लावण्या शाह जी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
लावण्या शाह जी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

15.3.10

लावण्या शाह जी से मुलाक़ात और जबलपुर में हुई ''प्रेस-ब्लागर्स-भेंट''

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhEUe1vqNE6OAXtxTlnnPcf8XNbLPEXWnwbSXZguCvxYWB4qWwSy3ANhAoofJoVzi4VEDJ4MS2b3xekwd4wsCkATpNQsOwDieqEJInld8be8_1qGBWCKeK-o_TnN2Gn-PZ5adpIjRj9TEI/s400/amma+color+pic..jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEihxIMF81RAYebtvk_8oBgoVj9jcfYPsPMPkhl82D5seMxtUs7OPorGIHY2KskY9y4Fze8d9DUklHvwrrqVHwhjS4HnD_4p9m0VPn-6UToicfDrWSbtSE-XxHDAMHlR5bOm_8I4WLdldv3M/s320/family.jpghttps://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEimW8zTv0JIdWtRlMoXHuw9eJM3fAWPVaWWJd5NuqYkZxuFBwUyBXccOlK-bnfMY47yfz5JEr5w_dfnsUYAswMMNarDtX0vS6qkGw4DzmHsyiu-JVyqgAVya41fZo6dfZAJaUTyNK0PRp0/s320/untitled%E0%A5%A7.bmp



जबलपुर में हुई ब्लागर्स-मीडिया कर्मियों की मेल मुलाकात की रिपोर्ट ऊपर है  
अब सुनिए लावण्या शाह जी से हुई बातचीत के दौरान  लावण्या जी ने पंडित नरेद्र शर्मा जी के संस्मरण एवं लता जी के बारे में खूब और खुल के बातचीत की फ्रीज़ वाला संस्मरण खुर्जा के संत की दिव्यता को उजागर करता है . फिल्म सत्यम सुन्दरम के कालजयी गीत 'सत्यम-शिवम् सुन्दरम' लावण्या जी रिकार्ड होते सुना  है लावण्या जी ने बताया कि यह गीत लता जी ने एक ही बार में लगाता रिकार्ड करा दिया था बिना किसी संशोधन के . इस गीत का अध्यात्मिक पहलू भी है जिसका ज़िक्र भी इस चर्चा में उजागर हुआ. तो सुनिए यह मेरे लिए ऐतिहासिक पाडकास्ट 
एक गीत जो रेडियोनामा से साभार लिया गया पेश है
नाच रे मयूरा!
खोल कर सहस्त्र नयन,
देख सघन गगन मगन
देख सरस स्वप्न, जो कि
आज हुआ पूरा !
नाच रे मयूरा !

गूँजे दिशि-दिशि मृदंग,
प्रतिपल नव राग-रंग,
रिमझिम के सरगम पर
छिड़े तानपूरा !
नाच रे मयूरा !

सम पर सम, सा पर सा,
उमड़-घुमड़ घन बरसा,
सागर का सजल गान
क्यों रहे अधूरा ?
नाच रे मयूरा !

________________________________________
पंडित नरेंद्र शर्मा का साहित्य यहाँ देखिये 
________________________________________
सुनिये सत्यम शिवम् सुन्दरम यू ट्यूब पर
 

letter to lavanya shah from lata ji

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

Wow.....New

अलबरूनी का भारत : समीक्षा

   " अलबरूनी का भारत" गिरीश बिल्लौरे मुकुल लेखक एवम टिप्पणीकार भारत के प्राचीनतम  इतिहास को समझने के लिए  हमें प...

मिसफिट : हिंदी के श्रेष्ठ ब्लॉगस में