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10.11.21

freedom movement for sindhudesh in Pakistan

पिछले आर्टिकल में आपने बलोच फ्रीडम मूवमेंट के बारे में पढ़ा था कि किस तरह से पाकिस्तान में फ्रीडम मांग रहे हैं वहां के बलूचिस्तानी। वास्तविकता यह है कि जितना बलूचिस्तान के लोग परिपक्वता के साथ आंदोलन को आगे ले जा रहे हैं उसके सापेक्ष परिपक्व नहीं है। ट्विटर स्पेस चलाने वाले कुछ हैंडल को सुन कर  यह स्पष्ट होता है कि अल्ताफ हुसैन की कोशिश को आई एस आई एवं आर्मी की साजिशों का ना काम करने की कोशिश कर रही है। एक राष्ट्र में यह स्वभाविक कि वह किसी भी अलगाववादी आंदोलन को दबाए और वह ऐसे प्रयास करता है । 
   लेकिन आंदोलनों को दबाने की विधि पूरी तरह से अमानुष एवं वर्तमान संदर्भ में कहा जाए तो मानव अधिकारों के खिलाफ है। यहां भी वही स्थिति है जैसा कि बलूचिस्तान में पाकिस्तानी प्रशासन कर रहा है। लोगों को उठाकर ले जाना और फिर उनकी ला से अज्ञात खाली जमीन पर फेंक देना जैसे मुद्दे इन स्पेस  में सम्मिलित पाए गए।
   लोगों का कहना है कि सरकारी नौकरियों में सिंध के कोटे के साथ भी हेरफेर किया जाता है। सोशल मीडिया पर यह भी खुलकर सामने आया है कि सिंध क्षेत्र आर्थिक तौर पर बहुत समृद्ध है।
     बलूचिस्तान और सिंध देश आजादी की मांग ठीक उसी तरह करने पर आमदा है जिस तरह बंगबंधु मुजीब उर रहमान ने पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश बनाकर किया है। वास्तव में जो मैच्योरिटी पूर्वी पाकिस्तान में थी वह मैच्योरिटी यद्यपि इन दोनों आंदोलनों में नजर नहीं आती। परंतु यह भी उससे बड़ा सत्य है कि पाकिस्तान के पंजाब सूबे के खिलाफ अब आवाज तेजी से बुलंद होती जा रही है। संजरानी नामक एक टि्वटर आईडी के द्वारा भी सिंधुदेश के लिए निरंतर आवाज उठाई जा रही है।
  बलूचिस्तान एवं अल्ताफ हुसैन की लीडरशिप में चलाए जा रहे हैं सिंधु देश की मुक्ति के लिए चलाए जा रहे इस आंदोलन के कमजोर होने की कई सारी वजह हो सकती हैं उनमें से सबसे प्रमुख है कि वे अब एक ऐसी पाकिस्तान आर्मी के सामने हैं जो कुछ ज्यादा ही चतुर एवं चालाक लोगों के हाथों में है।
   दक्षिण एशिया में अगर कोई सबसे अशांत देश है तो उसमें इस सबसे पहला है चीन जिसकी अशांति विश्व के सामने तक पहुंच क्यों नहीं रही है पर इंटरनल जबरदस्त लावा देख रहा है। उसके बाद अफगानिस्तान पाकिस्तान अपने आप को इस सूची में लाने में सफल है। सिंधु देश के लिए आंदोलन करने वालों के साथ सोनम महाजन भी पिछले कुछ दिनों से देखी जा रहीं है । इसका अर्थ क्या निकलता है यह एक अलग बात हो सकती है परंतु सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की स्वतंत्रता के मंतव्य को विस्तारित तो किया जा सकता है परंतु स्वतंत्रता मिलना ना मिलना वहां के आंदोलनकारियों की रणनीति पर निर्भर करता है।
यहां एक बात पूरी तरह से स्पष्ट है कि पंजाब सिंध प्रांत के अनुपात में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए अन उत्पादक श्रेणी का इलाका माना जाता है । जबकि बलूचिस्तान प्राकृतिक संपदा ओं से भरा पड़ा है। जिसके दोहन की क्षमता पाकिस्तान की पूर्व आर्मी डेमोक्रेटिक सरकार के पास ना तो कभी थी ना है और ना रहेगी। पाकिस्तान का चिंतन यह है कि वह किसी भी तरह से एक ऐसा वतन बनके रहे जहां हुक्मरान और गरीब आवाम हमेशा जिंदा रहे। यही है पाकिस्तान की सबसे बड़ी कमजोरी। आपने आज तक कोई भी ऐसा इन्वेंशन नहीं सुना होगा जो पाकिस्तान में हुआ हो। वह 70 वर्ष तक अमेरिका और अन्य देशों के हाथों की कठपुतली बना रहा। बोरिस जॉनसन ने पिछले दिनों भारत के प्रधानमंत्री श्री मोदी के लिए जो शब्द कहे की एक सूर्य है एक प्रकृति है और एक नरेंद्र मोदी है। इसका अर्थ यह है कि विश्व भारत की क्षमताओं एवं उसकी शक्ति को पहचान चुका है। और यही सब हमारे पड़ोसी देश को पसंद नहीं। विश्व राजनीति को भारतीय समझाने में सफल हुआ है कि आतंकवाद अंततः है अंतररष्ट्रीय बुराई है

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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