यटन-विकास के नाम पर अब कोई विद्रूपण स्वीकार्य न होगा. अमृतलाल वेगड़ जी इस बात को लेकर खासे चिंतित लगे. उनका कथन था :- "ये चित्र जितनी खूब सूरती से लिये गये हैं उसके लिये मुकुल यादव को आशीर्वाद .क्योंकि फ़ोटो यह भी संकेत दे रहें हैं कि इस नैसर्गिक सुन्दरता को बचाना भी है "श्रीयुत श्याम कटारे जी, श्री रामेश्वर नीखरा, भूगर्भ-शास्त्री डा०विजय खन्ना,डा० अजित वर्मा, सहित सभी ने आस्

मिसफ़िट बालसभा :अर्चना चावजी द्वारा

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                           बच्चो आज़ का दिन आपको मुबारक़ हो . हम बचपन से इस दिन पर चाचा नेहरू को याद करते हैं. पर हम ये नहीं सोच पाते की आज़कल कितने ही बच्चे पैसे के अभाव में न तो स्कूल जा पाते न ही कुछ सीख पाते. कुछ बच्चे तो जन्म से कुछ अन्य कारणों से अपाहिज़ हो जाते हैं. उन्हीं बच्चों में से एक बच्चा जिसे दिखाई नही देता जबलपुर के पास एक गांव सोहड़ में रहता था. अपने गिरीश अंकल है न वो अपनी पर्यवेक्षक बहन माया मिश्रा जी के साथ गांव के दौरे पर गए मंगल से मिले मंगल इतना कुपोषित था कि बस कभी भी उसकी जीवन की कहानी खतम हो सकती थी. क्या खतम हो सकती थी बच्चे: दीदी,जीवन की कहानी याने दीदी?  दीदी:-यानी मंगल को कोई बीमारी घेरती तो वह सह न पाता और मर जाता. बच्चे:फ़िर क्या हुआ अर्चना दीदी ?  हुआ ये कि मंगल की मम्मी जो खेत पर मज़दूरी करती को समझाया गया. आंगनवाड़ी वाली दीदी प्रीता पटेल ने,माया मिश्रा ने गिरीश अंकल ने भी बच्चे:-अच्छा..फ़िर...? दीदी:-फ़िर क्या उसी दिन जबलपुर के सरकारी अस्पताल रानी दुर्गावती अस्पताल में "पोषण-पुनर्वास-केंद्र" में बच्चे को भर्ती किया पंद्रह दिन में मंगल की मम्मी

"दो नहीं..... समीरलाल जी के साथ आईं थीं छै: तरुणियां !!"

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                   जी सच है दिल्ली से प्राप्त जानकारी के अनुसार समीर लाल जी के साथ जिनको देखा गया था दो नहीं पूरी छै: थीं छै: वे सभी कौन हैं उनका परिचय क्या है ? अपने  मिसफ़िट पर कल किये वादे के मुताबिक आपको बताना ज़रूरी था सो बता देता हूं सूची परिचय सहित पेश-ए-नज़र  है:- धैर्या =   यह कन्या समीर लाल उर्फ़ उड़नतश्तरी के साथ बरसों से रह रही है इनके गहरे अंतर्संबंध हैं. समीर का जीवन-दर्शन भी इसी से सुस्पष्ट होता है जो इनको जानतें हैं. समीर की रगों में बसती है धैर्या जिसे पुरुष वादी लोग  धीरज कहते हैं . कामना:- पंद्रह-सोलह के थे तबसे इनके उर जा बसी  खूब झेला दुनियादारी का रंग फ़िर भी सबके लिये कामना के हाथों  "मंगल" ही बांटते रहे क्षमा:- इस ने तो इनको बहुत बेकाम का इन्सान साबित करा दिया कई बार तो मैने भी कहा आप इग्नोर कर देते हो आप भी पलटवारी बनो भाई, हंस देते हैं कहते हैं ये क्षमा है न पलटवार करने से मना करती है स्नेहा:- यह युवती समीर को ब्लागिंग के समय मदद करती है. जाने-अनजाने. ब्लागर्स के हर पोस्ट पर स्नेह बिखेर आती है.  श्वेता:- समीर के  के व्यक्तित्व  से स्वच्छ श्वेत व्य

"दो सुन्दरीयों के साथ : उडनतश्तरी दिल्ली में उतरी..!!"

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सारा ब्लाग जगत में कौतुक भरी नज़र से अविनाश वाचश्पति के ब्लागों पर क्लिक पे क्लिक मारे जा रहा था कि उडनतश्तरी के लैण्ड होने की क्या खबर है  कैमरे स्टिल-फ़्लैश सब चल पड़े थे कवरेज़ को पर पता चला कि एयर-पोर्ट पर सेन्सर-शिप लागू है. रक्षा मंत्रालय के सूत बताते हैं कि सुरक्षा कारणों से देश हित में ज़रूरी था. असल में  माज़ारा क्या है इस पर कोई न बोला ताऊ महाराज भी सुन्न दबा के बैठ गये , दिल्ली के अजय भाई ने भी चुप्पी ही रखी , जबलपुर के महेन भैया बवाल साब सब चुप्प यानी "गड़ा गुप्प चिड़ा चुप्प..!!" अब मेरे दिमाग में चैन कहां. तमाम भोपाली टांगे वालों ने अब मरियल घोड़ों को काला खिज़ाब लगवा लिया जबलपुर में भी खूब बिक रहा है गार्नियर भी दिल्ली में तो कनाट प्लेश की दुकान लुट गई इस चक्कर में इस वीकेण्ड हेयर कलर ब्लैक में भी मुश्किल है लोग बुढ़ापा कैसे छिपाएंगें ...दुनिया भर में खबर है उडनतश्तरी को काले घोड़े के दाएं अरे नहीं बाएं पैर की अपने आप निकली नाल चाहिये  सारे घोड़े काले कर दिये बूढ़े-खूसट सईसों ने. घोड़ियां हैं कि लत्ती मार मार कर अपने पति को दुत्त्कार रहीं हैं. धन्नो ने तो  भोपाल में सचिवालय क