एक हादसे ने बिस्तर पर लगातार लेते रहने को मज़बूर कर दिया था मुझे 1999 की दीपावली बाज़ार से खरीददारी की गरज से अपने भतीजे भतीजी अंकुर आस्था को लेकर निकला था सारी खरीददारी के बाद जाने कैसे स्लिप हो गया फीमर बोन फ्रेक्चर का कष्ट आज तक साथ है । हाल चाल लेने तो कई लोग आए उनमें गीतकार अभय तिवारी ने सुझाया :-"गिरीश भाई , पड़े पड़े और कमजोर हो जाओगे "
"तो क्या करुँ...?"
"मेरी मदद पलंग पर लेटे-लेटे........कल से मैं स्वतंत्र मत के साहित्यिक पन्ने के लिए सामग्री संग्रह कर के ला दूगां आप करना सम्पादन । उस समय दैनिक अखबार स्वतंत्र मत के साहित्यिक पन्ने के लिए प्राप्त सामग्री में से मेरे पास "श्रीयुत हरिकृष्ण त्रिपाठी द्वारा लिखित "कुछ पांडू लिपियाँ स्केन कर आप सुधि जनों के लिए सादर
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मेरे बारे में
- बाल भवन जबलपुर
- जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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