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16.5.11

बुद्ध मुस्कुराए थे उस दिन याद है न ?

जी ऐसी ही  मृदुल मुस्कान रही होगी
बुद्ध की 

अटल जी बोले होंगे- कमाल कर दिया आपने 
जवाब में कलाम साहब ने ये कहा होगा :-
 श्रीमान बुद्ध की मुस्कान देखिये 

        बुद्ध मुस्कुराए थे उस दिन 11 मई 1998 को दशकों से बस्ते में बंधा संकल्प अचानक आकार ले लेगा इसका इल्म न था किसी को भी न ही यहां तक कि विश्व के "दादा" को भी नहीं. पोखरण में ये भारत का 18 मई 1974 के 24 बरस बाद  दूसरा परीक्षण था.  फ़िर 13 मई 1998 को पांचवां परीक्षण होते ही भारत परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बन चुका था. उस दिन यानी 
 11 मई 1998 को बुद्ध-पूर्णिमा थी.
एक बार बुद्ध के दर्शन को विश्व ने चकित हो स्वीकारा था . चकित तो उस बुद्ध पूर्णिमा पर भी था जब भारत ने पोखरण में परीक्षण किया. कलाम साहब के चेहरे का ओज अटल जी में आत्म विश्वास देखते ही बन रहा था. भारत का एक एक नागरिक जो इस बात को समझता था इतना खुश था गोया उसे कोई खजाना मिल गया हो.  खुश हों भी क्यों न भारत का भाल उजारते इन आईकान्स ने जो भी किया था उस दिन उससे विश्व में भारत नये रूप में उभरने वाला जो था. हुआ भी यही आप देख रहें हैं. जी वो दिन कितना सकारात्मक भाव से भरा था आपको याद होगा ही. तब मन में मलाल न थे ... ज़ेहनों में फ़िज़ूल के सवाल न थे... बस कलाम के कमाल थे . बुद्ध पूर्णिमा थी उस दिन भी. मां भारती का आंचल नेह रस छलका रहा था. वातावरण एक दूसरे पर विश्वासी सम्मान बरसा रहा था. वाह क्या दिन था वो. कब आएगा वापस वैसा दिन पता नहीं पर मै मुस्कुरा रहा हूं उस दिन की याद कर जब बुद्ध मुस्कुराए थे.
बुद्ध जयंती पर हार्दिक शुभकामानाओं सहित 
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अब एक पाडकास्ट जी अर्चना चावजी पूरी तरह स्वस्थ्य हैं इस बात का सबूत देती हुई प्रस्तुति 

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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