31.3.09

विवेक सिंह की वापसी :हार्दिक स्वागत

http://chitthacharcha.blogspot.com/2009/03/blog-post_31.हटमल
विवेक सिंह ने वापसी पोस्ट बनाम चर्चा में
मित्र प्रशान्त के बारे में विवरण दर्ज किया जिनके पैर में फ़िर से चोट लग गयी .........
व्यवहारिक तौर पर किसी के लिए यह खबर....गैरज़रूरी हो सकती है किन्तु मुझे भाई
विवेक का आध्यात्मिक-भावुक चेहरा नज़र आ रहा है
इस दौर में ऐसे लोग जो आत्म केन्द्रित न होकर सर्वे सुखिन: भवन्तु ..
का बिरवा रोप रहें हों उनको आदर देना मेरा दायित्व है

22.3.09

दो ब्लागर्स के बीच हुए वार्तालाप असंपादित अंश


  • पात्र परिचय: मित्र एक ब्लॉगर
  • दो दूजा ब्लॉगर सुविधा के लिए मान लीजिए - दूसरा मित्र मैं ही हूँ....!!
  • स्थान:- जी टाक समय : देर रात गए
मित्रवर से अपन ने कहा की भैया -तुपन ने जो ज़ोरदार काम किया किसी ने ने कोई रिस्पोंड ही नहीं किया आज मैं धमाकेदार पोस्ट लिखूंगा । सबको एक्सपोज़ करूंगा जो.................
"श........सही................खामोश मित्र बोला "
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मित्र ने कहा:-कुत्ते को आदमी ने काटा जी हाँ यही तो ख़बर है...शेष फिजूल की बातें हैंमित्र आप नेऐसा कुछ किया हो तो हम चर्चा करेंगेवर्ना आप जैसे नालायको के नालायकी भरे कारनामों पे क्यों कर हम अपना वक़्त जाया करेंगेंआप तो क्या आपके साक्षात देव तुल्य हुए पुरखों की किसी ऐसी बात पर हम रुख करेंगें ओर ही उसे भाव देंगें जिसमें वही घिसी पीती बातें हों युगों-युग से जारी हैं.....!
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मित्र ने फ़िर कहा:-अरे... भाई ये क्या नेट पे गन्दगी मचाए पड़े हो .......... जो भी लिख रहे हो लिखो किंतु कुंठा-वमन करो घिन आती है...?
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  • हम बोले:- भैया,मैं...मैं, हम, हमलोग, की आवाजें सुन रहे हो न....?सच,लोग किसी अच्छी बात पे रीझते ही नहीं ,,,,किसी की पाॅजीटिविटी के अंकुरण को विश्वास के भावों से सींचते नहीं । कोई अगर आग-ज़हर उगले तो देखिये फौरन लाम बंद हो जाते हैं कुछ इसका कुछ उसका गीत गातें है कुछ तो जिधर बम उधर हम का नुस्खा आज़मातें हैंहजूर कल की बात लीजिए ............ खैर छोडिए ......
  • मित्र ने कहा:- बे मतलब की बकवास न करिए जाए हर कोई "फुरसत" में तो नईं है जो लगे चर्चा करने,अरे अपने काम से काम रखो ब्लॉग लिखो और सिस्टम को करो शट डाउन खाओ पीओ सो जाओ फिजूल वक्त जाय न करो ।
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  • मित्र की बात में दम है.... मित्र मेरा सही एकदम है। सब के अपने-अपने दंभ हैं । सब अपने किले के ख़ुद महारथी ख़ुद किलेदार ख़ुद पहरेदार ख़ुद सूबेदार ख़ुद, ख़ुद के अहलकार अगर आप हो समझदार तो छोड़ दो करना बातें बेक़ार अपना अपना लिखो जैसे लिखते चले आए हो न कोई बैरी न कोई अपना । सर्व स्नेह आकांक्षी मित्र उसकी एक सलाह और शेयर करना चाहता हूँ ..."कभी भी आसमान की और मुंह करके थूकना नहीं चाहिए चाहे आसमान से आप कितने भी खफा हों "
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बावरे-फकीरा ने दी सहायता राशि


Savyasachi Kala Group

969/1 Gate No.4 Wright Town,Jabalpur
Phone’s: 9926471072, 9826143980,0761-2404900
Email: savysachi@gmail.com,
-->
To,
The Collector
Jabalpur District
Jabalpur
Sub: Submission of collected amount for polio suffering children in
connection with Lifeline Express
Respected Sir,
With due respect. This is to bring to your notice that we have a collection of the album Baware Faqira which was launched on 14th March’09 at Manas Bhawan. We are remitting this collection to ‘Indian Red Cross Society’ through you for the above mentioned object. Kindly accept the Pay Order No:093603 of Corporation Bank dated 17th March’09 for rupees 25,000.00 (in words Rs. Twenty five thousand only) your cooperation in this object is soliciated
Thanking you
Yours faithfully
Sunil Pare
Secretary
Savyasachi Kala Group
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बावरे फकीरा 25.000/- की राशि मैजिक-ट्रेन"लाइफ लाइन एक्सप्रेस'' के लिए सौंपी गयी

सव्यसाची-कला-ग्रुप जबलपुर द्वारा दिनांक 14 मार्च 2009 को स्थानीय मानस भवन जबलपुर में आयोजित पोलियो-ग्रस्त बच्चों की मदद हेतु साईं भक्ति एलबम बावरे-फकीरा का लोकार्पण किया गया था . जिसमें आभास जोशी एवं पोलियो-ग्रस्त गायक श्री ज़ाकिर हुसैन (वी ओ आई 02 फेम ) के अतिरिक्त स्थानीय कलाकार भी शामिल हुए थे . सव्यसाची कला ग्रुप के द्वारा "बावरे-फकीरा टीम" के संकल्प को पूर्ण करने के उद्येश्य से एलबम के प्रथम संस्करण के माध्यम से रूपए 25,000=00 की धन राशि संगृहीत की है माह अप्रैल 2009 में जबलपुर में आने वाली मैजिक-ट्रेन "लाइफ लाइन एक्सप्रेस'' के लिए धन राशि श्री हरि रंजन राव कलेक्टर जबलपुर को भेंट की गयी. इस अवसर पर श्री के जी बिल्लोरे, डाक्टर प्रशांत कौरव,के के बैनर्जी,मनोज सक्सेना,पप्पू शर्मा,डाक्टर विजय तिवारी "किसलय",कर सलाहकार श्री दिलीप नेमा, राजेश पाठक "प्रवीण",श्री जितेन्द्र जोशी,श्री निर्मल यादव, श्री संजीव एवं श्री नितिन अग्रवाल की उपस्थिति उल्लेखनीय रही . सव्यसाची कला ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष श्री एस के बिल्लोरे ने बताया कि :"इस एलबम का निर्माण स्वर्गीया प्रमिला देवी की प्रेरणा से युवा संगीतकार श्रेयस जोशी,गायक आभास जोशी,संदीपा पारे(भोपाल) एवं गीतकार गिरीश बिल्लोरे मुकुल द्वारा किया गया था सभी ने नि:शुल्क उक्त कार्य को पूरे मनोयोग से पूर्ण किया है सव्यसाची-कला-ग्रुप जबलपुर इन कला साधकों का हार्दिक आभार मानते हुए नगर के उन सभी सम्मानित जनों का आभार मानता है जिनके कारण लक्ष्य की पूर्ती सहजता से हो सकी है |" कला ग्रुप के सदस्य आशान्वित हैं कि इस छोटे से प्रयास को नगरवासी बड़ा आकार देंगे ताकि "साहित्य-कला-संगीत के ज़रिए" लोक कल्याण के संकल्प को बल मिल सके .

20.3.09

जिधर शामें बदन पे फफोले उगातीं हैं

जे जो आप आदमी देख रए हो न उस शहर से आया है जिधर शामें बदन पे फफोले उगातीं हैं सूरज शोलों सा इनके ही शहर से और तो और ठीक इनके मकान के ऊपर से निकलता है. तभी देखोन्ना............इनका चेहरा झुलसा हुआ आग उगलता नज़र आ रिया है. सारे नकारात्मक विचार इनकी पाज़िटीविटी जला के ख़ाक ख़ाक कर चुकें हैं ! गोया ये ये नहीं सोई हुई आग को अपने में समोए गोबर के उपले से नज़र आ रहे हैं .
कुंठा की खुली दूकान से ये महाशय अल सुबह से कोसन मन्त्र का जाप करतें हैं . तब कहीं कदम ताल या पदचाप करतें हैं .
जी हाँ ...!! ज़मूरे खेल बताएगा
बताउंगा उस्ताद
इस आदमीं की जात सबको बताएगा ?
बताउंगा...!
कुछ छिपाएगा....?
न उस्ताद न
तो बता ........ आज ये कितनों की निंदा करके आया है ..?
उस्ताद............आज तो जे उपासा है...! देखो न चेहरा उदास और रुआंसा है......!!
हाँ ये बात तो है पर ऐसा क्यों है....!
उस्ताद इसकी बीवी का भाई इसके घर आया था बीवी को ले गया आज ये घर में अकेला था मन बहलाने बाजीगरी देखने आ गया...!
नहीं मूर्ख ज़मूरे ये अपनी बाजीगरी कला का पेंच निकालेगा
उस्ताद बड़े पहुंचे हुए हो ......ये सही बात कैसे जानी ...
बताता हूँ पहले पिला दे पानी ..........
किसे......उस्ताद ........ इसे की तुमको ....?
उस्ताद रिसियाने का अभिनय करने लगा इस नकली झगडे को असल का समझ वो नकारात्मक उर्जावान व्यक्ति बाजीगरी के लिए बीच घेरे में आ गया . निंदा के मधुर वचन फूट पड़े उसके मुँह से ... ज़मूरों की जात पे वो तहरीर पढ़ी की सारे सन्न रह गए .......
"बाजीगर भाई, तेरा जे जो ज़मूरा है इसकी वफादारी का इम्तहान लेता हूँ तुझे कोई एतराज़ तो नहीं ?"
"न,भाई ......... बिलकुल नईं मेरा ज़मूरा है "
बोल ज़मूरे तू तरक्की चाहता है.....?
हाँ !
क्या करेगा !
बड़ा बाजीगर बनूँगा.....!
उस्ताद से भी बड़ा ....?
हाँ उस्ताद से भी बड़ा तभी तो उस्ताद का नाम अमर रहेगा ...?
"तू उस्ताद का नाम अमर करेगा ?"
हाँ,करूंगा
कब
जब मैं उस्ताद बन जाऊंगा और कब ?
तू उस्ताद कितने समय में बनेगा
जितना ज़ल्दी भगवान वो समय लाएगा ?
इसका अर्थ समझे उस्ताद ....?
फिर दूर ले जाकर उस्ताद के कानों में ज़मूरे के कथन का अर्थ समझाया .... उस्ताद उसकी बात सुन कर सन्न रह गया
"मित्रो बताइए उस्ताद के कानों में ज़मूरे ने क्या कहा होगा....?"

20.2.09

गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये

माना कि मयकशी के तरीके बदल गए
साकी कि अदा में कोई बदलाव नहीं है..!
गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये
ये पाँच साल का कोई चुनाव नहीं है ..?
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गिद्धों से कहो तालीम लें हमसे ज़रा आके
नौंचा है हमने जिसको वो ज़िंदा अभी भी है
सूली चढाया था मुंसिफ ने कल जिसे -
हर दिल के कोने में वो जीना अभी भी है !
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यूँ आईने के सामने बैठते वो कब तलक
मीजान-ए-खूबसूरती, बतातीं जो फब्तियां !
!!बवाल इसे पूरा कीजिए -----------
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19.2.09

डूबे जी छा गए दिलो दिमाग पर !



"खज़ाना": डूबे जी की भेंट: लेकर आज श्रद्धा स्कूल गयी है .यानि कि आज फ्रेंड'स खूब हँसेंगे कार्टून पर. और श्रद्धा गर्व से बताएगी "डूबे जी हमारे अंकल हैं॥? ""***************************************************************************************

14.2.09

मुझे रोकने का किसी के पास कोई अधि कार नहीं है

जी हाँ .... मुझे प्रीत करनी है ............. मुझे रोकने का किसी के पास कोई अधि कार नहीं है
............... ये सर्वथा वैयक्तिक विषय होना चाहिए .... रही धर्म की बात तो मेरा धर्म यदि प्रीत है तब आप क्या कीजिए गा..?आप से जो किया जाए कीजिए मुझे मोहब्बतों का पैगाम देना है यदि यह ग़लत है तो क्या यह सही है .....
*सियासतें सरहदें सरकार इश्क के पर्व को रेग्यूलेट करनें की अधिकारी क्यों हों ...?
*क्या कृष्ण ने प्रीत संदेसा नहीं दिया था दुनिया को
* कौन सा ऐसा मज़हब है जिसे प्रवर्तक ने सिर्फ़ आराध्य के किए लिए प्रवर्तित किया है सच तो यह है कि "सिर्फ़ और सिर्फ़ मासूम जनता जनार्दन के लिए प्रवर्तित किए गए हैं ..किसी ने प्रीत को प्रतिबंधित नहीं किया !!"
*संत वैलेंटाइन में अगर आपको व्यावसायिकता नज़र आ रही है तो क्या किसी अन्य व्यवस्था में व्यवसाय नहीं होता इस पर ज़्यादा खुलासा होता है तो भावनाएं आहात कराने का आरोप दे दिया जाता है ...?
* मुझे इश्क करने से आप क्यों रोकेगें मैं अपनी देश के प्रेम में पागल हो जाऊं ? या समूची मानवता को प्रेम पाश में बांधना चाहूँ और रहा दिवस चुनने का मामला तो मैं कोई भी दिवस चुन लूँ आप क्यों नाराज़ होंगे क्या प्रेम और शान्ति की अवधारणा को किसी भी धर्म से अलग कर सकते हो,,,,,?
मुझे जिन सवालों के उत्तर चाहिए वो तुम्हारे पास नहीं हैं यही है "वयम-रक्षाम:"का उदघोष मुझे प्यार करने दो तुम भी प्यार करो उसे भी प्यार करने दो हम सब प्यार करें - हर-क्षण करें राम से करें सब करें किसी को कोई हर्ज़ हो तो बताइये .................

8.2.09

ब्लॉग-पार्लियामेन्ट की जुगत ज़मने लगी है:

ब्लॉग जगत अब प्रजातान्त्रिक-सूत्र में पिरोया जाने वाला है। इसकी कवायद कई दिनों से फुनिया फुनिया के कई दिनों से जारी थी. सूत्रों ने बताया इस के लिए आभासी-संविधान की संरचना के प्रयास युद्ध स्तर पर जारी हैं . बताया जाता है की जिस शहर में सर्वाधिक ब्लॉगर होंगे उसे "ब्लागधानी "बना दिया जाएगा . ब्लॉग'स में प्रान्त/भाषा/जाति/वरन/वर्ग/आयु का कोई भेदभाव नहीं होगा . कुन्नू सिंह की अध्यक्षता में बनने वाली ब्लॉग-संविधान की संरचना की जानी लभग तय है. जिसके प्रावधानों में निहित होगी ब्लॉग-सरकार की व्यवस्थाएं .अंतरिम-सरकार के सम्बन्ध में अनाधिकृत जानकारी के अनुसार एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाना है जिसका संघीय स्वरुप होगा . तथा शासनाध्यक्ष /मंत्रालय की निम्नानुसार व्यवस्था प्रस्तावित होगी :-
  1. ब्लागाध्यक्ष: एक पद
  2. प्रधान-ब्लॉग-मंत्री
  3. अन्तर-राष्ट्रीय मामलों के मंत्री
  4. कायदा-मंत्री
  5. टिप्पणी-मंत्री
  6. प्रति-टिप्पणी मंत्री
  7. गुम-नाम टिप्पणी प्रतिषेध-मानती
  8. बिन-पडी पोस्ट टिपियाना मंत्री
  9. नारी-ब्लॉग मंत्री
  10. राजनीतिक /धर्म/संस्कृति/तकनीकी सहित उतने मंत्री होंगें जितने विषयों पर ब्लॉग लिखे जा रहें हैं।
इस सबके लिए गूगल बाबा से भरपूर मदद के आश्वासनों से बारे जहाज उड़नतश्तरी के पीछे-पीछे जबालिपुरम के तेवर नामक स्थान पर आराम से उतर गए हैं । फुर्सत मिलते ही फ़ुरसतिया जी रवि रतलामी जी के अलावा नीचे लिखी सूची में दर्ज ब्लॉग मालिक आने वाले है .......
40. आवाज़
इस चालीसा के अलावा १०० से अधिक बिलागर जबलपुर के ही होंगे अभी 20-25 हैं मार्च के बाद 100 से अधिक होंगे
"बोलो नर्मदा में की जय हर-हर नर्मदे "

4.2.09

जो पंगु गिरी को सहज ही लांघे तो मेरे रहबर बवाल होगा

कमाल होगा
जो पंगु गिरी को सहज ही लांघे तो मेरे रहबर बवाल होगा।
खुदा के बन्दों से जाके कह दो - कमाल हूँ तो कमाल होगा
खुदा की रहमत से जो है रोशन दिया अंधेरी निशा का मेरी -
उसी के कहने से ही बुझेगा, जो तुम बुझाओ कमाल होगा।।




3.2.09

ठीकरा फोड़ समारोह

एक भाई साहब इर्दगिर्द भी ऐसा ही कुछ घट रहा है जो लोग उसे जानते भी नहीं बेचारे स्नेह वश उसके माथे पे टीका लगा के चले जातें हैं क्रम चला आगे तो ये तक हुआ कि जिनके बाल कड़े होने के कारण शेव करने में कठिनाई हो रही थी उनके बाल कार्यक्रम के इंतज़ाम में शामिल एक दुर्जन के सर - कार्यक्रम के बाद के, ठीकरा फोड़ समारोह की चल-रिपोर्ट पठन से खड़े हो जाते और सट-सट शेव हो जाती . लंबे समय तक कुंठावश कसमें खाईं और खाई बनाई। जिसके बगैर सब कुछ चल सकता था । खैर "समय की प्रतीक्षा करना ज़रूरी था'' किंतु अब ज़रूरी हो गया था कि सब कुछ खुलासा कर दिया जाए सो वो आलेख के इसी किसी भाग में लिख दिया जाएगा । डरता भी हूँ की कहीं कोई बवाल न मच जाए .
किंतु एकतरफा कारर्वाई इस टीकाकरण समारोह के प्रायोजक भी अकबकाए...... अंत में पिछली कसमों पर इस उस का हवाला देकर बदली गयी जिसकी सबको उम्मीद थी
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  • नर्मदा-काधुँआधारस्वरुप:-सब को मालूम किंतु सब के लिए मनोरम नयनाभिराम दृश्य माँ ने हर और यहदृश्य नहीं रखा जहाँ ज़रूरी था वहाँ सरल मंथर भी रहीं माँ नर्मदा। नर्मदा जयंती की शुभकामनाओं के साथ

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खुलासा:-

· यूँ कि मैंने Dr. Vijay Tiwari "Kislay" एवं डूबेजीके आग्रह दिनांक 17-01-09 के कारण मीट की सहमति दी साथ ही भावातिरेक एवं ब्लागर्स मीट के लिए उत्साहित होकर आयोजन को सफल बनाने के लिए माहौल भी बनाया . समीर भाई की व्यस्तताओं के मद्दे नज़र ज़रूरी था कि उनके पिछले प्रवास पर संकल्पित मीट जैसा हश्र न हो । समय पर मैं पहुंचा किंतु कुछ मित्र अपनी वैयक्तिक परिस्थितियों के कारण न आ सके......! उनमें पंकज स्वामी,माधव सिंह यादव , डाक्टर विजय तिवारी आदि थे यह बात कोई अप्रत्याशित नहीं कोई भी व्यक्ति समय और सामयिक परिस्थिति के हाथों मजबूर हो सकता है । जो मित्र नहीं आए वे गैर जिम्मेदार नहीं थे उनकी परिस्थितियाँ थीं जो वे न आ सके. रहा आयोजन का सवाल बेहद उपयोगी था । रिपोर्ट न दे सका सरकारी व्यस्तताएं थीं . 10 से 5 बजे तक का काम नहीं है रात बिरात यदि कोई काम सौंपा जाता है निबाहना मेरा फ़र्ज़ है. जबलपुर के एक ब्लॉगर मित्र ने आयोजन की रिपोर्ट तैयार की और पोस्ट कर दी जो मीट की सफलता ही है भाई संजीव तिवारी उनकी यह तीसरी पोस्ट थी यानि मीट का असर अच्छा रहा . उधर बिटिया शैली एवं डूबे जी , सब उत्साहित रहे . एक मित्र डाक्टर प्रशांत कौरव ब्लागिंग का पाठ्यक्रम तैयार कराने का अनुरोध कर गए ताकि ब्लागिंग के लिए क्रेश कोर्स न्यूनतम दरों पर उनके कालेज जबलपुर-कालेज ऑफ़ मीडिया एंड जर्नलिज्म में चलाएं जा सकें . वे नि:शुल्क सेमीनार का भी आयोंजन करना चाहतें हैं ताकि हिन्दी-ब्लागिंग को बढावा मिले . मीट में यह भी तय हुआ कि हर ब्लॉगर कम-से-कम एक ब्लॉगर तैयार करे.
अब बताएं इसमें क्या किसी का सम्मान कम होता है सार्वजनिक कार्य करना न करना सबका अपना मामला है ।

·

  • सार्वजनिक संकल्पों में कोई आए तो अच्छा न आए तो अच्छा । सभी अपना अपना व्यक्तित्व, क्षमता, दक्षता साथ लेकर चलते हैं । कोई अपनी रजाई में बैठ कर जाड़ों से बचता है तो कोई ठण्ड से बचने जोगिंग करता है। मेहनत करता है।
  • ग़लत दौनों नहीं तो भाई ग़लत कौन है...? - ग़लत हैं कुंठाएं,क्रोध,मतिभ्रम,.......
  • न तो मैं कोई संकल्प ले रहा हूँ न ही कोई कसम खा रहा हूँ कि मैं किसी समारोह में न जाउंगा जहाँ वे जातें हों जिनसे मैं असहमत हूँ ..... सच तो यह है कि मेरा शत्रु कष्ट में भी बुलाएगा तो ज़रूर जाउंगा । कोई (शत्रु-मित्र) कष्ट में होगा मुझे उसकी मदद करना ही होगा ।
  • मित्रो मुझे स्वीकारिए या नकारिये सुबह से शाम तक मुझे मेरे सभी काम पूरे करने हैं सो करूंगा सही बात सही वक्त पर करूंगा इसमें कोई गफलत होगी तो मैं जिम्मेदार हूँ कोई और नहीं ........ क्या हिन्दी ब्लॉगर की संख्या बढ़ने से किसी एक को लाभ होना है……….?
शायद राहत इन्दौरी साहब का ही शेर है:
"ता उम्र जो अपना चेहरा पढ़ सका
अब हम उसके हाथों आइना नहीं देंगे "

2.2.09

किताबें बुकसेल्फ़ में रखी नज़र आतीं हैं बड़े से ताबूत में सोयी बेज़ुबाँ लाशें !

एक अंतर्द्वंद
अपने सर्वज्ञ होकर
जीवन-जात्रा को
विजय-यात्रा मानने का भ्रम...!
अंहकार अपने आप को....महान मानने का ..!!
एक अंतर्द्वंद
अपने अंतस में न झांकना
सच कितना आत्म शोषण है..?
मैं समझता हूँ :-"यही आत्म-शोधन है...?"
मुझे भ्रम है कि प्रहारक होने का
सच कहूं किसी और पर जब प्रहार करता हूँ तो
कई टुकड़े हो जाते हैं मेरे शरीर में बसी आत्मा के .
इन टुकडों से झांकता है एक महाभारत
अपनों से जारी एकाकी युद्ध.....?
हाँ....तबी आता है तथागत समझाने
"बुद्धम शरणम गच्छामि "
जी हाँ ...
मैं संघर्षरत युद्धरत अनवरत
क्योंकि मुझे मेरी ओर आता
हर इंसान दीखता है ...अरि !
ऐसा सभी कर रहें हैं युद्ध जारी है
कोहराम ठहरा नहीं क्यों
किताबें बुकसेल्फ़ में रखी नज़र आतीं हैं बड़े से ताबूत में
सोयी बेज़ुबाँ लाशें !!

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...