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8.8.11

"ज़रा सी विकृति जायज़ है वरना आप जितने सहज होंगे कुत्ते उतना ही आपका मुंह चाटेंगें"

                            "आप जितने सहज होंगे कुत्ते उतना ही आपका मुंह चाटेंगें" इस बात से कई दिनों तक मेरी असहमति थी. हो भी क्यों न सहजता ज़िंदगी में वो रंग भरती है जो केवल प्रकृति ही दे सकती है हमारे जीवन को.. हुआ भी यही जीवन भर की सादगी सहजता के सहारे जीवन में  रंग भरता इंसान..  
मेरा  एक कपटी मित्र जिसकी असलियत से वाकिफ़ तो था पर आज़ मित्रता दिवस पर मैने उससे रिश्ता तोड़ लिया वो एक शातिर शिक़ारी है..एक ऐसा शिक़ारी जो मासूमियत और नेक़ी का लबादा ओढ़ के दुनियां के सामने बड़ी बेहरहमी से मानवाधिकारों का अंत किया  मेरे .भी...
    पर क्या हम खुद पर  हिंसक आघातों को  जारी रहने दें .... कदापि नहीं..हमको विद्रूपता का सहारा लेना ही होगा.. वरना कुत्तों से आपका मुंह यूं ही चटवाया और नुचवाया जाता रहेगा ..  चेहरे पर विद्रूपता लानी ही होगी.. पर इस विद्रूपता को व्यक्तित्व पर हावी न होने दिया जाए.. 
 कैसे ..?
                       इस सवाल का ज़वाब दिया था एक दिन मेरे मित्र  सलिल समाधिया ने :-... अगर आप सांस्कृतिक नहीं तो आप के काबिल दुनियां नहीं.. दुनियां के काबिल कौन है..? वही जो गाता है... नैसर्गिक संगीत के साथ सरस भावों वाले गीत गाता है.. !!   जो सांस्कृतिक है , 
                                    आज़ गुरुदेव ने अनंत जी से इच्छा व्यक्त की कि वे मुझसे बात करेंगें.. गुरु की महिमा देखें ब्रह्मचारी अनंत बोध जी ने बताया होगा उनसे कि "गिरीष कवि है.." वो बोले.. हृदय से निर्मल होगा ..!! यहां यह स्पष्ट है कि :- "सर्जक को सभी दुलारतें हैं" विध्वंसक की सहज सराहना.. नहीं होती..
लोग आज़कल इस ज़द्दो ज़हद में लगें हैं कि उनकी अमुक से तमुक नातेदारी है.. लोग अपने बाप दादों के किये का गीत गा गा कर आपके बीच होते हैं कुछेक लोग ऐसों से प्रभावित हो जाते हैं.. मुझे ऐसे लोग उस भिखारी से नज़र आते हैं जो किसी का गीत गा गा कर भूख से बचने की जुगत लगाते हैं.. सच ऐसे लोग लोकेषणा की क्षुदा तृप्ति के अलावा क्या कर रहे होते हैं ध्यान से देखिये..!!
     एक क्या ऐसे लोगों की भरमार है .. आपके हमारे इर्दगिर्द
   एक मित्र ने बताया की वे फलां के ढिकां हैं दूसरे ने बताया की अमुक सेली ब्रिटी से उनका ये रिश्ता है.. तो हम बोले एक बात मैं भी जानता हूम ...!
मित्र बोले:-क्या.. बताओ बताओ..!!
हमने कहा :-"मैथुनी सृष्टि के पूर्व ब्रह्मा जी ने सप्तर्षियों का उल्लेख करते हुए कहा था कि:- 

मरीची अत्रि, भवान अंगिरा, पुल: कृतु
पुलतश्च्य  वशिष्ठ्श्च, सप्तैते ब्राह्मणा सुता   
और अंगिरा कुल के तीन प्रवर हुए विश्वामित्रे मधुछंदा  अघमर्षण
और वे पूर्व स्व. राष्ट्रपति महामहिम  शंकर दयाल के नाते दार हैं.. "  
     मूर्खों की जमात को ऐसे ही बहलाते हुए हम  निकल लिए.. ..  

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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