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1.1.12

आभार 2011 ... !!

जा रहे हो बीते बरस तुम्हारा आभार तो कर दूं ..!

 तुम्हारे साथ बीते पलों ने नये के स्वागत का सलीका सिखा ही दिया.. .

 तुम भले सवालों को सुलगा सुलगा जवाबों को कसौटी पे परखते रहे .. अरे हां वो तुम ही थे न जो कभी तेज़ी से तो कभी हौले-हौले अपनी पाथ पर सरकते रहे .. हां बीते बरस तुम ने ही तो बताया क्रांति और अवसरवादिता में फ़र्क सच कितना कड़्वा होता है बूढ़ी देह को जाते-जाते तुमने कर ही दिया सतर्क. सच इस बार तुम्हारा साथ बहुत कुछ दिखा गया .. हां सूरज को रौशनी की ज़रूरत थी.. तुम्हारा ही हाथ था न जो उसे दीपक दिखा गया. सच तुम्हारे तिलिस्म को भूल न पाऊंगा तुम्हारे गीत दिन दोपहरी जब भी तुम्हारी याद आएगी गुन गुनाऊंगा. 
  इस बरस तुमने मुझे जी भर के हंसाया हां उसी हंसी के पीछे था मैने अपने दर्द का पोटला छिपाया.. ओ बीते तिलिस्मी बरस तुम जा रहे हो न.. बताओ  फ़िर कभी आओगे न उदास चेहरों पे मुस्कान सजाओगे न.. आना ज़रूर आना.. प्राकृतिक-न्याय क्या होता है सबको बताना.. तुम्हारा ये काम अभी अधूरा है.. अब विदा देता हूं
नेये को स्वागत का कार्ड दिखाना है 

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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