30.5.08

हिन्दयुग्म का पड़ाव ...!!

पहली कविता को छापने का जोखिम उठा कर काव्य-पल्लवन सामूहिक कविता-लेखन विषय-चयन किया है :-अवनीश गौतम जी ने । तारीफ देखे पहली कविता की प्रविष्ठियाँ चार भागों में छापनी पडी ...... वाह...!....वाह...!!

हिन्द-युग्म

जोखिम भरे काम करने वालों के लिए सराहना ज़रूरी है ......!!

प्रथम भाग में

ममता पंडित दिव्य प्रकाश दुबे सुमित भारद्वाज सीमा सचदेव अजीत पांडेय समीर गुप्ता प्रेमचंद सहजवाला पावस नीर रचना श्रीवास्तव लवली कुमारी हरिहर झा राहुल चौहान सतपाल ख्याल पीयूष तिवारी आलोक सिंह "साहिल" अर्चना शर्मा रंजना भाटिया सजीव सारथी विपुल कमलप्रीत सिंह

दूसरे भाग में

सविता दत्ता शोभा महेन्द्रू देवेन्द्र कुमार मिश्रा महक डॉ॰ शीला सिंह गोविंद शर्मा रश्मि सिंह अभिषेक पाटनी अवनीश तिवारी विजयशंकर चतुर्वेदी आदित्य प्रताप सिंह डा. आशुतोष शुक्ला अमित अरुण साहू रेनू जैन सुरिन्दर रत्ती मंजू भटनागर शिवानी सिंह श्रीकान्त मिश्र 'कान्त' अमिता 'नीर' कु० स्मिता पाण्डेय

तीसरे भाग में

देवेंद्र पांडेय डा. रमा द्विवेदी अशरफ अली "रिंद" ममता गुप्ता रजत बख्शी राजिंदर कुशवाहा गरिमा तिवारी विनय के जोशी डा0 अनिल चड्डा यश छाबड़ा कवि कुलवंत सिंह एस. कुमार शर्मा मीनाक्षी धनवंतरि शुभाशीष पाण्डेय शिफ़ाली पूजा अनिल अविनाश वाचस्‍पति निखिल सचन सोमेश्वर पांडेय सुनील कुमार सोनू

और ताज़ातरीन चौथे भाग में *** प्रतिभागी रहे

राकेश खंडेलवाल सीमा गुप्ता सतीश वाघमारे संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी ब्रह्मनाथ त्रिपाठी 'अंजान' मैत्रेयी बनर्जी सतीश सक्सेना विवेक रंजन श्रीवास्तव "विनम्र" आशा जोगळेकर राहुल गडेवाडिकर मधुरिमा कुसुम सिन्हा महेंद्र भटनागर शैलेश भारतवासी मनीष वंदेमातरम स्वाति पांडे तपन शर्मा गोविन्द शर्मा डॉ॰ एस के मित्तल राजीव तनेजा

यानी कुल अस्सी कवितायेँ जमा हुई किसी अखबार को भी इतनी रीडर शिप और पार्टिशिपेशन कविता के मामले में कम ही मिलता है। किसे नामज़द बधाई दूँ ........मेरी समझ में नहीं आ रहा है

केवल इतना कह पा रहा हूँ

बधाइयां

हिंद-युग्म

29.5.08

"गिद्ध रहें न रहें गिद्धियत शेष रहेगी...!!"

sachin sharma ने कहा 80 लाख थे, 10 हजार रह गए!भईया इनकी जनरेशन की अब कोई ज़रूरत नहीं हैं । आदम जात में इनकी प्रवृत्ति ज़िंदा रहेगी ही । मौत बनते राजमार्ग! भी सच है राज के रास्ते चलते लोगों की आत्म-सम्मान,संवेदना,ईमान,सब कुछ मर जाता है । ज़िंदा रहती है केवल लिप्सा । लाशों के ढेर पर "राज" निति की बुनियाद इक एतिहासिक सत्य है।

इब्ने-इन्साँ ने खूब कहा -

" अपनी ज़ुबां से कुछ न कहेंगे चुप ही रहेंगे आशिक़ लोग,

तुम से तो इतना हो सकता है पूछो हाल बेचारों का "

SUYOG PATHAK ने गया उदय प्रकश जी का गीत स्वयम में ब्रह्म का एहसास दिलाता है।

11.5.08

हेमराज जैन

हेमराज जैन

टोरोंटो , ओंटारियो अराइव्ड फ्राम ब्लागवाणी .कॉम ऑन

FEEDJIT लाइव ट्रैफिक फीड,पर Toronto, Ontario arrived from blogvani.com on तो समझ लीजिए उडन तश्तरी ...., के हाथों आप पकड़ लिए गए , यानी भाई समीर लाल सबको बांचते हैं...?
जी सही है वो सबको पढ़्तें हैं। जबलपुर : मध्य प्रदेश ऐसी जगह है जहाँ संस्कार उगतें हैं और छा जातें हैं विश्व पर ।
भाई समीर जी आज मातृदिवस -पर सव्यसाची माँ प्रमिला देवी जो कहानी कहते-कहते सो गयी माँ .....?
को याद ही कर पा रहा हूँ ....
सभी औरतें जो माँ बनतीं हैं सच ईश्वर से कम होतीं भी नहीं हैं.....
दुनिया रचने वाली माँ , तुमको शत शत नमन

3.5.08

प्रोवोग

अंतस तक छू लिया इस फ़िल्म ने , महिला बाल विकास विभाग के भोपाल मुख्यालय में "घरेलू हिंसा के विरुद्ध"हम सभी अधिकारियों को जब ये फ़िल्म दिखाई गई तो लगा नारी के खिलाफ़ हिंसक सोच को रोकने यदि हमको अवसर मिल रहा है तो इसमें बुराई क्या है।

28.4.08

मंटो ने फ्रायड को पछाडा है

मुझे मंटो में कोई गंदगी नहीं नज़र आई,लायसेंस पढकर तो आँखे भर आयीं थीं। औरत की जिन्दगी की तस्वीरें जो मंटो ने खींची थीं , उन से समाज में नारी की दशा की सच्ची व्याख्या कर ही डाली। इधर अपने मनोहर श्याम जी तक ने अपनी हद पार कर दीं ,खुशवंत जी की बात करना फिजूल है, मंटो को मेरा सलाम । मुझे जबलापुरिया होने पे गर्व इस लिए है क्योंकि मेरे इस शहर ने सौ केंडल पावर का बल्बःनींद,जबलपुर में बनी मन्टो पर फिल्म बनाई,सआदत हसन मंटो की नज़र नारी के लिए पाजिटिव ही है,

27.4.08

जबलपुर से कुछ दूर भेडाघाट






पुरा संपदा बिखरी हुई हैं












६४ योगनी







संग-ऐ-मरमर की दीवारों को
चूमतीं






कहीं शांत शीतल
तो कही तेज़..... कलरव के साथ





कूदती अल्हड़ बिटिया सी :''मेरी माँ नर्मदा ''









25.4.08

बाल विवाह रोकने माँ से मनुहार




माँ......तुम् मुझे मत ब्याहना १८ बरस के पहले

इनकी भी अनकही बात सुनो माँ

Ninety-years-old Jagran Devi of Tilhari headquarters wears an elated look. She proudly flaunts the red-yellow 'Raksha Sutra' that her granddaughter, 18-years-old Kalpana has just tied on her wrist. "I will take off this thread only at the time of doing her Kanyadaan.", she says with tears in her eyes.
Ask her about the auspicious nature of Akshaya Tritiya and she replies : " Marriages are made in the heaven. All days area auspicious. We have to make our marriage work."
"I was married at 11 years of age. I am an "Angotha Chhap" (illiterate), she says adding, "Look, how my thumb has decayed over the years. I don't want my grand-daughter to meet the same fate."
More than 50 women with their daughters had assembled at the Aanganbadi centre of Tilahari village their young daughters into an untimely marriage.
Girls of all age groups, mostly between nine and sixteen, tied the sacred thread on their mothers' hands. The mothers then touched their daughters' feet symbolizing the 'high pedestal' on which the girl child is placed. Most of them wear the thread till if falls of naturally.
Tilhari village has population of 1526 and more than half are women. Literacy rate of women is above 60%.
"Such congregations play a pivotal role in disseminating a social message. When we discuss a social malady on a common platform, chances for redressal become more. This thread makes us all the more determined not to push our daughters into an early marriage," observes Nandini. Her nine-years-old daughter Monika is oblivious of the 'get-together' but ask her when she would get married and pat comes the reply. "My mother will get me married when I am 20."
And what about husbands ? "Oh, our husbands are also with us:. Some complain about their men squandering money on alcohol. Some complain, albeit in whispers, about physical harassment meted out by their husbands. But all resonate the same theory about child marriage. "Our husbands are also with us. They also want to educate the daughters and marry them off at an age when they become mentally and physically mature." Sunita, an 11th grade educated housewife and mother of three- including two daughters - sums up:p: " I am determined to educate my daughters at least till graduation. Who knows they can also become engineers."
With such 'reformed' mothers, how can the daughters tie the nuptial knot at an age when then don't understand the ABC of marriage ? Akshaya Tritiya or no Akshaya Tritiya. They remain undeterred. The red-yellow thread on their wrists reminds them of the pledge they had jointly taken, not so long ago.
""
पिछले इन बरस जबलपुर से ११ किलो मीटर दूर तिलहरी गाँव मे जो हुआ एच० टी० ने ज्यों का त्यों छापा इक बरस से इस कटिंग को सम्हाल के रखा था । इन तस्वीरों में जो दिख रहा है उसके लिए जिम्मेदार हैं मेरी सहयोगी माया मिश्रा, पर्यवेक्षक और श्रीमती तारा कुशवाहा , बात ये है कि नवाचार कर हमने सभी का ध्यान खींचा इस बात के लिए कि "बाल विवाह "सही नहीं है
गाँव तिलहरी के आँगनवाडी केन्द्र पर ये सब हुआ , बालिकाएं सुबह से ही जमां थीं पूरे उत्साह से अपनी दीदी तारा का न्योता जो आया था । ऑगनवाड़ी केन्द्र पर चौक पूरा गया था बेटियों के हाथों माँओं,दादियों को राखी बांधी गयी , सभी बेटियों ने कहां "कम उम्र में हमें मत बिहाना माँ "
ये सूचना है..... कि अब नारी सशक्तिकरण की बुनियादें मज़बूत होने लगीं है...!"
आज ही यक्ष प्रश्न पर बेटियाँ कविता ने भावुक कर दिया मुझे वहीं गौरव की कविताई में भी सचाई साफ पर दिख रही है और उन लड़कियों से किया इश्क़ हमने
नारी ब्लॉग पे छपी ओह ...लड़की हुई है में कीर्ती जी की करुणा
ज़रूरी है सबके किए ।

20.4.08

बावरे फकीरा के गायक ने करांची में धूम मचा दी



बावरे फकीरा के गायक "आभास जोशी" के
पाकिस्तान के संगीत प्रेमियों ने हाथों हाथ लिया , अलका याग्निक,कुमार शानू, और जबलपुर के लाड़ले आभास ने 19/04/08 को करांची में एक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया। आभास के पिता श्री रविन्द्र जोशी एवं उनकी वयोवृद्ध मातु श्री पुष्पा जोशी आभास की इस उड़ान को देख कर बेहद अभिभूत हैं।


8.4.08

MELODY OF LIFE : जीवन का आलाप


http://mukul2.blogspot.com/=>
*Melody of life*#जीवन का आलाप#*
इस ब्लॉग पर आप देखिए इस ब्लॉग को आध्यात्मिक चर्चा का ब्लॉग बनाया , सबसे पहले मेलोडी ऑफ़ लाइफ गुरुदेव शुद्धानंद नाथ जी उन पत्रों को शामिल किया किया गया है जो गुरु देव ने अपने शिष्यों को लिखे गए थे.........प्रपंच अध्यात्म योग के प्रणेता स्वामी शुद्धा नन्द नाथ के पत्रों का संकलन लगातार इस ब्लॉग पर आपके लिए प्रस्तुत है अन्तिम से प्रथम पृष्ठ के क्रम में पोस्ट प्रस्तुत होंगीं इस ब्लॉग को आध्यात्मिक चर्चा का ब्लॉग बनाया , सबसे पहले मेलोडी ऑफ़ लाइफ गुरुदेव शुद्धानंद नाथ जी उन पत्रों को शामिल किया किया गया है जो गुरु देव ने अपने शिष्यों को लिखे गए थे .स्वामी शुद्धानन्द नाथ ने प्रपंच-अध्यात्म-योग की मीमांसा हेतु दुर्व्यसनियों को पवित्र जीवन के पथ पर लाने का सफल संकल्प लिया था । यानी प्रमादी,लोभी,अति भौतिकवादी संलिप्तता वृत्तियों से मुक्ति के दाता गुरुदेव ने परिवारों में जो संस्कार बोए वे विश्व के लिए आज भी समीचीन हैं । हूँदराज़ नवानि , सव्य साची माँ प्रमिला देवी , पिता श्री काशीनाथ जी के सत संकल्प का परिणाम है "मेलोडी ऑफ़ लाइफ" इस कृति को मूलत:आपके लिए इस नवरात्र के अंत तक अंतर जाल पर डाल दिया जाएगा , कृति पर मेरा कोई अधिकार नहीं है किन्तु व्यावसायिक उपयोग सर्वथा वर्जित है। आप आध्यात्मिक प्रश्नों की पूर्ती हेतु क्रमश: अथवा रेंडमली देख सकेंगे । नव वर्ष पर सद गुरु के विचारों को आप तक लाने में उनकी आशीर्वाद एवं,आपके सहयोग की कामना के साथ*"मुकुल "

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...