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11.8.11

मित्र जिसका विछोह मुझे बर्दाश्त नहीं

   
                   ख़ास मित्र के लिए ख़ास पोस्ट प्रस्तुत है.. आप लोग चाहें इसे अपने ऐसे ही किसी ख़ास मित्र को सुनवा  सकते .... 




ऐसे मित्रों का विछोह मुझे बर्दाश्त नहीं. आप को भी ऐसा ही लगता होगा.. चलिये तो देर किस बात की
ये रहा मेरा मित्र जो नाराज़ है मुझसे यह एक मात्र तस्वीर है  इनके पास जिनका हार्दिक आभारी हूं.

13.3.11

परोपदेशकुशलाः दृश्यन्ते बहवो जनाः ....

पद्मसिंह जी 



एक साधु नदी मे स्नान कर रहा था, उसने देखा एक बिच्छू पानी मे डूब रहा था और जीवन के लिए संघर्ष कर रहा था। साधु ने उसे अपनी हथेली पर उठा कर बाहर निकालना चाहा...लेकिन बिच्छू ने साधु के हाथ मे डंक मारा, जिससे साधु का हाथ हिल गया और बिच्छू फिर पानी मे गिर गया... साधु बार बार उसे बचाने का प्रयत्न करता रहा और जैसे ही साधु हथेली पर बिच्छू को उठाता बिच्छू डंक मारता...लेकिन अंततः साधु ने बिच्छू को बचा लिया.... घाट पर खड़े लोग इस घटना को देख रहे थे... किसी ने पूछा... बिच्छू आपको बार बार डंक मार रहा था फिर भी आप उसे बचाने के लिए तत्पर थे... ऐसा क्यों...
साधु मुस्कराया और बोला... बिच्छू अपना धर्म निभा रहा था... और मै अपना... वो अपना स्वभाव नहीं छोड़ सकता तो एक साधु अपना स्वभाव क्यों छोड़े... फर्क इतना है कि उसे नहीं पता कि उसे क्या करना चाहिए... जब कि मुझे पता है मुझे क्या करना चाहिए...
अरे माफ़ कीजिये इसे अब सुनना है आपको 

 


इसे पढ़िए ----पद्मसिंह जी के ब्लॉग ढीबरी पर यहाँ
पद्म सिंह जी एक प्रतिभावान ब्लागर ही नहीं वरन एक नेक-हृदय इंसान भी हैं.  उनका सभी ब्लागर्स के बीच अलग ही स्थान भी है. शुभकामनाओं सहित 

15.3.10

मीडिया का अनुपूरक है ब्लॉग : पियूष पांडे

चैत्र-नवरात्रि साधना पर्व पर सभी का हार्दिक अभिनन्दन है . मित्रों कल मेरे एलबम बावरे-फकीरा को  रिलीज़ हुए पूरा एक वर्ष हो गया है. इस सूचना के साथ बिना आपका समय जाया किये सीधे आदरणीय पियूष पांडे जी से आपकी मुलाक़ात कराना चाहूंगा हिन्दी ब्लागिंग को लेकर कतिपय साहित्यकारों की टिप्पणियों को उनकी व्यक्तिगत राय मानने वाले पांडे जी से उनकी कविताएँ भी इस पाडकास्ट में उपलब्ध हैं.


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मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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