30.8.08
भोला का गाँव : राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त गाँव.........!!
दिन भर मेहनत मशक्कत कर के रोजी-रोटी कमाने वाला मज़दूर आज दिल पे पत्थर रख के रुका था , सिरपंच जी के आदेश को टालना भी उसकी सामर्थ्य से बाहर की बात थी सो बेचारा रुक गया , रात को गुलाब कुटवार [कोटवार ] की पुकार ने सारे पुरुषों को संकर-मन्दिर [शंकर ] खींच लिया बीडी जलाई गई.यहाँ सिरपंच ने तमाखू चूने,बीड़ी,का इंतज़ाम कर दिया था.
सरपंच:-"काय भूरे आओ कई नई...?"
"मरहई खौं जाएँ बे आएं तो आएं कक्का हम तो हैं जुबाब देबी"
"जब से भूरे आलू छाप पाल्टी को मेंबर हो गाओ है मिजाज...............कल्लू की बात अधूरी रह गई कि आ टपका भूरे.....तिरछी नज़र से कल्लू को देखा और निपट लेने की बात कहते कहते रुक गया कि झट कल्लू ने पाला बदला :"जय गोपाल भैया बड़ी देर कर दई........काय भौजी रोकत हथीं का"
"सुन कल्लू , चौपाल में बहू-बेटी की चर्चा मति करियो"
सरपंच ने मौके की नजाकत भांप बात बदली -''भैया,कल कलेक्टर साब आहैं सबरे गाँव वारे''
भूरे;'काय,कलेक्टर सा'ब का कर हैं इ तै आन खें'
सुन तो भूरे अपने गाँव में शौचालय बनने हैं , सबरे लोग लुगाई दिसा मैदान न जावें गाँव में साप-सपैयत की सुभीता हो जाए जेइ बात समझा हैं बे इतै आन खें
इधर सबके लिए बीडी जलाता भोला सरपंच की बात पे सर हिला हिला के समर्थन जता रहा था . तभी सरपंच बोला:हमाए गाँव में जित्ते बी पी एल बारे हैं सब के शौचालय पंचायत बनबाहे बाकी सब ख़ुद बनाने ?
"न सरपंच भैया ,जे नहीं चलेगा , अब भीख़म के घर है 10 एकड़ जिन्घा-जिमीन है,बहू आँगनबाड़ी की मेडम है बाको बी पी एल कारड बनाओ है, बाहे मुफत में बनी बनाई टट्टी मिल जै है और हम भीखम जित्ते बड़े अदमी नईं हमाओ नाम ........?तीरथ बोला
कल्लू ने अपना सुर तेज किया :- तुमाए दिमाक में भीखम के अलावे कोई बात नईं सूझती , अरे जब कारड बनत हटे तो तुम बड़े अपनी रहीसी झाडत रहे सब जानत हैं रेब्नू साब ने तुमाई रहीसी की बिबसता बना दइ अब रोजिन्ना तुमाओ रोबो गलत है
भीखम की साँस में साँस आई भीखम बोला:भैया तीरथ,अकल बड़ी होत है तैं भैंस को बड़ी बता राओ है.
देर रात तक सरपंच ने सारे गाँव को एक तरह से सेट कर लिया । तय हो गया किअगले दिन कोई भी गाँव की निंदा बनाम सरपंच की शिकायत नहीं करेगा । इसके बदले अगले दिन दौरे के बाद कच्ची-मुर्गा पार्टी होगी।
गाँव में अगले दिन शाम ५:०० बजे कलेक्टर साहब आए । गाँव की साफ़ सड़कें ,सुंदर स्कूल , देख के दंग रह गए गाँव वालों की स्वच्छता को लेकर समझ दारी को आई ए एस श्रेणी का अधिकारी भी चकित रह गया।
गाँव की खुल के सराहना हुई.......सरपंच ने बताया हजूर बाकी सब बी पी एल के कार्ड वाले हैं तीरथ को छोड़ के सर्वे के समय तीरथ बाहर गया था उसकी ओरत से पूछ के ग़लत जान कारी रेवेन्यू इंसपेक्टर ले गए उसका नाम नहीं जुड़ पाया । साहब हर कीमत पर जिले को निर्मल जिला बनाना चाहते थे सो एस डी एम् को हिदायत दी सुनिए इनका नाम आवेदन का परीक्षण कर जोड़ लें यदि पात्र हों तो ,अन्यथा इनका शौचालय मैं बनवा देता हूँ ।
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पूरे १४५ घर शौचालय युक्त हो गए। सरपंच के घर में पहले से ही था । टाट के परदे लगे थे इन शौचालयों में , निर्मल ग्राम की जांच करने आई टीम को सब कुछ सही मिला । सरपंच दिल्ली से इनाम पाकर लौटे । गाँव के दिन फ़िर गए , भोला ,तीरथ,कल्लू,सुंदर सबके घरों में शौचालय हैं । जिन पर ऊपर से छप्पर बना है..... इस बार बरसात में लकडी कंडे इन्हीं संडासों में रख के गाँव भर के लोगों ने पूरी बरसात सूखा इंधन पाया। भोला आज भी समझ नहीं पाया कि कलेक्टर साहब उसके गाँव में क्यों आए थे.......?
[यह पोस्ट सभी समझदार ग्राम्य जनों को सादर समर्पित है जो अपने घरों में बने शौचालयों का प्रयोग...........और पूरे गाँव को शौचालय बताते है,,,,,,,,,,,,,,]
29.8.08
तुम कौन हो.....?
इस बात में ज़्यादा समय गवाने का दौर नहीं है मित्र
सियासत ओर सियासती लोग आपको क्या समझते हैं एक कहानी से साफ हो जाएगी बात
'उन भाई ने बड़ी गर्मजोशी से हमारा किया। माँ-बाबूजी ओर यहाँ तक कि मेरे उन बच्चों के हालचाल भी जाने जो मेरे हैं हीं नहीं। जैसे पूछा-
“गुड्डू बेटा कैसा है।”
“भैया मेरी 2 बेटियाँ हैं।”
“अरे हाँ- सॉरी भैया- गुड़िया कैसी है, भाभी जी ठीक हैं। वगैरा-वगैरा। यह बातचीत के दौरान उनने बता दिया कि हमारा और उनका बरसों पुराना फेविकोलिया-रिश्ता है।
हमारे बीच रिश्ता है तो जरूर पर उन भाई साहब को आज क्या ज़रूरत आन पड़ी। इतनी पुरानी बातें उखाड़ने की। मेरे दिमाग में कुछ चल ही रहा था कि भाई साहब बोल पड़े - “बिल्लोरे जी चुनाव में अपन को टिकट मिल गया है।”
“कहाँ से, बधाई हो सर”
“.... क्षेत्र से”
“मैं तो दूसरे क्षेत्र में रह रहा हूँ। यह पुष्टि होते ही कि मैं उनके क्षेत्र में अब वोट रूप में निवास नहीं कर रहा हूँ। मेरे परिवार के 10 वोटों का घाटा सदमा सा लगा उन्हें- बोले – “अच्छा चलूं जी !”
पहली बार मुझे लगा मेरी ज़िंदगी कितनी बेकार है, मैं मैं नहीं वोट हूं।
27.8.08
नागफनी जिनके आँगन में
23.8.08
ज़ाकिर हुसैन चाहतें हैं सबसे सहयोग
ज़ाकिर हुसैन चाहतें हैं सबसे सहयोग : 30 जून 1982,को जन्मे ज़ाकिर-हुसैन डटें हैं मुंबई में अपने भविष्य को सवारने !आभास-जोशी के बाद मध्य-प्रदेश के अंग रहे छत्तीसगढ़ का यह गायक वास्तव में सपनों की पोटली लिए अपने मित्र अविनाश के साथ माया-नगरी में ज़ोर आज़माइश कर रहा है।संगीत के रसिकों की नजर में ज़ाकिर के हाई और लो नोड नियंत्रित हैं . गायन में सहज़ता है . इसी कारण अन्तिम दस में स्थान पाने में ज़ाकिर हुसैन सफल हुए हैं . चूंकि रियलिटी शो का वोटिंग फार्मेट ऐसा की जो वोट पाएगा वो ही आगे बड़ता जाएगा. अत: ज़ाकिर ने सहयोग की मार्मिक अपील करते हुए मुझसे गत रात्रि टेलीफोनिक बात चीत के दौरान कहा कि- मुझे नहीं मालूम कि मैं कैसे मध्य-प्रदेश के संगीत प्रेमियों तक अपनी बात रखूँ भैया अगर आप जबलपुर मीडिया के ज़रिए मेरीआकांक्षा व्यक्त करने में सहायता करें तो तो तय है कि छत्तीसगढ़ और सारा देश मिल कर मुझे और आगे तक ले जा सकता है ! छत्तीसगढ़ के इस युवक का सम्बन्ध एक सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार से है. १२ वीं तक शिक्षित के रोज़गार का ज़रिया आर्केष्ट्रा रहा है. जन्म के एक बरस बाद पोलियो की गिरफ्त में आए ज़ाकिर की दो संतानें हैं , आभास जोशी स्नेह मंच के सदस्यों द्वारा ज़ाकिर हुसैन को वाइस-ऑफ़-इंडिया द्वितीय के पक्ष में टेली एवं एस एम् एस वोटिंग करने-कराने की अपील की है . आभास जोशी के भाई श्रेयश जोशी ने ज़ाकिर के बारे में कहा - "अपनी तरह की अनोखी आवाज़ है जाकिर की रफी के गीतों को गाने की जोखिम कम ही गायक उठातें हैं लेकिन जाकिर जिस मौलिकता के साथ सहजता से रफी साहब को स्वीकारा है उसका ही परिणाम है कि सब का ध्यान ज़ाकिर जी अपनी और खींच लेते हैं "
22.8.08
आभास पे फ़िदा हुए अन्नू कपूर
आभास पे फ़िदा हुए अन्नू कपूर |
21.8.08
कथा महोत्सव-2008
सौजन्य =>पूर्णिमा जी
कथा महोत्सव-2008 अभिव्यक्ति, भारतीय साहित्य संग्रह तथा वैभव प्रकाशन द्वारा आयोजित
अभिव्यक्ति, भारतीय साहित्य संग्रह तथा वैभव प्रकाशन की ओर से कथा महोत्सव २००८ के लिए हिन्दी कहानियाँ आमंत्रित की जाती हैं।
दस चुनी हुई कहानियों को एक संकलन के रूप में में वैभव प्रकाशन, रायपुर द्वारा प्रकाशित किया जाएगा और भारतीय साहित्य संग्रह http://www.pustak.org/ पर ख़रीदा जा सकेगा।
इन चुनी हुई कहानियों के लेखकों को ५ हज़ार रुपये नकद तथा प्रमाणपत्र सम्मान के रूप में प्रदान किए जाएँगे। प्रमाणपत्र विश्व में कहीं भी भेजे जा सकते हैं लेकिन नकद राशि केवल भारत में ही भेजी जा सकेगी।
महोत्सव में भाग लेने के लिए कहानी को ईमेल अथवा डाक से भेजा जा सकता है। ईमेल द्वारा कहानी भेजने का पता है- teamabhi@abhivyakti-hindi.org डाक द्वारा कहानियाँ भेजने का पता है- रश्मि आशीष, संयोजक- अभिव्यक्ति कथा महोत्सव-२००८, ए - ३६७ इंदिरा नगर, लखनऊ- 226016, भारत
महोत्सव के लिए भेजी जाने वाली कहानियाँ स्वरचित व अप्रकाशित होनी चाहिए तथा इन्हें महोत्सव का निर्णय आने से पहले कहीं भी प्रकाशित नहीं होना चाहिए।
कहानी के साथ लेखक का प्रमाण पत्र संलग्न होना चाहिए कि यह रचना स्वरचित व अप्रकाशित है।
प्रमाण पत्र में लेखक का नाम, डाक का पता, फ़ोन नम्बर ईमेल का पता व भेजने की तिथि होना चाहिए।
कहानी के साथ लेखक का रंगीन पासपोर्ट आकार का चित्र व संक्षिप्त परिचय होना चाहिए।
कहानियाँ लिखने के लिए A - ४ आकार के काग़ज़ का प्रयोग किया जाना चाहिए।
ई मेल से भेजी जाने वाली कहानियाँ एम एस वर्ड में भेजी जानी चाहिए। प्रमाण पत्र तथा परिचय इसी फ़ाइल के पहले दो पृष्ठों पर होना चाहिए। फ़ोटो जेपीजी फॉरमैट में अलग से भेजी जा सकती है। लेकिन इसी मेल में संलग्न होनी चाहिए। फोटो का आकार २०० x ३०० पिक्सेल से कम नहीं होना चाहिए। कहानी यूनिकोड में टाइप की गई हो तो अच्छा है लेकिन उसे कृति, चाणक्य या सुशा फॉन्ट में भी टाइप किया जा सकता है।
कहानी का आकार २५०० शब्दों से ३५०० शब्दों के बीच होना चाहिए।
कहानी का विषय लेखक की इच्छा के अनुसार कुछ भी हो सकता है लेकिन उसमें मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था होना ज़रूरी है।
इस महोत्सव में नए, पुराने, भारतीय, प्रवासी, सभी सभी देशों के निवासी तथा सभी आयु-वर्ग के लेखक भाग ले सकते हैं।
देश अथवा विदेश में हिन्दी की लोकप्रियता तथा प्रचार प्रसार के लिए चुनी गई कहानियों को आवश्यकतानुसार प्रकाशित प्रसारित करने का अधिकार अभिव्यक्ति के पास सुरक्षित रहेगा। लेकिन निर्णय आने के बाद अपना कहानी संग्रह बनाने या अपने व्यक्तिगत ब्लॉग पर इन कहानियों को प्रकाशित करने के लिए लेखक स्वतंत्र रहेंगे।
चुनी हुई कहानियों के विषय में अभिव्यक्ति के निर्णायक मंडल का निर्णय अंतिम व मान्य होगा।
कहानियाँ भेजने की अंतिम तिथि १५ नवंबर २००८ है।
यह विवरण http://www.abhivyakti-hindi.org/kahaniyan/2008/kathamahotsav2008.htm पर वेब पर भी देखा जा सकता है।
18.8.08
विश्व छायांकन दिवस पर विशेष : जबलपुर के महान छायाकार:-स्व.शशि यादव
बच्चन जी
जबलपुर के प्रतिष्ठित छायाकार स्वर्गीय शशिन यादव , के फोटोग्राफ'स श्वेत-श्याम श्रेणी के है उस दौर में रंगीन छाया चित्रों का न तो दौर था और न ही उस समय रंगीन फोटो ग्राफिक केमेरा का विकास ही हो सका था । फ़िर गुजरात से रोज़गार की तलाश में आया कोई शशिनजी जैसा युवक कैसे संसाधन के तौर पर जुगाड़ पाता । किंतु वे स्थानीय महत्त्व पूर्ण अवसरों को न चूकने वाले शशिन जी ने उन अवसरों को नहीं छोडा जिनसे अचानक सामना हुआ उनका .............
15.8.08
माँ....तुझे प्रणाम...माँ तुझे सलाम
अभिनव बिंद्रा, की कोशिश से स्वर्ण किरण ,मेरे आँगन में बिखरीं ,
और वो जो -वो पैरों से नहीं हौसलों से चलता है !"
13.8.08
"वो पैरों से नहीं हौसलों से चलता है !"
12.8.08
बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी
अरी लाली तू ये सब मुझे कान में ऐसे बता रही है जैसे की किसी सी डी के बारे में बता रही हो........!
लाली :-अरे ,मैं कहना चाहतीं हूँ की हमको संतान चाहिए चलें डाक्टर जोगी के पास ?
अरे तू भी बे वजह बखेडा खडा करती है चल ग्वारी घाट जहाँ साक्षात शंकर भगवान की मान नर्मदा की कृपा से कितनों का भला हो रहा है ...........!
और ये खुशहाल कुटुंब .................!
जी हाँ ये बात तुमको कानाफूसी केज़रिए इस लिए बता रही हूँ प्रियतम क्योंकि बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी, बेहतर है की हम तुम .............से काम चलाएं
{सभी फोटो:संतराम चौधरी जबलपुर,भोपाल ,}
9.8.08
"पुत्री वती भव: कहने में डर कैसा"
“औरतों की दशा जितनी चिकित्सा विज्ञान ने बिगाड़ के रखी है उससे अधिक ज़िम्मेदार है मध्य वर्ग की सामाजिक विवशता यहाँ मध्यवर्ग को सरे आम अपमानित करना मेरा लक्ष्य बिलकुल नहीं है किंतु वास्तविकता यही है "पति बदलू कथानकों पे आधारित एकता कपूर छाप सीरियल देखतीं महिलाओं के ज़ेहन में घरेलू जिम्मेदारी के अलावा यह भी जिम्मेदारी है की अखबारों/संचार-माध्यमों में शाया आंकड़ों पे नज़र डाल लें किंतु जैसे ही कन्या सौभाग्यवती होती है उसे करवाचौथ,संतान सप्तमीं,वट-सावित्री जैसे व्रत वर्तूले याद रह जाते क्या महिलाओं के लिए ये सब शेष है सच यदि महिलाएं स्वयं लिंग परीक्षण के विरुद्ध एक जुट हो जाएँ तो यकीनन सारा परिदृश्य ही बदल जाएगा आप सोच रहें होंगे कि किन कारणों से ये ज़बाव देही मैं महिलाओं पे डाल रहा हूँ
जन संख्या आयुक्त और महापंजीयक जेके भाटिया का कहना है कि 1981 में लड़कियों की सं`या 1000 लड़कों के मुकाबले में 960 थी जो अब गिरकर 927 पर आ गई है। पंजाब में स्थिति तो और भी बदतर है। पंजाब के जाट सिक्खों में प्रति हज़ार पुरुषों में मात्र 527 लड़कियां ही रह गयी है। इसलिए अधिकतर पंजाबी लड़कों को अपनी बिरादरी में लड़की नही मिलती और शादी के लिए उन्हें दक्षिण भारत की ओर रुख करना पड़ता है। ऐसा इसलिए भी इन राज्यों में एक संतान की संस्कृति तेजी से फैल रही है और अधिकतर लोग इसमें पुत्र को ही प्राथमिकता देते है। भाटिया के शब्दों में `पंजाब के हाथ खून से रंगे मध्य प्रदेश के मुरैना में लड़कियों की संख्या 815, राजस्थान के धौलपुर में 859, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 789 और हरियाणा के रोहताक में 780 तक पहुंच गयी है। आंकड़े यह भी बताते है कि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में भ्रूण हत्या से संबंधित घटनाये ज्यादा देखने को मिलती है। जहां मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अवांछित गर्भपात का प्रतिशत 11.7 और वांछित गर्भपात 4 प्रतिशत है, वही शहरी क्षेत्रों में यह क्रमशः 24 और 14.9 प्रतिशत है। राजस्थान का धौलपुर भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। शहरी क्षेत्रों में यह 15.9 और 8.6 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बालिकाओं और महिलाओं को नज़रअंदाज़ करके कोई विकास नहीं हो सकता। विज्ञान और टेक्नोलोजी में प्रगति का प्रयोग इंसानियत की भलाई के लिए होना चाहिए न कि उसे अजन्मी कन्याओं की हत्या के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
{आभार:-मोनिकागुप्ता-रांची हल्ला )
कल जब महिला सशक्तिकरण पर एक कार्य शाला में मुझे महाविद्द्यालय के प्राचार्य का सवाल गहराई तक छू गया कि भारतीय बुज़ुर्ग केवल "पुत्रवती भव:" का आशीर्वाद क्यों देते हैं....? यानी पुत्र मोह हमारी संस्कृति का हिस्सा है तभी तो हम "पुत्री वती भव:"कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाते ।
इस पोस्ट को मत पढिए
चीन में ओलोम्पिक की शुरुआत ,तिब्बतियों का विरोध,सिंग इज़ किंग , तो आपने बांच सुन लिया होगा तीन अट्ठे के बारे में ख़बर रटैया चेनल के ज्योतिषीयों ने खूब बता दिया है इस बीच मैं आपको बता दूँ आज अगले जनम मोहे बेटवा न कीजो... नेट पे आ चुकी उन्हीं की है जो समीर लाल है ५०-६० टिप्पणी तिलक ख़ुद तश्तरी में परसवातें है तब कहीं उनका.....सारी उनकी पोस्ट का पेट भरता है । बिग बी,वगैरा के ब्लॉग'स पर अपुन आप कम ही आजा रहें हैं .... अब भैया दोस्ती बराबरी वालों से ही होगी न......?
टी आर पी के चक्कर में न जाने कितने जतन करने होते हैं अपुन भी एक बार अजमाइच्च....लेतें हैं ।
27.7.08
अनिल अम्बानी की नज़र में "केदारनाथ हो या....!!"
अनिल भाई आपने सच माँ-की-ममता को अपने ब्रांड के साथ जोड़ कर कर जो विज्ञापन बनवाए बेजोड़ हैं।आप ने सहवाग की माताजी वाले विज्ञापन के बाद आज मातृभक्त पुत्रों और उनकी पत्नियों को जो शिक्षा दी सच कितनी उपयोगी साबित हो रही है आप इस बिन्दु से अनभिज्ञ हैं ...शायद ...!!
Wow.....New
धर्म और संप्रदाय
What is the difference The between Dharm & Religion ? English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...
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सांपों से बचने के लिए घर की दीवारों पर आस्तिक मुनि की दुहाई है क्यों लिखा जाता है घर की दीवारों पर....! आस्तिक मुनि वासुकी नाम के पौरा...
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संदेह को सत्य समझ के न्यायाधीश बनने का पाठ हमारी . "पुलिस " को अघोषित रूप से मिला है भारत / राज्य सरकार को चा...
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मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ एवम भुवाणा क्षेत्रों सावन में दो त्यौहार ऐसे हैं जिनका सीधा संबंध महिलाओं बालिकाओं बेटियों के आत्मसम्मान की रक...