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21.12.20

भारतीय योगा की नाव : पतवार डॉलर और यूरो की...!



मेरे एक परम सम्मानीय मित्र स्वामी अनंत बोध चेतन इन दिनों लिथुआनिया मैं योगा स्टूडियो चला रहे हैं । दो विषय में स्नातकोत्तर डिग्री और योग तथा दर्शन में पीएचडी अंग्रेजी संस्कृत हिंदी के जानकार स्वामी अनंतबोध चैतन्य भारत से 6000 किलोमीटर दूर लिथुआनिया में सनातन की धारा को जीवंतता दे रहे हैं। लिथुआनिया के बारे में जान लीजिए ... कभी इतिहास में एक बड़ा देश हुआ करता था यूएसएसआर शामिल लिथुआनिया 1990 की सोवियत संघ की टूटने पर सबसे पहले आजाद हो गया ।

पूर्वी यूरोप का इस देश की आबादी लगभग 29 लाख है साथ हीी देश अब यूरोपीय यूनियन का तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था वाला देश है। इस देश को बाल्टिक टाइगर भी कहा जाता है। स्वामी अनंत बोध बताते हैं कि वे सनातन संस्कृति के विस्तार के लिए  लिथुआनिया में है जहां भारतीय हिंदुओं की संख्या  लगभग दशमलव 0•06% है। इस देश में इंटरनेट सिस्टम सबसे तेज है और यहां सभी नागरिक इंटरनेट की यूजर हैं। 
  
सांसद ( योनोवा ) Eugenijus Sabutis के साथ योगी अनन्त बोध
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से  पीएचडी की डिग्री लेकर गए इन युवा योगी को भारत की पीएचडी डिग्री होने के बावजूद योगा एलाइंस नामक एक संस्थान से हजारों यूरो देकर योगा स्टूडियो चलाने की अनुमति प्राप्त हुई। यूरोप में अधिकांश घर स्टूडियो के नाम से किराए पर मिलते हैं। और जहां योगा सिखाया जाता है वह योगा स्टूडियो के नाम से प्रसिद्ध हो जाता है। यूरोपियनस व्यवसाई बुद्धि देखें तो आप दांतो तले उंगली दबा लेंगे !
  भारत का पीएचडी होल्डर जिसने दर्शन और योग में पीएचडी की हो को भी उक्त सर्टिफिकेट हासिल करना पड़ा। विश्व के अधिकांश देशों में बाबा रामदेव के पतंजलि संस्थान से योग की शिक्षा हासिल करने वालों को योग सिखाने का लाइसेंस हासिल हो जाता है। ऐसे कुछ संस्थान और भी हो सकते हैं परंतु योगी अनंत बोध और मुझे इतना ही मालूम है ।

मित्रों विश्व के मानचित्र पर जहां भी योगा को स्वीकार किया गया है इनकी अपनी नियमावली है लेकिन यूरोप एक ऐसा महाद्वीप है जहां भारतीय योग के लिए यूरोपीय संस्थानों से संबद्धता और प्रशिक्षण लेना जरूरी है। चलते-चलते आपको बता दूं कि- लिथुआनिया राष्ट्र की बेरोजगारी अब मात्र 9% तथा वह बोली जाने वाली भाषा लिथुआनियाई है। और यह सबसे प्राचीन बोली जाने वाली भाषा संस्कृत की समकालीन या उसके आसपास की है। लिथुआनिया में बायोटेक्नोलॉजी वहां की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाती है।
 एक खास बात और विश्व की तरह पाकिस्तान जैसे देशों के नागरिकों को वहां वीजा और जॉब नहीं मिलता  है । कारण मत पूछिए । जबकि भारत के प्रति उनका आकर्षण अद्भुत है ।

26.7.20

चीन के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध एवम कारपोरेट सेक्टर

ताहिर गोरा के टैग टीवी पर आज पामपियो के हवाले से निक्सन के दौर से ओबामा तक जिस प्रकार चीन को बारास्ता पाकिस्तान सपोर्ट दिया वो चीन के पक्ष में रहा । अब उसका उसका दुष्परिणाम भी देखा भारतीय सन्दर्भ में एक  एक दम साफ है कि हमारे  विदेशी कारपोरेट केे लिए अधिक वफादार हैैं  चीन के सापेक्ष । अगर इम्पोर्टेड विचारों ने कोई हरकत न की और भारत में अस्थिरता पैदा न की । कास्टिज़्म को रीओपन करने वाली एकमात्र विचारधारा यही है । 

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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