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13.1.15

रेलवे क्रासिंग वाला किशोर और बाइक वाला


साहेब ये  घोड़ा है
इसकी पीठ पर सवार बादशाह की रौबीली मूंछ
सुनहरी रकाब , ये देखिये घोड़े की  झबरीली पूंछ   
दस रुपये में ..... आपको घोडा तो क्या  बादशाह भी नहीं मिलेगा ....
खरीद लीजिये न ..... आपके दस रुपये बहुत काम आएंगे .......
आपकी बेटे  के चेहरे पर हंसी,
बेटी  के मुखड़े पर मुस्कान लाएँगे .....
साब दे दूँ..... दो ले लीजिये बीस रुपए बेकार नहीं जाएंगे ...
बोलो साब बोलो ..... जल्दी बोलो .....
गाड़ी आने वाली है गेट खुल जाएगा ।
आपका घोडा यहीं रह जाएगा ...
          अनचाहे विक्रेता से खीज कर आलीशान कार के काँच ऊपर चढ़ गए । शाम आसरा भी टूटता नज़र आया हताश किशोर की हताश आंखें पीछे वाले बाइक सवार नें पढ़ लीं, कार का शीशा चढ़ते हुये जो देख रहा था ...... बाइक सवार ने पचास का नोट देकर कहा ये ये मुझे दे दो
सा, छुट्टे ... बीस दीजिये न ...
नहीं है ......
कोई बात नहीं कल लौटूँगा न तब वापस ले लूँगा ..... रोज़ निकलता हूँ ।
साब आप ले जाओ ... छुट्टे कल दे देना !
          बाइक सवार युवक ने लगभग डपट कर उसे बीस की जगह पचास थमा दिये । किशोर ने बाइक का नंबर नोट किया ...........
         किशोर कई दिनों तक उस बाइक का इंतज़ार करता रहा । बाइक वहाँ से कभी भी नहीं निकली ।
       दस बरस बाद उसी  रेलक्रासिंग पर उसी  पुरानी बाइक के ठीक पीछे रुकी आलीशान कार कार से एक युवक उतरा उसने बाइक सवार प्रौढ़ को प्रणाम किया .... जेब से तीस रुपए निकाले उसके हाथ में देते हुए कहा – “मेरे पास बरसों से आपकी अमानत रखी है सर, आप मुझे फिर कभी वापस न मिले ?” वैसे उस दिन आपके दिये पैसे से मेरे घर में सबने भरपेट खाना खाया था । ये मेरा कार्ड है सर ..... आप शहर आएँ मेरे स्टूडिओ में मूर्तियां बनवाता हूँ ।
          बाइक पर सवार व्यक्ति ने मुस्कुरा कर दस रुपए रख लिए ।

             कुछ दिनों बाद सचाई समझने के गुंताड़े में  महानगर में स्टूडिओ का पता खोजते खोजते बाइक वाला प्रौढ़ जब स्टूडिओ पंहुचा तो उसकी  बाइक पर सवार मिट्टी से बनी मूर्ति वो भी उसके अपने युवा काल की देख भौंचक था । 

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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