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14.12.10

अधूरे पूरे लोग क्या कहतें हैं आपसे ?

निक बोयेसिस


ये हैं निक बोएसिस   मिलिये यहां =.> निकबोयेसिस

 

I Love Living Life. I Am Happy. 


 




कौन कहता है कि  शरीर के  सारे अंग ज़रूरी हैं. ? यदी हैं तो फ़िर ये क्या है. दुनियां चाहे जो सोचे कि शरीर के साथ दो पैर दो हाथ के अलावा दो आंखोंं का होना ज़रूरी है...सारे अंग ज़रूरी हैं तो फ़िर ये क्या है.. बताइये  

 क्या आप पूरे हो कर पूरे हैं..?यदि हैं तो फ़िर  किस बात की पीडा लेकर धंस जातें हैं आप अवसादों के जंगल में ? क्यों कराह उठतें हैं ज़रा सी चोट पर क्यों है हमारे चिंतन से उत्साह के बीच लम्भी दूरियां एक दूसरे के बीच गहरी खाईयां  

 किससे जीतोगे किससे जीतना चाहते हो किसे नीचा दिखाना है किसे हरना है किसको गिराना है बस इसी चिंता के साथ जागते हम लोग बस इन तीन वीडियो को देख लें तो शायद दुनिया स्वर्ग बन जाएगी. वे लोग तो ज़रूर देखें हो अवसाद के गने जंगल में खो ने जा रहें हैं खुद को

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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