संदेश
मांगो तो हजूर दिल और जाँ सब कुछ तुमको दे दूंगीं
- लिंक पाएं
- ईमेल
- दूसरे ऐप
वो दूर से देख मुस्कुराती शोख चंचल नयनो वाली सुकन्या मुझे भा गई ऊपर की जितनी भी तारिकाएँ हैं उनका हुस्न फीका पड़ गया उसके सामने। मैंने पूछा - मुझे ,कुछ देर का वक्त मिलेगा क्यों नहीं ! ज़रूर मिलेगा । उत्तर में थी मादक खनक ... एक - एक काफी का आफ़र उसमें भी सहज स्वीकृति । मैंने फ़िर कहा - आज मेरी छुट्टी है जबलपुर के पास भेडाघाट है चलो घूम आते हैं । उसमें भी सहमत लगा आज लाटरी लग गई । वीरानी जीवन बगिया में प्रेमांकुर फूट पड़ा .... सोचा आज पहले दिन इतनी समझदार ओर मुझे सहज स्वीकारने वाली अनुगामिनि मिल गई अब जीवन का रास्ता सहज़ ही कट जाएगा। बातों ही बातों में मैंने कहा : तुम मुझे कुछ देने का वादा कर सकोगी ? वादा क्या दे दूंगीं जो कहोगे दिल , हां ज़रूर मोहब्बत ऑफ़ कोर्स वफ़ा क्यों नहीं ? और कभी जब मुझे वक्त की ज़रूरत हो तो ज़नाब ये सब कुछ अभी के अभी या फ़िर कभी ? सोच के बताता हूँ कुछ दिन बाद कह दूंगा । ############################################################## घर में माँ के ज़रिये पापा तक ख़
जबलपुर रत्न एक नई परंपरा
- लिंक पाएं
- ईमेल
- दूसरे ऐप
यूँ भेजा था न्योता
अपने जबलपुर को
विश्वास की परंपरा को कायम रखने का संकल्प लिए नई दुनिया">नई दुनिया ने जब रत्नों की तलाश शुरू की थी तो लगा था कि शायद व्यावसायिक प्रतिष्ठान द्वारा की गई कोई शुरुआत जैसी बात होगी ? किंतु जब जूरी ने रत्नों को जनमत के लिए सामने रखा तो लगा नहीं कुछ नया है जिसे सराहा जावेगा आगे चल कर , हुआ भी वही आज मैं जितने लोगों से मिला सबने कहा :"वाह ऐसी व्यक्ति-पूजा विहीन मूल्यांकन की परम्परा ही है विश्वास की परंपरा ओर सम्मानित हुए विशेष सम्मान शिक्षा क्षेत्र : एसपी कोष्टा उद्योग क्षेत्र : सिद्धार्थ पटेल चिकित्सा क्षेत्र : डॉ . सतीश पांडे न्याय क्षेत्र : अधिवक्ता आरएन सिंह पर्यावरण क्षेत्र : योगेश गनोरे
छा गए मंत्री जी भा गए बल्लू
करीब पांच घंटे तक चले आयोजन के दौरान लोगों का मनोरंजन करने के लिए प्रख्यात बाँसुरी वादक बलजिंदर सिंह बल्लू, पॉलीडोर आर्केस्टा के कलाकारों सहित प्रियंका श्रीवास्तव, प्रसन्न श्रीवास्तव, श्रेया तिवारी ने शानदार रचनाएं पेश कर लोगों को
विश्व के सबसे पहले कामरेड कृष्ण का कर्मवाद चिर स्थाई है
- लिंक पाएं
- ईमेल
- दूसरे ऐप
मेरे कवि अग्रज घनश्याम बादल ने कहा था अपने गीत में " यहाँ खेल खेल में बाल सखा तीनो तिरलोक दिखातें हैं रण भूमि में भी शांत चित्त गीता उपदेश सुनातें है " वही बृज का माखन चोर से महान कूटनितिज्ञ,प्रेम का सर्वश्रेष्ठ आइकान बने कृष्ण को अगर भारत और विश्व अगर सर्वकालीन योगेश्वर कह रहा है तो उसमें मुझे कोई धर्मभीरुता नज़र नहीं आ रही. कृष्ण को यदि भगवान कहा जा रहा है तो गलत नहीं है. कर्म योगी का सबक तत्-समकालीन परिस्थितियों के बिलकुल अनुकूल था. और तो और यह सबक भी उतना ही समीचीन है जितना कल था । जहाँ तक द्वापर काल की ग्रामीण व्यवस्था की कल्पना करें तो प्रतीत होता है कृष्ण के बगैर तत्-समकालीन ग्राम्य-व्यवस्था की पीर को समझने और मज़दूर किसान को शोषण से मुक्ति दिलाने का सामर्थ्य अन्य किसी में भी न था।कृष्ण का कंस शासित मथुरा को गांवों से सुख के साधन वंचित कराने की सफल कोशिश सिद्ध करती है - कि आज से 5100 सौ वर्ष पूर्व भी वो दौर आया था जब सर्वहारा को ठगे जाने की प्रवृत्ति व्याप्त थी योगेश्वर क
सलीम भाई के नाम खुला ख़त
- लिंक पाएं
- ईमेल
- दूसरे ऐप
प्रिय सलीम भाई " आज के परिपेक्ष्य में बात कीजिये हिन्दू धर्म में ये सारी बातें हैं ही नहीं हिंदुत्व केवल और केवल विश्व में सर्वाधिक गंभीर धर्म है न तो इस धर्म ने सत्ता की पीठ पर सवारी कर विश्व में संप्रभुता प्राप्त करने की कोशिश की है नहीं यह आयुधों के सहारे / आतंक के सहारे विश्व पर छाया . इसे मानव ने सहजता से स्वीकारा, हिंदुत्व कभी भी प्रतिक्रया वादी नहीं रहा आप अपने पूर्वजों जो पूछिए या उनका इतिहास जानिए कभी भी औरत को दोयम दर्जा नहीं मिला. मैं साफ़ तौर पर आपको बता दूं आप भारतीय परिवेश में रह कर नकारात्मक सोच की बानगी पेश कर रहें हैं आप गार्गी,मैत्रेयी,सीता,आदि के बारे में जान लें. आप जान लें हिन्दू धर्म में ही नारी को शक्ति कहा है. कट्टर पंथियों नें रजिया सुलतान, को बर्दाश्त नहीं किया. गोंडवाना के इतिहास को देखिये वीरांगना माँ दुर्गावती को भी अंग्रेजों के साथ मिल कर किस ने शहीद कराया सब जानतें हैं. चलिए छोडिये इस धर्म में बिना वामा के कोई अनुष्ठान पूर्ण नहीं माने जाते . जबकि कुछ पूजा गृहों / आराधना स्थानों पर नारी का प्रवेश वर्जित है मित्र इस पर गौर किया कभी आपने. कई धार्म